फोर्टिस नोएडा में करवा चौथ के अवसर पर पति ने दिया अपनी पत्नी को प्यार का खास तोहफा पत्नी की जीवनरक्षा के लिए डोनेट की अपनी किडनी
नोएडा (अमन इंडिया) । करवा चौथ के मांगलिक अवसर को प्यार और हिम्मत का बेहद खास त्योहार बनाते हुए, एक पति ने अपनी बीमार पत्नी को किडनी दान कर जीवन का सही मायने में उत्सव मनाया है। 50 वर्षीय पवन रावत ने अपनी 47-वर्षीय पत्नी मनीषा रावत को फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा में किडनी डोनेट कर उपवास और पूजा-अर्चना के इस त्योहार को जीवनसाथी के प्रति समर्पण और जीवन की उम्मीद दिलाने वाले अवसर में बदल डाला।
2021 में श्रीमती रावत को क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (सीकेडी) से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई थी ।यह एक दीर्घकालिक कंडीशन होती है जिसमें हमारे गुर्दे (किडनी) शरीर में ब्लड से अपशिष्ट/कचरा पदार्थों को फिल्टर करने की क्षमता धीरे-धीरे खो देते हैं। लगातार इलाज के बावजूद, मनीषा की हालत बिगड़ती जा रही थी और इस साल अप्रैल में उनकी किडनी फेल हो गई, जिसके चलते उन्हें लगातार डायलसिस पर रखने की जरूरत पड़ी। तब मनीषा ने अगले दो महीने वैकल्पिक थेरेपी को चुना ताकि उनकी हालत में कुछ सुधार हो सके, लेकिन उनकी सेहत और बिगड़ती चली गई।
इस साल जुलाई में उन्हें बेहद गंभीर हालत में फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा में भर्ती कराया गया जहां जांच के बाद पता चला कि वह गंभीर रूप से फ्लूड ओवरलोड, हार्ट फंक्शन में कमजोरी और अत्यधिक थकान से ग्रस्त थीं। उपचार के दौरान, उन्हें दो बार कार्डियाक अरेस्ट भी हुआ लेकिन फोर्टिस की मेडिकल टीम ने दोनों बार उनकी जान बचा ली।
उनकी हालत को स्थिर करने के बाद डॉक्टरों ने सूचित किया कि उनके लंबे जीवन के लिए किडनी ट्रांसप्लांट एकमात्र विकल्प है। हालांकि उनकी 68-वर्षीय मां ने अपनी किडनी डोनेट करने की इच्छा जतायी लेकिन उनकी अधिक उम्र और स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियों के मद्देनज़र डॉक्टरों ने उन्हें मेडिकल आधार पर अनुपयुक्त (अनफिट) घोषित कर दिया। जब अन्य रिश्तेदारों ने भी गुर्दा दान करने से इंकार कर दिया तो रावत ने बिना किसी संकोच के कहा, “अपनी पत्नी का जीवन बचाना मेरा कर्तव्य है, और इस बार मैं अपने शरीर का एक हिस्सा देकर अपने इस कर्तव्य को निभाऊंगा।नेफ्रोलॉजिस्ट, यूरोलॉजिस्ट और एनेस्थीसियोलॉजिस्टी की एक मल्टीडिसीप्लीनरी टीम के नेतृत्व में ट्रांसप्लांट सर्जरी 10 अक्टूबर को जब हुई। हालांकि यह प्रक्रिया करीब 3 घंटे चली और तकनीकी रूप से रूटीन थी । लेकिन रावत की नाजुक हालत और उनके कमजोर कार्डियाक फंक्शन के मद्देनज़र यह हाइ-रिस्क सर्जरी थी।
डॉ अनुजा पोरवाल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा रावत इलाज के लिए हमारे अस्पताल में आयी थीं, तो उनकी हालत काफी गंभीर थी। डायलसिस से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही थी, और उन्हें दो बार कार्डियाक अरेस्ट भी हो चुके थे। ऐसे में ट्रांसप्लांट का विकल्प ही उनके जीवन के लिए उम्मीद की किरण था। यह मामला इस वजह से उल्लेखनीय बन गया कि उनके पति ने डोनेशन का फैसला किया, जो कि भारत में काफी दुर्लभ है और यहां ज्यादातर डोनर्स महिलाएं ही होती हैं।”
डॉ पीयूष वार्ष्णेय, डायरेक्टर – यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल नोएडा ने कहा रावत की नाजुक स्थिति के चलते यह हाइ-रिस्क सर्जरी थी। लेकिन उनके पति की हिम्मत और अपनी जीवनसंगिनी के प्रति उनका प्रेम पूरी टीम के लिए प्रेरणा बना। इस मामले से एक बार फिर यह साबित हो गया है कि मेडिसिन केवल स्किल ही नहीं है बल्कि दयाभाव, टाइमिंग और असाधारण मानवीय जज़्बे को भी अपने में समेटे हुए है।इस सर्जरी के बाद, डोनर और रेसिपिएंट दोनों ही स्वास्थ्यलाभ कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि श्रीमती रावत इलाज के बाद पॉजिटिव तरीके से रिस्पॉन्ड कर रही हैं और रिकवरी के बाद वह लगभग नॉर्मल लाइफ जीने में समर्थ होंगी।
एक ऐसे दिन जबकि अनगिनत संख्या में पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं, फोर्टिस नोएडा एक पति द्वारा अपनी पत्नी को बेहद खास उपहार का साक्षी बना – यह था जीवन का उपहार। यह मामला अंगदान के जीवनरक्षक प्रभाव का रिमाइंडर है, यह समय पर मेडिकल इंटरवेंशन के महत्व को रेखांकित करता है, और उस दयाभाव को परिभाषित करता है जो आधुनिक चिकित्सा का आधार है।