रविंद्र कुमार यादव ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया


*सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा पर फिर उठे सवाल


*पद का दुरुपयोग एवं नियमों का उल्लंघन करने का लगा आरोप


नोएडा (अमन इंडिया ) । उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के अधीन सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा निदेशालय पर एक बार फिर पद का दुरूपयोग और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लग रहें हैँ, इस सन्दर्भ में नोएडा मीडिया क्लब के प्रेसवार्ता कर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, और प्रदेश सरकार से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करते हुए आरोपीय अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। मंगलवार को नोएडा के सेक्टर 29 स्थित नोएडा मीडिया क्लब में रविंद्र कुमार यादव ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा निदेशालय पर आरोप लगाया कि मौजूदा अधिकारियों द्वारा षड्यंत्र कर विभाग की दक्षता को खत्म करते हुए नियमावली में मनमानी की जा रही है और कम योग्यता वाले वरिष्ठ सहायकों को ऑडिटर के पद पर प्रोन्नत किया गया है,जो कहीं ना कहीं एक बड़े भ्रष्टाचार और मनमानी की ओर इशारा कर रहा है। प्रेसवार्ता के दौरान रविंद्र कुमार यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ समय पहले ही सहकारी समितियां एवं पंचायत लेखा परीक्षा विभाग में हो रही गड़बड़ियों को लेकर पूर्व में एक निदेशक को निलंबित किया था। इन पर नियम के विरुद्ध पदोन्नतियां और तैनाती के आरोप लगाए गए थे और यह भी कहा गया था कि निदेशक द्वारा पद के दुरुपयोग किया जा रहे हैं और शासनादेशों एवं नियमों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं रविंद्र कुमार यादव ने बताया मौजूदा समय में भी पहले की तरह ही गड़बड़ियां निदेशालय में की जा रही है और मौजूदा अधिकारियों द्वारा मनमाने तरीके से पदोन्नति और तैनाती की जा रही है,साथ ही सूचना के अधिकार या आईजीआरएस  के तहत अगर निदेशालय से किसी तरह की जानकारी मांगी जाती है तो निदेशालय द्वारा जानकारी देने की बजाय गुमराह किया जाता है । 

बरती जा रहीं हैं भारी अनियमितताएं इन मामलों को उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर रविंद्र कुमार यादव ने बताया की नियमावली में एक और बड़ा बदलाव किया गया, वह यह था कि जो विभाग में ऑडिटर के पद पहले 436 थे उनको बढ़कर 900 कर दिया गया तथा जो सीनियर ऑडिटर के 1307 पद थे उनको घटकर 664 कर दिया गया जिसके कारण उन्हें 10% प्रोन्नति से पद भरने थे वह 40 के बजाय 90 ऑडिटर के पद में प्रमोशन करने के लिए मिल जाए। नियमावली में इस शैक्षिक योग्यता को स्नातक करने के बावजूद जब ऑडिटर के पद में प्रोन्नति की गयी उसमें शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, इंटरमीडिएट तथा प्रथमा जैसी शैक्षिक योग्यता वाले वरिष्ठ सहायकों को ऑडिटर के पद पर प्रोन्नति कर दिया गया। इस प्रोन्नति को करने के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग / अधीनस्थ सेवा आयोग से परामर्श लिया जाना आवश्यक था इस प्रकार की प्रोन्नति करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1954 में नियमावली बनाई गई थी नियमावली 1954 के विनियम छ के अनुसार स्पष्ट आदेश हैं की जिन पदों पर सीधी भर्ती लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाती है उन पदों पर प्रोन्नति द्वारा भर्ती आयोग के परामर्श से की जाएगी, परंतु निदेशक द्वारा आयोग से परामर्श नहीं लिया गया क्योंकि यदि आयोग से परामर्श लिया जाता तो आयोग ऐसी प्रोन्नति के आदेश किसी हाल में नहीं होने देता। रविंद्र कुमार यादव ने प्रदेश सरकार और वित्त विभाग से अपील की की सभी मामलों का संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय जाँच कराइ जाए और दोषी अधिकारीयों के ख़िलाफ़ सख़्त कदम उठाएं जाएँ।