दिल्ली/एनसीआर (अमन इंडिया ) । गर्मी का मौसम साँपों के सक्रिय होने का समय होता है। भारत में साँप के काटने की समस्या बेहद गंभीर है। हर साल हजारों लोग साँप के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं या गंभीर रूप से अपंग हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में हर साल करीब 45 से 54 लाख लोगों को साँप काटता है, जिनमें सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, जिसे अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा है और इसका सबसे ज्यादा असर गरीब व पिछड़े इलाकों के लोगों पर पड़ता है।
नवंबर 2024 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने साँप के काटने के मामलों और इससे होने वाली मौतों को 'अधिसूचित बीमारी' घोषित किया है। इसका मतलब यह है कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों (मेडिकल कॉलेजों सहित) को साँप के काटने के हर संदिग्ध मामले की जानकारी देना अनिवार्य होगा। इससे साँप के काटने से जुड़ा बेहतर डेटा इकट्ठा किया जा सकेगा, जो भारत में इस समस्या की रोकथाम और प्रभावी इलाज की रणनीति तैयार करने में मदद करेगा।
भारत में 90% से अधिक साँप के काटने के मामले चार प्रमुख जहरीले साँपों - कॉमन क्रेट, भारतीय कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर के कारण होते हैं। साँप के ज़हर से शरीर के कई हिस्सों को गंभीर नुकसान हो सकता है, जैसे आंतरिक रक्तस्राव, लकवा, ऊतक नष्ट होना, मांसपेशियों का टूटना, हृदय की समस्याएं, किडनी फेल होना, रक्तचाप में तेज़ गिरावट (हाइपोवोलेमिक शॉक) और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।
साँप के काटने पर क्या करें?
अगर किसी को साँप काट ले तो सबसे ज़रूरी है कि पीड़ित को तुरंत नज़दीकी अस्पताल ले जाया जाए। इलाज में ज़रा भी देर जानलेवा हो सकती है।
शांत रहें और शरीर को कम से कम हिलाएं-डुलाएं, ताकि ज़हर तेजी से शरीर में न फैले।
सूजन से बचने के लिए गहने और टाइट कपड़े हटा दें।
काटे गए हिस्से को दिल के स्तर से नीचे रखें, ताकि ज़हर शरीर में तेजी से न फैले।
क्या न करें?
काटे गए हिस्से को धोएं नहीं, क्योंकि इससे ज़हर तेजी से फैल सकता है।
घाव को कसकर न बांधें, इससे रक्त प्रवाह रुक सकता है और स्थिति और बिगड़ सकती है।
काटे गए हिस्से पर बर्फ या कोई कड़ी पट्टी (टूर्निकेट) न लगाएं।
घाव को न काटें और न ही ज़हर चूसने की कोशिश करें, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
शराब या कैफीन वाली चीजें न पिएं, क्योंकि इससे ज़हर तेजी से फैल सकता है।
दर्द या परेशानी होने पर खुद से कोई दवा न लें, सही इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं।
भारत में ज़्यादातर साँप के काटने के मामले गांवों में होते हैं। लगभग 60-80% मामलों में साँप टखनों और पैरों पर काटते हैं, खासतौर पर उन किसानों को जो नंगे पैर खेतों में काम करते हैं या बिना मशीनों के खेती करते हैं। इसके अलावा, कम रोशनी और खराब घरों की वजह से साँप आसानी से लोगों के घरों में घुस जाते हैं, जिससे जोखिम और बढ़ जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 20-30% लोग ही अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं। सही प्राथमिक उपचार न मिलना, इलाज में देरी और गलत इलाज की वजह से कई लोगों की हालत और बिगड़ जाती है। कई लोग घरेलू नुस्खों या ओझा और झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है।
जहरीले साँप के काटने का सबसे अच्छा इलाज अच्छी क्वालिटी का एंटीवेनम देना है। अच्छी क्वालिटी का एंटीवेनम सबसे अच्छा इलाज है जिससे कई मौतों को रोका जा सकता है और गंभीर विकलांगता में कमी लाई जा सकती है। अच्छी क्वालिटी का एंटीवेनम उन लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है जिन्हें खतरा है, और यह साँप के काटने से होने वाली मौतों के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षित और असरदार है।
साँप के काटने से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, और इसके लिए जागरूकता और इलाज तक पहुंच जरूरी है। नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ स्नेकबाइट एनवेनॉमिंग (NAPSE) एक ऐसी योजना है जो राज्यों को ‘वन हेल्थ’ नजरिये के माध्यम से साँप के काटने के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिए अपनी कार्य योजना विकसित करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करती है। NAPSE का मुख्य लक्ष्य 2030 तक साँप के काटने के मामलों को आधा करना है।