वैक्‍सीनेशन डे पर फेलिक्स हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि गुप्ता रश्मि गुप्ता ने बताई बाल शिशु टीके की हैमियत

 बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीन जरूर लगवाए

नोएडा (अमन इंडिया ) । दुनिया सहित भारत में भी नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को कई खतरनाक बीमारियों के टीके लगाए जाते हैं लेकिन टीकाकरण की सुविधा भारत जैसे देश में हर शिशु और बच्चे तक पहुंचाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है। कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि इसी वजह गरीबी उतनी नहीं है जितनी की जागरूकता और शिक्षा क्योंकि कई शिक्षित और आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी टीके के प्रति असंवेदनशील और लापरवाह देखे गए हैं। यह बातें नेशनल वैक्‍सीनेशन डे पर फेलिक्स हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि गुप्ता रश्मि गुप्ता ने कही। 

 उन्होंने बताया कि इंसान के सेहतमंद रहने के कई पहलू हैं। एक तो वह ऐसा जीवन जिए जिससे उसे कोई रोग ही न हो यह सीधा लाइफस्टाइल से संबंधित है। दूसरा पहलू है रोग और उसका इलाज। किसी भी रोग से निपटने के भी दो तरीके होते हैं। एक तो उसका उपचार है जिसमें दवा देकर रोग ठीककिया जा सके। वहीं दूसरे तरीके में शरीर को इतना ताकतवर बनाया जाया कि वह खुद ही अपनी प्रतिरोधक क्षमता के बल पर रोग से लड़ सके। इसमें एक कारगर उपाय वैक्सीन है। इसी उद्देश्य से भारत में 16 मार्च को नेशनल वैक्‍सीनेशन डे मनाया जाता है।

पहली बार नेशनल वैक्‍सीनेशन डे को 16 मार्च 1995 में मनाया गया था। उस दिन पहली बार ओरल पोलियो वैक्सीन यानी कि मुंह के माध्यम से पोलियो वैक्सीन दी गई थी और इसी के साथ भारत सरकार ने पोलियो को जड़ से खत्म करने का अभियान ‘पल्स पोलियो’ शुरू किया था। यह वह दौर था जब भारत में पोलियो के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे थे। उस समय पल्‍स पोलियो अभियान के तहत 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को समय-समय पर पोलियो वैक्सीन की बूंद दी जाती थी। पोलियो के खिलाफ व्‍यापक रूप से चलाए गए इस अभियान का ये असर हुआ कि 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया। चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों के बाद एक बार फिर से कोविड के दौर में वैक्‍सीनेशन लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है। हर साल टीकाकरण दिवस मनाने का उद्देश्‍य लोगों को वैक्‍सीनेशन की अहमियत को समझाना है। वैक्‍सीन न सिर्फ बच्‍चों को बल्कि बड़ों को भी तमाम गंभीर बीमारियों से बचाने में मददगार है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो हर साल टीकाकरण की मदद से करीब 2-3 मिलियन लोगों की जान बचाई जाती है।

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बुखार होने पर परेशान न हो-------------

टीके लगने के बाद शिशु को बुखार आए तो परेशान न हो क्योंकि अगर ऐसा होता तो इसका मतलब ये है कि टीका सही तरह से काम कर रहा है। लोगों में वैक्सीन को लेकर कुछ भ्रांतियां रहती है। वैक्सीन के बाद अक्सर बच्चों में बुखार की शिकायत आती है। बुखार के बाद पेरेंट्स चिंतित होते हैं। खासतौर पर वर्किंग क्लास सोचता है कि अब उसे दो से तीन की छुट्टी लेनी पड़ेगी। इस वजह से वे वैक्सीन से किनारा करने लगते हैं। टीकाकरण के बाद यदि बुखार आता है तो इसका मतलब है कि टीका काम करने लगा है। बुखार आना तो सामान्य बात होती है। इसके लिए बच्चों को बुखार की दवा दी जाती है। दो दिन के भीतर बुखार ठीक भी हो जाता है। वैक्सीन का उद्देश्‍य बच्‍चों की संक्रामक रोगों से ग्रस्‍त होने की संभावना को कम करना है। बच्चों का टीकाकरण जन्म से शुरू कर दिया जाना चाहिए, क्‍योंकि नवजात शिशुओं की प्रतिरोध क्षमता कम होती है और वे संक्रामक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, कुछ टीकों की बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए, ताकि रोग प्रतिरक्षण को बनाए रखा जा सके। बीसीजी, डीपीटी इंजेक्शन, ओरल पोलियो वेक्सीनेशन, पीसीवी, एमआर की वैक्सीन जरूर लगवाएं।

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बच्चों में टीकाकरण के फायदे------------------

वैक्‍सीनेशन बच्‍चों को पोलियो, टिटनस, डिप्‍थीरिया, और अन्‍य कई घातक रोगों से बचाव करता है। वैक्‍सीन से इन रोगों से बचाव मुमकिन है क्योंकि ये आसानी से फैलती हैं। टीका के उद्देश्य बच्चों को निमोनिया, काली खांसी, खसरा, जापानी इंसेफ्लाइटिस, पोलियो व टीबी समेत 11 जानलेवा बीमारियों से बचाना है। इसको लेकर लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है।