नई दिल्ली (अमन इंडिया)। फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने एक 50 वर्षीय फैक्टरी कर्मी की बाजू को, जो कि मशीन पर काम करते हुए दुर्घटनावश कटकर अलग हो गई थी, एक जटिल रीप्लांटेशन सर्जरी के बाद दोबारा जोड़ने में सफलता हासिल की है। इस सर्जरी को डॉ ऋचि गुप्ता, डायरेक्टर एवं एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग के नेतृत्व में डॉक्टरों की दो टीमों ने अंजाम दिया। यह रीप्लांटेशन सर्जरी काफी एडवांस प्रक्रिया थी जिसमें हडि्डयों, मांसपेशियों, रक्तवाहिकाओं, स्नायुओं और उपास्थियों की सटीकतापूर्वक पहचान कर उन्हें माइक्रोसर्जिकल तकनीकों से दोबारा सिला गया। यह चमत्कार सिर्फ इस वजह से हो सका क्योंकि मरीज़ को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया जहां प्लास्टिक सर्जरी, ऑर्थोपिडिक, एनेस्थीसिया तथा इंटेंसिव केयर टीमों ने यह सुनिश्चित किया कि मरीज़ का रीप्लांटेशन सफल तरीके से हो। इस अत्यंत जटिल सर्जरी में करीब 6 घंटे का समय लगा।
फैक्टरी में एक मशीन पर काम करने के दौरान इस कर्मचारी की कुहनी से आगे की बाजू कट गई थी जिसके बाद उन्हें तुरंत नज़दीकी नर्सिंग होम ले जाया गया लेकिन वहां ऐसे गंभीर मामलों के इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। तब उन्हें इस दुर्घटना के 30 मिनटों के भीतर फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग पहुंचाया गया। हाइपोटेंशन एवं शॉक के चलते मरीज़ की हालत बेहद नाजुक थी लेकिन डॉक्टरों ने बगैर समय गंवाए तुरंत सर्जिकल प्रक्रिया शुरू कर दी।
इस बारे में, डॉ ऋचि गुप्ता, डायरेक्टर एवं एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने बताया, ''चूंकि मरीज़ की बाजू कटकर अलग हो गई थी, इस कारण काफी खून बह गया था, अगर ज़रा भी और देर हुई होती तो मरीज़ को जान से हाथ धोना पड़ता। यह शरीर के किसी अंग के सिर्फ कटने से अलग प्रकार का मामला था, जैसे कि तलवार आदि से कटने पर प्रभावित अंग के टिश्यू कम क्षतिग्रस्त होते हैं। लेकिन इस मामले में मशीन से क्रैश एंप्यूटेशन हुआ था, लिहाज़ा प्रभावित हिस्से में काफी नुकसान हुआ था और खासतौर से मांसपेशियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई थीं। यदि समय पर इलाज न किया जाता तो यह नुकसान स्थायी हो सकता था। मांसपेशियां रक्तापूर्ति के अभाव में काफी तेजी से मरने लगती हैं। इसलिए सर्जन ने सबसे पहले तो कटे हुए भाग में तत्काल ब्लड सप्लाई बहाल करने का रास्ता ढूंढा। रीप्लांटेशन सर्जरी के दौरान, आर्टरीज़ और वेन्स को पहले जोड़ा जाता है, इनके बाद नर्व्स और फिर अन्य मांसपेशियों तथा टिश्यूज़ को जोड़ा जाता है। इस सर्जरी में लगभग 6 घंटे का समय लगा और रक्तापूर्ति बहाल करने के बाद हमने मरीज़ को निगरानी के लिए आईसीयू में रखा ताकि यह देखा जा सके कि कहीं क्षतिग्रस्त मांसपेशियों से निकलने वाले टॉक्सिन्स से गुर्दों को नुकसान तो नहीं पहुंच रहा, और सेप्सिस तो नहीं हुआ। मरीज़ को चार यूनिट खून भी चढ़ाया गया और उन्हें सर्जरी के 5 दिनों के बाद अस्पताल से सही हालत में छुट्टी दे दी गई। मरीज़ के कई घावों को भरने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग की आवश्यकता हो सकती है।
डॉ गुप्ता ने बताया, ''रीप्लांटेशन अत्यंत जटिल प्रकार की सर्जरी है जिसके लिए प्लास्टिक सर्जरी, ऑर्थोपिडिक, एनेस्थीसिया तथा इंटेंसिव केयर टीमों के बीच काफी तालमेल की आवश्यकता होती है। सर्जरी के बाद, हालांकि रक्तापूर्ति तुरंत बहाल हो जाती है लेकिन स्नायुओं को दोबारा विकसित होने में करीब 300 दिनों का समय लगता है, और तब कहीं जाकर सेंसेशन तथा अन्य बारीक कार्यप्रणालियां बहाल हो पाती हैं। लेकिन इस बीच, सर्जरी के 6 सप्ताह बाद कुछ साधारण बेसिक क्रियाएं जैसे उंगलियों को मोड़ना और सीधा करना, तथा अन्य काम किए जा सकते हैं।''
श्री दीपक नारंग, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने कहा, ''मरीज़ की गंभीर हालत के चलते यह मामला काफी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन समय पर इलाज शुरू होने और हमारी मेडिकल टीमों के बीच तालमेल के परिणामस्वरूप हम मरीज़ की बाजू को सुरक्षित बचाने में सफल रहे। हमें अपनी प्लास्टिक सर्जरी टीम - डॉ ऋचि गुप्ता, डायरेक्टर एवं एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, ऑर्थोपिडिक टीम – डॉ (प्रोफे.) अमित पंकज अग्रवाल, डायरेक्टर एवं एचओडी तथा एनेस्थीसिया टीम – डॉ उमेश देशमुख, डायरेक्टर एवं एचओडी तथा डॉ रैखी, सीनियर कंसल्टैंट पर गर्व है जिन्होंने इस पूरी सर्जरी को परस्पर तालमेल से बेहद सुगमतापूर्वक अंजाम दिया। हमारे डॉक्टरों की टीमों ने क्लीनिकल उत्कृष्टता और मरीज-केंद्रित देखभाल का परिचय दिया है तथा हम आगे भी इसे जारी रखेंगे।''
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड के बारे में
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड, जो कि आईएचएच बेरहाड हैल्थकेयर कंपनी है, भारत में अग्रणी एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है। यह देश के सबसे बड़े स्वास्थ्यसेवा संगठनों में से एक है जिसके तहत् 27 हैल्थकेयर सुविधाओं समेत (इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन पर फिलहाल काम चल रहा है), 4100 बिस्तरों की सुविधा तथा 419 से अधिक डायग्नॉस्टिक केंद्र (संयुक्त उपक्रम सहित) हैं। फोर्टिस का भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा श्रीलंका में भी परिचालन है। कंपनी भारत में बीएसई लिमिटेड तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। यह अपनी ग्लोबल पेरेंट कंपनी आईएचएच से प्रेरित है तथा मरीज़ों की विश्वस्तरीय देखभाल एवं क्लीनिकल उत्कृष्टता के उनके ऊंचे मानकों से प्रेरणा लेती है। फोर्टिस के पास 23,000 कर्मचारी (एसआरएल समेत) हैं जो दुनिया में सर्वाधिक भरोसेमंद हैल्थकेयर नेटवर्क के तौर पर कंपनी की साख बनाने में लगातार योगदान देते हैं। फोर्टिस के पास क्लीनिकल से लेकर क्वाटरनरी केयर सुविधाओं समेत अन्य कई एंसिलियरी सेवाएं उपलब्ध हैं।