क्रोनिक किडनी डिजीज 2040 तक बन जाएगा मौत का पांचवा प्रमुख कारण

दिल्ली (अमन इंडिया)। इंटरनेशनल सोसायटी फॉर नेफ्रोलॉजी द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक, फिलहाल क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) से दुनियाभर से 850 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं। इस रोग की वजह से हर साल होने वाली मौतों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं और एक अनुमान के मुताबिक, 2040 तक यह मौतों का पाँचवाँ सबसे प्रमुख कारण चुकी होगी। गुर्दों (किडनी) के रोगों के मामले में एक बड़ी चुनौती है आम जन के स्‍तर पर इससे जुड़ी जानकारी का अभाव। लोगों के स्‍तर पर किडनी को स्‍वस्‍थ रखने, रोगों के आरंभिक लक्षणें, चिकित्‍सकीय सलाह और उपचार आदि के बारे में जागरूकता का अभाव। इस साल विश्‍व गुर्दा दिवस का थीम किडनी की सेहत को बेहतर बनाने और आम जनता तथा मरीज़ों के बीच इस बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है। 


महामारी की दूसरी और तीसरी लहरों के दौरान, जबकि अधिकांश डॉक्‍टर कोविड मरीज़ों के साथ व्‍यवस्त थे, सीकेडी से ग्रस्‍त मरीज़ों की हालत काफी बिगड़ी। डायलसिस कराने वाले और नए सीकेडी मरीज़ों के रजिस्‍ट्रेशन में काफी कमी आयी। 


डॉ अनुजा पोरवाल, एडिशनल डायरेक्‍टर, नेफ्रोलॉजी, फोर्टिस अस्‍पताल, नोएडा ने कहा, ''विश्‍व गुर्दा दिवस 2022 का थीम ''किडनी हैल्‍थ फॉर ऑल’’ रखा गया है। यह दुनियाभर में गुर्दे के रोगों से ग्रस्‍त लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान करता है। गुर्दों रोगों से बचाव और इसके प्रबंधन की तत्‍काल आवश्‍यकता है। किडनी के रोगों से बचाव के लिए लोगों को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए और साथ ही, सेहतमंद जीवनशैली को अपनाना चाहिए। इसके अलावा, मरीज़ों के बीच उपचार संबंधी भ्रांतियों को दूर कर उन्‍हें सही समय पर सही चिकित्‍सा सलाह लेने का सही संदेश भी देना चाहिए।''  

डॉ पोरवाल ने सीकेडी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे बचने, किडनी की देखभाल तथा अन्‍य उपयोगी बातें भी साझा की हैं: 


• समय पर निदान के बारे में जागरूकता: प्राय: किडनी की सेहत के बारे में बात नहीं की जाती जो कि संभवत: अन्‍य गंभीर रोगों पर ज्‍यादा ध्‍यान देने की वजह से होता है। लोगों को सेहतमंद जीवनशैली अपनाने और गुर्दों की सेहत पर ध्‍यान देने के बारे में बताया जाना चाहिए। कुछ लोगों को किडनी रोग की आशंका अधिक होती है, जैसे कि डायबिटीज़, ब्‍लड प्रेशर, बार-बार पथरी की आशंका वाले मरीज़ इनमें प्रमुख हैं, और वे भी जिनके परिवारों में किडनी रोग का इतिहास रहा हो। रोग को जल्‍द पकड़ने के लिए जरूरी है नियमित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य जांच करना। किडनी के अधिकांश रोगों को समय पर नेफ्रोलॉजी रेफरल्‍स की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। 


• किडनी की देखभाल: गुर्दों को सेहतमंद रखने के लिए मधुमेह और उच्‍च रक्‍तचाप को नियंत्रित रखने, लंबे समय तक पेनकिलर्स या बिना डॉक्‍टरी सलाह के दवाओं के सेवन से बचना, मूत्राशय के किसी भी संक्रमण या अवरोध होने पर डॉक्‍टर से सलाह लेना, नियमित रूप से यूरिन और किडनी फंक्‍शन टैस्‍ट कराने की जरूरत है। साथ ही, सेहतमंद खानपान की आदतें अपनाने और नशीले पदार्थों के सेवन से भी दूर रहना चाहिए। 


• इस विषय में जागरूकता के अभाव को दूर करना: मरीज़ों को सही संदेश, सही रणनीति और सूचनाओं के जरिए सशक्‍त बनाया जाएगी। मीडिया में इससे बचाव और और उपचार संबंधी जानकारी को समय-समय पर साझा करना चाहिए, और यदि पहले ही सीकेडी से ग्रस्‍त हैं तो समय पर रोग प्रबंधन के बारे में जानकारी देनी चाहिए। 


सही उपचार का चुनाव: किडनी फेल होने पर डायलसिस या किडनी ट्रांसप्‍लांट कराने की जरूरत होती है। डायलसिस सेवाओं में सुधार होने से अब एंड-स्‍टेज किडनी डिज़ीज़ से ग्रस्‍त मरीज़ भी कई वर्षों तक इसके साथ जीवित रह पाते हैं। लेकिन किडनी ट्रांसप्‍लांट हमेशा ही ऐसे मरीज़ों के मामले में सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प है। ट्रांसप्‍लांट के बाद रीनल फंक्‍शंस लगभग सामान्‍य रहते हैं। इसके परिणामस्‍वरूप सेहत में काफी हद तक सुधार आता है। किडनी ट्रांसप्‍लांट से मरीज़ की जीवन की गुणवत्‍ता भी डायलसिस की तुलना में बेहतर होती है। 


डॉ दुष्यंत नाडर, डायरेक्‍टर एवं हैड, यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्‍लांट, फोर्टिस हॉस्‍पीटल, नोएडा ने एंड स्‍टेज किडनी रोग मरीज़ों के लाभार्थ कुछ प्रमुख बिंदुओं को साझा किया और साथ ही, किडनी ट्रांसप्‍लांट से जुड़ी कुछ भ्रांतियों को भी दूर किया। 


किडनी ट्रांसप्‍लांट से जुड़ी कुछ भ्रांतियों को भी दूर करना जरूरी है। आज डोनर और रेसीपिएंट दोनों ही सेहतमंद तथा सामान्‍य जीवन व्‍यतीती कर सकते हैं। नई और उन्‍नत सर्जिकल तकनीकों तथा बेहतर दवाओं, ट्रांसप्‍लांट सर्जरी की सफलता की दर 97% तक हो चुकी है। डोनर अपना सामान्‍य रूटीन सर्जरी के बाद 1 से 2 सप्‍ताह में दोबारा प्राप्‍त कर सकते हैं और डोनर को अस्‍पताल में 3 से 4 दिनों से ज्‍यादा नहीं रुकना होता। डोनर के लिए सर्जरी के दौरान जटिलताएं भी नगण्‍य हैं। किडनी डोनर्स को न तो खानपान में किसी प्रकार के प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है और न ही उन्‍हें लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना होता है। उनकी जीवन प्रत्‍याशा भी सामान्‍य होती है और वे सेहतमंद जीवन व्‍यतीत करते हैं। सच तो यह है कि, डोनर का जीवन उसी के आयुवर्ग के अन्‍य लोगों की तुलना में बेहतर होता है। ये संदेश भी अधिकाधिक प्रचारित किए जाने चाहिए ताकि किडनी डोनेशन के लिए और जरूरतमंद मरीज़ों को डॉक्‍टरी सलाह के अनुसार किडनी ट्रांसप्‍लांट का विकल्‍प चुनने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सके।