फेलिक्स अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रियदर्शी जीतेन्द्र कुमार ने विश्व फेफड़ा दिवस पर रखी अपनी बात



बीड़ी और सिगरेट मानव शरीर के फेफड़ों को कर रहे छलनी 

-अधिक मात्रा में धूम्रपान करने के कारण युवाओं के फेफड़े समय से पहले होते हैं खराब 


नोएडा (अमन इंडिया ) । बीड़ी और सिगरेट का सेवन फेफड़ों के लिए अत्यंत हानिकारक है। इनमें पाए जाने वाले रसायन और विषाक्त तत्व फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। भारत में बीड़ी का सेवन सिगरेट से ज्यादा होता है, क्योंकि यह सस्ती होती है और ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उपलब्ध होती है। लेकिन चाहे बीड़ी हो या सिगरेट दोनों ही फेफड़ों को समान रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। यह बातें फेलिक्स अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रियदर्शी जीतेन्द्र कुमार ने विश्व फेफड़ा दिवस पर कही। उन्होंने बताया कि हर साल 25 सितंबर को विश्व फेफड़ा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य फेफड़ों की बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, फेफड़ों की देखभाल को प्रोत्साहित करना और फेफड़ा स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करना है। फेफड़े हमारी श्वसन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और विभिन्न प्रकार की बीमारियों, जैसे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और फेफड़ों में संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। फेफड़ों को सबसे ज्यादा छलनी बीड़ी और सिगरेट करते हैं। सिगरेट और बीड़ी में निकोटीन, तार, कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया, और अन्य कई हानिकारक रसायन पाए जाते हैं। ये रसायन सीधे श्वसन नलिकाओं और फेफड़ों की कोशिकाओं में जाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। तार और अन्य कैंसरजनक रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं में बदलाव करते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट और बीड़ी पीने वालों में फेफड़ों के कैंसर की संभावना नॉन-स्मोकर्स की तुलना में कई गुना अधिक होती है। सिगरेट और बीड़ी पीने से सीओपीडी का खतरा भी बढ़ता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें श्वसन नलिकाएं स्थायी रूप से संकीर्ण हो जाती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। यह बीमारी अक्सर अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस से मिलती-जुलती है लेकिन अधिक गंभीर होती है। लगातार धूम्रपान से फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे ब्रॉन्काइटिस हो सकता है। यह स्थिति फेफड़ों की श्वसन नलिकाओं में सूजन और बलगम का निर्माण करती है, जिससे खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है। सिगरेट और बीड़ी पीने से फेफड़ों की वायु थैलियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस स्थिति को एम्फाइसीमा कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति की श्वसन क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। यह एक प्रगतिशील बीमारी है और इसका इलाज करना कठिन है। धूम्रपान करने वालों की प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे वे सांस की अन्य बीमारियों, जैसे निमोनिया और टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।  धूम्रपान से होने वाली फेफड़ों की बीमारियों का इलाज संभव है, लेकिन यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। सीओपीडी और ब्रॉन्काइटिस में दवाइयां दी जाती हैं जो फेफड़ों में सूजन कम करती हैं और श्वास नलिकाओं को खोलने में मदद करती हैं। फेफड़ों के कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी शामिल हैं। कैंसर की पहचान शुरुआती चरण में हो तो इलाज के बेहतर परिणाम मिलते हैं। एम्फाइसीमा का उपचार बीमारी का इलाज दवाइयों और ऑक्सीजन थेरेपी के माध्यम से किया जाता है। गंभीर मामलों में फेफड़ा प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता हो सकती है। निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी, परामर्श और दवाइयां धूम्रपान छोड़ने में सहायक हो सकती हैं। बीड़ी और सिगरेट का सेवन न केवल फेफड़ों को, बल्कि पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका धूम्रपान से पूरी तरह से परहेज करना है। स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली अपनाकर और समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेकर आप अपने फेफड़ों को स्वस्थ रख सकते हैं।


फेफड़े खराब होने के लक्षण ः

धूम्रपान करने वालों में खांसी सामान्य बात हो सकती है, लेकिन यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है। खांसी में बलगम आना या खून आना फेफड़ों में होने वाली समस्या का लक्षण हो सकता है।

थोड़ी-सी मेहनत या हल्की शारीरिक गतिविधि के बाद भी सांस फूलना एक प्रमुख लक्षण है।

धूम्रपान से फेफड़ों की सूजन और क्षति के कारण छाती में लगातार दर्द हो सकता है।

फेफड़ों की क्षमता घटने से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे व्यक्ति हमेशा थका हुआ महसूस करता है।

लगातार धूम्रपान से आवाज भारी हो सकती है, क्योंकि यह श्वासनली में सूजन और जलन का कारण बनता है।


फेफड़ों के स्वस्थ रखने का तरीका

जितनी जल्दी हो सके, धूम्रपान छोड़ना सबसे अच्छा कदम है। इसके लिए चिकित्सक की सलाह लें और निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एनआरटी) का सहारा ले सकते हैं।

धूम्रपान के अलावा, वायु प्रदूषण भी फेफड़ों के लिए हानिकारक है। मास्क पहनें और प्रदूषित वातावरण में अधिक समय न बिताएं।

फेफड़ों की सेहत के लिए एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर भोजन करें, जैसे फल, सब्जियां और नट्स।

फेफड़ों को मजबूत करने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम, जैसे योग, तैराकी या दौड़ना, अत्यंत लाभकारी होता है।

धूम्रपान करने वालों को नियमित रूप से फेफड़ों की जांच करानी चाहिए ताकि किसी भी गंभीर बीमारी का पता समय पर लगाया जा सके।