*राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के उद्देश्य से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की अध्यक्षता में प्रेसवार्ता सम्पन्न।
गौतमबुद्धनगर(अमन इंडिया)। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं जिला न्यायाधीश गौतम बुद्ध नगर के निर्देशों के अनुपालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गौतमबुद्धनगर के कुशल नेतृत्व में 11 सितंबर, 2021 को जनपद गौतमबुद्धनगर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन मुख्यालय एवं तहसील न्यायालयों में होने जा रहा है। आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने के उद्देश्य से आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जयहिंद कुमार सिंह के द्वारा एक प्रेसवार्ता आयोजित की गयी, जिसमें उनके द्वारा आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर व्यापक प्रचार प्रसार करने के लिए कहा गया और बताया कि कल आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक मामलें, मोटरयान दुर्घटना अधिनियम के मामलें, बिजली व पानी से सम्बन्धित मामलें, धारा 138 एन0आई0एक्ट के वाद, भू-राजस्व वाद, सेवा संबंधित मामले एवं प्री-लिटीगेशन मामलों के साथ-साथ सुलह समझौते के माध्यम से निस्तारण योग्य अन्य विवाद, जिसमें पक्षकार पारस्परिक सद्भावना के अधीन संधि के लिए इच्छुक हो, वह मामले राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारण किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों का निस्तारण संभव कराने के उद्देश्य से सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा गया हैं कि आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर व्यापक प्रचार सुनिश्चित किया जायें, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में उपस्थित होकर अपने वादों का निस्तारण करा सकें। उन्होंने इस अवसर पर मीडिया बंधुओं को यह भी जानकारी दी है कि राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने एवं अधिक से अधिक वादों का निस्तारण संभव कराने के उद्देश्य से माननीय जनपद न्यायाधीश जी के नेतृत्व में विगत 1 माह से विभिन्न स्तर पर तैयारी सुनिश्चित की जा रही है ताकि अधिक से अधिक वादी राष्ट्रीय लोक अदालत ने पहुंचकर अपने वादों का निराकरण सुनिश्चित करा सके। उन्होंने बताया कि संबंधित विभागीय अधिकारियों के द्वारा अधिक से अधिक वादों का निस्तारण सुनिश्चित कराने के लिए संबंधित वादी गणों से वार्तालाप करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की गई है जिससे कि आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में माननीय न्यायालय की मंशा के अनुरूप वादों का निस्तारण संभव हो सके।