उत्तरप्रदेश की राजनीति की शतरंज में शह-मात का खेल शुरू - खबरीलाल


नोएडा (अमन इंडिया)। भारत मे विश्व के सबसे बडा लोकतंत्र है । लोकतंत्र मे यहाँ की जनता जनार्दन ही सर्वोपरि व सर्वोच्य है । यहाँ के नागरिको को संविधान द्वारा प्रदत्त मतदान के अधिकारो का प्रयोग कर अपने प्रतिनिधियों को विधायिका के सदन अथार्त केन्द्र मे संसद व राज्य मे विधान सभा मे अपना प्रतिनिधित्व के रूप में भेजती है। 

इसी क्रम में अगले वर्ष सन 2022 मे सात राज्यो में होने वाले विधान सभा चुनाव होने वाले है। राज्यो के विधान सभा चुनाव को लेकर विपक्ष व सत्तारूढ़ के राजनीतिक दलो में हलचल मच गई है । जिन सात राज्यो मे में विधान मे में होने की बारी है वे राज्य है ' पंजाब ,उत्तराखण्ड , उत्तर प्रदेश , मणिपुर ' गोवा हिमाचंल प्रदेश व गुजरात है। राजनीति के विशेषज्ञो की पैनी नजर उत्तर प्रदेश की राजनीति की हलचलो पर है, क्योकि यहाँ के विधान सभा चुनाव के परिणाम सन 2024 में होने वाले आगामी लोक सभा आम चुनाव को प्रभावित करेगी । केन्द्र मे सत्तारूढ़ भाजपा के शीर्ष नेतत्व में उत्तर प्रदेश मे पुनः सता पर आसीन होने की अपनी पुरी ताकत से राजनीति शतरंज के खेल मे शह व मात की विसाखत विछा दी गई है । क्योकि पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के बाद भाजपा किसी भी हाल उत्तर प्रदेश अपनी सत्ता छोडनी नही चाहती है । ऐसे में उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्र सरकार के लिए सर दर्द बनी हुई।

प्रधानमंत्री मोदी जी नहीं चाहते हैं आगामी वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए।योगी जी को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का आर्शीवाद प्राप्त है । विगत 4 - 5 महीनो में योगी जी का केन्द्रीय नेतृत्व के संग अर्न्तविरोध उस समय से दिखने लगा जब नरेंद्र मोदी जी ने अपने करीबी व चेहते चेहरे ए के शर्मा को जो गुजरात में आईपीएस को उत्तर प्रदेश में लाकर सर्व प्रथम एमएलसी बनाया ही, ब्लकि मोदी जी चाहते थे कि उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीति में उपमुख्यमंत्री , गृह मंत्रालय या कैबिनेट मंत्री मे लाकर योगी जी पर नजर रखा जा सके । ए के शर्मा उत्तर प्रदेश की राजनीति गतिविधियो पर पुरी नजर ही नही ब्लकि पल - पल की खबरे दिल्ली दरबार को मिलती रहे ।

जिसकी वानगी के रूप में ए के शर्मा के द्वारा एक एम एल सी रहते हुए मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए हर नेक कामों का श्रेय मोदी जी को देते रहे हैं । इस वाक्य युद्ध के कारण पं बंगाल के विधान सभा चुनाव खत्म होते ही उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव से पूर्व हटाने का भरसक प्रयास किया । जिसमे केन्द्रीय नेतृत्व असफल रहे ' तथा मोदी के चेहते चेहरे को प्रदेश मे भाजपा का उपाध्यक्ष बना कर सतोष करना पड़ा । यहाँ पर स्पष्ट कर दूँ कि योगी आदित्यनाथ जी के सिर पर आर एस एस के शीर्ष नेतृत्व का आर्शवाद प्राप्त है । नागपुर का मुख्यालय योगी जी को हिंदुत्व के सफल छवि उत्तर प्रदेश की जनता के समक्ष ला कर सन 2022 मे होने वाले विधान सभा चुनाव लड़ना चाहती है । 

