स्ट्रोक में मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुँचाए : फोर्टिस हॉस्पिटल डॉ राहुल गुप्ता

 




फोर्टिस नोएडा ने नोएडा की पहली 
24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन आशा लांच की 


 

 

 

नई दिल्ली (अमन इंडिया) । फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने आज अपनीसमर्पित 24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन ‘ASHA | आशा लॉन्च की जो स्ट्रोक होने और उपचार शुरू करने के बीच की दूरी को काफी हद तक कम करने में मददगार साबित होगी। दरअसल स्ट्रोक के उपचार के मामले मेंहर एक पल बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस हेल्पलाइन का नाम - आशा इस लिहाज से उपयुक्त है कि यह मरीजों और उनके परिजनों के लिए मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैऔर स्ट्रोक केयर संबंधी इस सच को दोहराती है कि समय बचाना यानि मस्तिष्क बचाना (टाइम सेव्ड इज़ ब्रेन सेव्ड)।

 

आशा स्ट्रोक हेल्पलाइन - 6230 93 6230 तत्काल ऐसी मेडिकल टीमों तक एक्सेस प्रदान करती है जो कॉलर को इमरजेंसी रिस्पॉन्स के अलावा एंबुलेंस सेवाओं के लिए तालमेलस्ट्रोक स्पेश्यलिस्ट को एडवांस में अलर्ट करनेऔर मरीज के अस्पताल पहुंचने ही इलाज शुरू करना सुनिश्चित करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में तेजी दिखाने सेखासतौर से ‘गोल्डन आवर’ के दौरानयानि स्ट्रोक शुरू होने के पहले 60 मिनटों की अवधि मेंसमय पर हस्तक्षेपकरने से मृत्यु और स्थायी विकलांगता का रिस्क काफी कम किया जा सकता है। 

 

फोर्टिस नोएडा स्ट्रोक हेल्पलाइन को स्ट्रोक रिस्पॉन्स के ममाले में मौजूदा दूरियों को कम करने के मकसद से शुरू किया है और यह कॉलर्स को स्ट्रोक के उन लक्षणों को पहचानने में मदद करती है जो वैश्विक स्तर पर स्वीकृत हैं यानि (BE-FAST)  संतुलन की समस्यादृष्टि समस्याचेहरा लटकनाबाजुओं या हाथ-पैरों में कमजोरी, जुबान लड़खड़ाना या बोलने में परेशानी।

 

डॉ राहुल गुप्ता सीनियर डायरेक्टर एंड एचओडी न्यूरोसर्जरी फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहाहर सालभारत में करीब 15-18 लाख नए स्ट्रोक के मामले सामने आते हैंलेकिन इसके बावजूद दस में से एक व्यक्ति ही थ्रोम्बोलिसिस जैसी थेरेपी का विकल्प चुनता है। यह अंतर मेडिकल क्षमता के अभाव की वजह से नहीं हैबल्कि लक्षणों और उपचार की गंभीरता के प्रति जागरूकता की कमी के कारण है। स्ट्रोक के मामले मेंहर सेकंड महत्वपूर्ण होता हैहर मिनट की देरी होने परलाखों मस्तिष्क कोशिकाएं मृत हो जाती हैंजिससे स्थायी विकलांगताकॉग्निटिव नुकसानया मृत्यु का रिस्क बढ़ जाता है। फोर्टिस नोएडा की स्ट्रोक हेल्पलाइन ‘आशा’ ने लक्षणों और एक्सपर्ट केयर के बीच की दूरी को दूर किया हैताकि परिवार चिंताजनक लक्षणों/संकेतों को तेजी से पहचान सकेंतत्काल एक्सपर्ट परामर्श मिल सके और मरीजों को गोल्डन विंडो में लाइफ-सेविंग स्ट्रोक थेरेपी की क्षमता से सुसज्जित अस्पताल पहुंचाना सुनिश्चित हो सके। स्ट्रोक के मामले मेंसमय ही ब्रेन है  और आशा उन परिस्थितियों में उम्मीद जगाती है जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”

डॉ ज्योति बाला डायरेक्टर एंड हेड न्यूरोलॉजी फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहाजल्द से जल्द निदान और तत्काल उपचार मिलने से ब्रेन को रक्तापूर्ति बहाल करने में मदद मिलती है और यही स्ट्रोक में सफल उपचार की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। मरीज की कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर थक्का-घुलाने वाली दवााएं या मैकेनिकल थ्रोम्बाक्टॅमीजो कि थक्का हटाने के लिए मिनीमैली इन्वेसिव प्रक्रिया हैकी सलाह देते हैं। बेशक उपचार की विंडो 4.5 घंटे तक हो सकती हैलेकिन लक्षण दिखायी देने के बाद शुरुआती 60 मिनटों के भीतर उपचार मिलने से नतीजे काफी बेहतर होते हैं। हर मिनट कम होने से ब्रेन की सुरक्षा होती है।”

 

डॉ नेहा पंडिता सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहाभारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में स्ट्रोक के सर्वाधिक मामले होते हैंजो हाइपरटेंशनडायबिटीज़मोटापातनाव या सही नींद नहीं लेने की वजह से है। लेकिन इनसे भी बड़ा संकट इस बारे में जागरूकता 

 

की कमी होना है। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें शीघ्र मूल्यांकन और समय पर मेडिकल सहायता तथा हस्तक्षेप बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसमें रक्तापूर्ति बाधित होने की वजह से मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मृत होने लगती हैं। करीब दस में से आठ स्ट्रोक के मामलों में लाइफस्टाइल में आसान बदलाव कर जैसे नियमित व्यायाम और धूम्रपान की आदत छोड़ने तथा ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ को नियंत्रित रखकर बचाव संभव है।

मोहित सिंहजोनल डायरेक्टरफोर्टिस हॉस्पीटलनोएडा ने कहाहमारी 24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन  “आशा” का मतलब है कि एक्सपर्ट स्ट्रोक केयर महज़ एक कॉल की दूरी पर है चाहे आप जहां भी हो। इस हेल्पलाइन से प्रशिक्षित नर्सेंइमरजेंसी फिजिशियन और न्यूरोलॉजिस्ट चौबीसों घंटे जुड़े हैंसाथ हीरिमोट इलाकों में रह रहे मरीजों के लिए भी टेली-स्ट्रोक सपोर्ट की सुविधा हैऔर इस प्रकार हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हरेक मरीज को सही समय पर सही देखभाल मिल सके।