श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक श्री पवन नंदन महाराज ने वर्णन किया

नोएडा (अमन इंडिया ) । सेक्टर 34 के कम्युनिटी सेंटर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक श्री पवन नंदन महाराज के कर्दम ऋषि और देवहूति का विवाह,कपिल के द्वारा मां देवहूति को उपदेश,सती का आत्मदाह,दक्ष यज्ञ विध्वंस, धुव्र चरित्र,प्रियव्रत चरित्र आदि प्रसंगों का संगीतमय वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि गुरु,वैद्य और सचिव यदि शिष्य,मरीज और राजा के अनुकूल बात करें तो कभी भी किसी को लाभ नहीं हो सकता है। सचिव के द्वारा राजा की चाटुकारिता करने से राजधर्म का नाश होता है। शिष्य के सही आंकलन करने बजाय उसके अनुकूल बात करने से शिष्य का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता है। और मरीज के मन मुताबिक दवा देने से शरीर में बीमारी का वास होता है। 

आचार्य पवन नंदन महाराज के कहा कि मनुष्य योनि में धरती पर जन्म मिला तो हमें तीन काम अवश्य करने चाहिए और वह जरूरी काम हैं कथा का श्रवण,कीर्तन और ईश्वर का सुमिरण। धरती पर सुख केवल भक्ति के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। भक्ति के लिए भाव और गुरु की नितांत आवश्यकता होती है ऐसे में जिसका कोई गुरु नहीं होता है उसका जीवन शुरु नहीं होता है। मोक्ष के दरवाजे के ताले की चाबी मनुष्य का शरीर है। विभिन्न योनियों के रूप में 84 लाख चाबियां है। मानव जीवन पाकर भी जो कोई मोक्ष के दरवाजे का ताला नहीं खोलना चाहता है तो मानों वह अपने अभाग को आमंत्रण दे रहा है।

भारतीय धरोहर के सौजन्य हो रही श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन मुख्य यजमान के तौर पर प्रमोद शर्मा, कथा संयोजक धर्मेंद्र शर्मा,भारतीय धरोहर के संरक्षक और आयोजन समिति के महामंत्री प्रताप नागर,परमात्मा शरण बंसल, विजय शंकर तिवारी, पंकज त्रिपाठी,फोनरवा के अध्यक्ष योगेन्द्र शर्मा, फोनरवा के महासचिव के के जैन, कमांडर कैलाश प्रसाद राय, सुधीर कौल, रामेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार बंसल, राजेंद्र सिंह,अनिल गोयल, डाॅक्टर ए के त्यागी, चितरंजन वर्मा,विनोद शास्त्री, रविकांत मिश्रा आदि उपस्थित थे।