 योगी जी अपने राजनीति की इस रणक्षेत्र मे सफल हुए । विगत दिनो लगभग 48 घंटे तक दिल्ली दरबार में रहकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा व केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और महामहिम राष्ट्रपति कोविंद से मिलकर वापस लखनऊ लौट गए। हालाकि मोदी - योगी जी की यह मुलाकात मात्र औपचारिक बताई जा रही है ' लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति पर गहरी पैठ रखने वाले राजनीति पंडित यह मानते से इन्कार कर रहे है।हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी व पार्टी की शीर्ष नेतृत्व इस बात को अच्छी से तरह जानती है कि दिल्ली के सिंघासन तक पहुंचने के लिए यूपी से होकर रास्ता गुजरता है । भाजपा इस बात को अच्छी तरह से जानती है किअगर हिन्दूत्व के चेहते योगी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार निश्चित है । योगी आदित्यनाथ एक उच्च जाति केवल राजपूत को ही बढ़ाने में लगे रहे जिसके कारण ब्राह्मण ,ओ बी सी ,दलित योगी आदित्यनाथ से नाराज चल रहे । प्रदेश मे असंतोष बर्ग किसी भी कीमत पर योगी जी को हराना चाहते हैं । हालाकि भाजपा केन्द्रीय नेता बाह्मणो को खुश करने के कांग्रेस के युवा ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद को आनन - फानन मे भाजपा शामिल कर ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी दुर करने की असफल प्रयास जरूर किया गया । भाजपा की डायमेज कन्ट्रोल कितना कामयाब होगा ' ये तो आने वाले विधान सभा के चुनाव के परिणाम ही बतायेगा । अभी पार्टी पं० बंगाल के विधान सभा चुनाव की हार पर आल मंथन व काँग्रेस के युवा नेता व राहुल गाँधी के करीबी माने जाने वाले जितेन्द्र प्रसाद के पार्टी मे शामिल होने जशन मे डुबी ही थी तभी पं० बंगाल के मुख्य मंत्री ममता बनर्जी के टी एम सी पार्टी के मुकूल राय ने भाजपा को अलविदा कह कर टी एम सी मे पुनः शामिल हुए । तथा टी एम सी के प्रसंसको को यह खुश खबरी दी कि पं बंगाल विधान सभा चुनाव से पूर्व पार्टी छोड कर जो नेता भाजपा में शामिल हुए वे टी एम सी नेताओ की घर वापसी होने वाले है यह खबर भाजपा के शीर्ष नेताओ के लिए अच्छी खबर नही है । ऐसे मे पं० बंगाल की शेरनी ने ना केवल पार्टी को बंगाल की सता से बाहर का रास्ता दिखाया ब्लकि केन्द्र की राजनीति मे अपनी दबंग नेतृत्व के संकेत भी दिये है। अगर यूपी में भी पं० बंगाल की तरह बीजेपी हार जाती है तो अगामी 2024 में लोक सभा चुनाव दिल्ली के सत्ता के सिंघासन तक पहुंचना कठिन हो जाएगा । राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ चाहती है कि उत्तर प्रदेश में हिंदू वोट का संगठित करने के लिए योगी जी का चेहरा जरूरी है ।योगी जी को लेकर इस समय आर एस एस और बीजेपी की हालत साँप व छछूंदर वाली हो गई है ।अगर योगी जी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री चेहरा दिखा कर विधानसभा चुनाव लड़ा जाता है तो लोगों के नाराजगी के कारण राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा की हार हर हाल में निश्चित है । वही केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा अगर योगी जी को मुख्य मंत्री के पद से हटाया जाता है , तो योगी पार्टी में विद्रोह कर बीजेपी को तोड़ देंगे ।ऐसी स्थिति भी बीजेपी के लिए हानिकारक होगा ।योगी जी किसी की सुनने के लिए तैयार नहीं है । संघ की नजर में योगी जी को बीजेपी ने मोदी जी के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार बना कर स्टार प्रचारक के रूप में जनता के समक्ष पेश किया था। लेकिनआज के वर्तमान परिदृश्य मे योगी आदित्यनाथ मोदी जी के लिए चैलेंज बन गए हैं ।यही कारण है के भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व व प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए सिरदर्द बन गए हैं । विगत कई महीनो से पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसान बीजेपी से नाराज चल रहे हैं और पूरे यूपी में कई ब्राह्मणों का इनकाउंटर होने के बाद ब्राह्मण , दलित और ओबीसी जाति भी नाराज है । वैश्विक कोरोना जैसी महामारी में उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण ना अस्पताल में ना बेड मिला ना ऑक्सीजन मिला । राज्य मे हजारो की संख्या में लोग तड़प -तड़प कर मरते रहे ।प्रदेश मे मौत की संख्या इतनी हो गई कि बलिया,गाजीपुर,प्रयागराज में गंगा व अन्य नदियो के किनारे बालू की रेत में लाश को दफन किया गया । पवित्र गंगा जिसे मोक्षदायनी की नाम से जानी जाती थी, वे आज शव बाहनी गंगा नदियों में लाश तैरती हुई मिली । विगत दिनो जहाँ लाशे जिस तरह चिल ,कौवे व कुत्ते नोच नोच कर खा रहे थे ।उत्तर प्रदेश के कई नदियों में कोरोना मरीजों की लाश किट में लपेट कर स्वास्थ्य कर्मी लाश को फेंकते देखे गए । उपर उत्तर प्रदेश की राजनीति मे किसानो की भुमिका को नजर अंदाज नही की जा सकती है। विगत 6- 7 महीनो से तीन नये कषि कानुन के वापसी को लेकर दिल्ली की सीमाओ पर घरना प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार से विरोध कर रही है। परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश के जनता में आज भी भारी आक्रोश व्याप्त है।राजनीति के पंडितओ का मानना है कि उत्तर प्रदेश मे चुनाव जीतने के लिए पार्टी के पास एक ही रास्ता बचा है कि कट्टर हिन्दुत्व के चेहते चेहरे योगी आदित्यनाथ और आर एस एस जाति धर्म का उन्माद फैलाकर अपने पक्ष मे ऐसा बातारण बनाया जाय 'जिसे हिन्दू वोट का ध्रुवीकरण करेंगे ।

 केन्द्रीय नेतृत्व छोटे राजनीतिक दलो के नेता के साथ गठबन्धन करने के फिराक मे है , इसके लिए ऐन केन प्रक्रेण के संग शाम , दंड व भेद सब का प्रयोग किया जाए ।

अभी आप से यह कहते हुए विदा लेते है कि फिर आप से मिलेगे ' तीरक्षी नजर से तीखी खबर को ले कर ।

ना ही काहूँ से दोस्ती , ना ही काहूँ से बैर ।

खबरीलाल तो माँगे ,सबकी खैर॥प्रस्तुति  विनोद तकिया वाला मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार।