फोर्टिस के डॉक्टर ने हाफ मैराथन में दौड़ने वाले एक अन्य धावक को तत्काल सीपीआर देकर बचायी जान

 

गुरुग्राम (अमन इंडिया ) ।  फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के डॉ रमित वाधवा,  कंसल्टेंट, नॉन इन्वेसिव कार्डियोलॉजी ने निस्वार्थ सेवाभाव का परिचय देते हुए हाल में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित दिल्ली हाफ मैराथन के दौरान अपनी मेडिकल विशेषज्ञता और त्वरित एक्शन प्लान को प्रदर्शित किया। डॉ वाधवा ने हाफ मैराथन में दौड़ रहे एक अन्य धावक के रेस के दौरान गिरते ही इस मेडिकल इमरजेंसी को समझा और मरीज को सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिएशन) दिया। उनके तुरंत निर्णय लेने के इस प्रयास ने न सिर्फ मरीज की जान बची बल्कि यह भी एक बार फिर साबित हुआ कि हमें क्लीनिकल सेटिंग्स के बाहर भी हमेशा मेडिकल इमरजेंसी के लिए तत्पर रहना चाहिए। 

रेस के दौरान, डॉ वाधवा ने देखा कि एक धावक दौड़ते हुए अचानक गिर पड़ा। डॉ वाधवा ने बिना देरी और संकोच किए स्वयं आगे बढ़कर मरीज को सीपीआर दिया। समय पर उपचार मिलने से धावक को तुरंत रिवाइव करने और एंबुलेंस से नज़दीकी अस्पताल पहुंचाने से पहले स्थिर करने में मदद मिली। 

इस घटना के बारे में, डॉ रमित वाधवा  , कंसल्टेंट, नॉन-इन्वेसिव कार्डियोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने बताया, “मैराथन के दौरान, एक धावक फिनिश लाइन से करीब आधा मील पहले गिर गया। मैंने देखा कि कुछ अन्य धावक भी उनकी मदद के लिए रुक चुके थे, तब मैं भी रेस छोड़कर उन्हें देखने के लिए आगे बढ़ा। मुझे लगा कि वे डीहाइड्रेट हो चुके थे और कुछ उनींदे भी हो रहे थे, वह कुछ समझ भी नहीं पा रहे थे, हालांकि उनकी नब्ज चल रही थी लेकिन काफी कमजोर थी। साथ ही, उन्होंने अपने दांत बुरी तरह से भींच रखे थे और इस वजह से उनकी जीभ भी कट गई तथा उन्हें उल्टी होने लगी। मैंने अन्य साथी धावकों की मदद से उन्हें सीपीआर दिया और उनके वायुमार्ग को खोले रखने का प्रयास किया। कुछ ही देर में घटनास्थल पर एक एंबुलेंस पहुंच चुकी थी और हम मरीज को नजदीकी मेडिकल कैंप लेकर गए। रास्ते में हमने, उन्हें IV कैन्युला लगाकर IV फ्लूड्स देना शुरू किया। हमने एंबू बैग और मास्क की मदद से उन्हें सांस लेने में मदद देना जारी रखा। कैंप पहुंचने तक मरीज को होश आ चुका था लेकिन वह डिसओरियेंटेड थे और कुछ भ्रमित भी थे। इस बीच, नज़दीकी अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम भी उन्हें मदद देने के लिए पहुंच चुकी थी और धीरे-धीरे उनकी हालत स्थिर हो रही थी।”

डॉ रमित ने कहा, “इस तरह की एंड्योरेंस दौड़ के लिए कम से कम 3 से 6 महीने की उचित प्रकार की ट्रेनिंग जरूरी होती है। इस तरह के इवेंट्स में भाग लेने से पहले, किसी भी व्यक्त को कुछ जरूरी कार्डियाक चेक-अप जैसे ईसीजी, इको (ECHO) स्ट्रैस, इको (ECHO) वगैरह जरूर करवाने चाहिए। साथ ही, दौड़ के दौरान हाइड्रेशन और इलैक्ट्रोलाइट्स का ध्यान रखना भी जरूरी होता है क्योंकि पसीना बहने की वजह से शरीर से इलैक्ट्रोलाइट्स निकल जाते हैं, जिसके चलते गंभीर डीहाइड्रेशन और इलैक्ट्रोलाइट असंतुलन भी पैदा हो सकता है। ऐसा होने पर कार्डियाक एरिथमिया (हृदय गति में गड़बड़ी) हो सकता है जो घातक भी साबित हो सकता है। साथ ही, लोगों को सीपीआर ट्रेनिंग जैसी जरूरी प्रक्रियाओं के बारे में भी अवगत कराया जाना चाहिए ताकि वे एंबुलेंस या मेडिकल सहायता उपलब्ध होने तक मरीज को बेसिक लाइफ सपोर्ट दे सकें। शुरुआती मिनट ही ऐसे मरीजों के लिए काफी महत्वपूर्ण हेते हैं।”

यश रावत, फेसिलटी डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम ने कहा, “मैं भी इस हाफ मैराथन में दौड़ रहा था और मैं सीपीआर के महत्व को बखूबी समझता हूं। इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि इमरजेंसी प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षण प्राप्त होना कितना महत्वपूर्ण होता है तथा इस तरह की जानकारी जीवन और मृत्यु के बीच अंतर पैदा कर सकती है। फोर्टिस हेल्थकेयर आम पब्लिक को कार्डियाक हेल्थ तथा सीपीआर ट्रेनिंग के बारे में जागरूक बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कुशल हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स अस्पताल की दीवारों से बाहर भी जीवन में भारी बदलाव ला सकते हैं। ऐसी घटनाएं लोगों को सीपीआर सर्टिफिकेशन प्राप्त करने तथा समाज में फर्स्ट रिस्पॉन्डर को तैयार करने के लिए प्रेरित करती हैं। डॉ वाधवा की घटनास्थल पर मानसिक चुस्ती और आगे बढ़कर त्वरित कार्रवाई करने की यह घटना फोर्टिस हेल्थकेयर के देखभाल, दयाभाव तथा उत्कृष्ट चिकित्सकीय सहायता करने के मूल्यों को दर्शाती है।