जब हर सेकंड होता है बेशकीमतीः कोलकाता से हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचा हृदय
फोर्टिस हॉस्पीटल, गुरुग्राम में 34 वर्षीय मरीज को लगाया गया,
मरीज को मिला नया जीवनदान
~मूसलाधार बारिश और रेंगते ट्रैफिक के बावजूद दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट से फोर्टिस गुरुग्राम के बीच 18 किलोमीटर की दूरी को ग्रीन कॉरिडोर की बदौलत
मात्र 13 मिनट में तय किया गया~फोर्टिस गुरुग्राम में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट ~
गुरुग्राम (अमन इंडिया ) । दिल्ली/एनसीआर में 31 जुलाई, 2024 को अचानक आयी भारी बारिश से जहां एक ओर पूरा शहर जूझ रहा था, उसी दौरान फोर्टिस गुरुग्राम में डॉक्टरों की टीम ने कोलकाता में एक 54-वर्षीय ब्रेन डैड महिला का हृदय रोहतक, हरियाणा के 34 साल के मरीज में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट कर उन्हें नया जीवनदान दिया। मरीज डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी की समस्या से पीड़ित थे।
डोनर हार्ट को कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल से लाया गया था जहां सड़क दुर्घटना में घायल 54-वर्षीय मरीज को भर्ती किया गया था, और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया था। NOTTO से मंजूरी मिलने के बाद, फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के डॉक्टरों की एक टीम ब्रेन डैड मरीज का हार्ट रिट्रीव करने के लिए कोलकाता रवाना हुई। मृतक के शरीर से निकाले गए हार्ट को जल्द से जल्द गुरुग्राम लाने के लिए कोलकाता पुलिस ने कोलकाता के सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया।
हार्ट को इंडिगो एयरलाइंस की उड़ान से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और फिर एयरपोर्ट से वीआईपी निकासी द्वार से इसे सुगमतापूर्वक बाहर लाया गया। इसके बाद, दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस ने आपस में भरपूर तालमेल का परिचय देते हुए एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया जिसकी बदौलत आईजीआई एयरपोर्ट से फोर्टिस गुरुग्राम के बीच 18 किलोमीटर की दूरी, भारी बारिश के चलते सड़कों पर रेंगते ट्रैफिक के बावजूद, केवल 13 मिनटों में तय की गई।
इस प्रक्रिया में करीब 4 घंटे लगे और इसे पूरा करने के लिए लगभग 100 पुलिस अधिकारियों का सहयोग लिया गया। आखिरकार कोलकाता से गुरुग्राम तक सुरक्षित तरीके से लाए गए हृदय को डॉ उद्गीथ धीर, कार्डियोथोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी, फोर्टिस गुरुग्राम के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया। ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से मरीज को लगातार कार्डियाक आईसीयू में निगरानी में रखा गया है और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
34-वर्षीय मरीज को काफी गंभीर हालत में फोर्टिस गुरुग्राम भर्ती किया गया था, उस समय उनका हृदय 10-15% ही काम कर रहा था और वह पहले से ही आर्टिफिशियल हार्ट सपोर्ट (एलवीएडी) लेफ्ट वेंट्रिक्यूलर असिस्ट पर थे। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए उन्हें NOTTO लिस्ट में रजिस्टर किया गया था। हालांकि हार्ट फेलियर प्रोटोकॉल ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया था, लेकिन मरीज काफी वित्तीय संकट से भी जूझ रहे थे। उनकी गंभीर हालत और इसके चलते कम समय को देखते हुए, फोर्टिस गुरुग्राम की टीम ने वित्तीय सहायता के लिए हरियाणा सरकार से संपर्क किया। साथ ही, मरीज के इलाज के लिए धनराशि जुटाने हेतु एक कैम्पेन भी शुरू किया गया।
कुछ ही दिनों में, फोर्टिस गुरुग्राम को कोलकाता में इस संभावित डोनर के बारे में जानकारी मिली। फोर्टिस ने तत्काल इंडिगो एयरलाइंस से संपर्क कर हृदय को दिल्ली लाने का अनुरोध किया।
ट्रांसप्लांटेशन का ब्योरा देते हुए, डॉ उद्गीथ धीर, कार्डियोथोरेसिक वास्क्युलर सर्जरी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने बताया, “इस मामले में तत्काल हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी करना बेहद जरूरी था क्योंकि मरीज की हालत डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी की वजह से काफी गंभीर थी और वे एडवांस हार्ट फेलियर स्टेज में थे। अस्पताल स्टाफ, ट्रैफिक पुलिस और इंडिगो एयरलाइंस के बीच तालमेल के चलते कोलकाता से हार्ट को कम से कम समय में दिल्ली पहुंचाया गया। यदि मरीज का तुरंत उपचार नहीं किया जाता तो वे एडवांस हार्ट फेलियर की अवस्था में रहते, जिसमें पल्मोनेरी आर्टरी प्रेशर भी बढ़ता जाता, और आने वाले दिनों में वे सर्जरी के लायक भी नहीं रहते। साथ ही, उस स्थिति में पहुंचने के बाद हार्ट ट्रांसप्लांट की संभावना भी काफी कम हो सकती थी। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है, और हमें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में वह चलने-फिरने लगेंगे।”
श्री यश रावत, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कहा, “यह फोर्टिस गुरुग्राम में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट है। हम डोनर के परिवार के आभारी हैं जिन्होंने अपने ब्रेन डैड परिजन के अंग को दान करने और अपार दुःख की इस घड़ी में भी एक अनजान जीवन को बचाने का फैसला किया। हम नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यूज ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइज़ेशन (नोटो) के भी आभारी हैं जिन्होंने डोनेशन की पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाया। हम तत्काल रिस्पॉन्स देने के लिए इंडिगो एयरलाइंस तथा ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के लिए कोलकाता, दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस के आभारी हैं, इनके सहयोग से ही हार्ट को तत्काल ट्रांसपोर्ट किया जा सका। साथ ही, मैं सरकार के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस पूरे मामले में प्राथमिकता के आधार पर जरूरी सुरक्षा एवं सहयोग प्रदान किया। विभिन्न पक्षों के बीच इस तालमेल के चलते ही महत्वपूर्ण जीवन बचाया जा सका है।”
इंडिगो एयरलाइंस के प्रवक्ता ने बताया, “हम जीवनरक्षा के इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर बेहद सम्मानित महससू कर रहे हैं। इंडिगो में हमारी टीम को फोर्टिस हॉस्पीटल के मेडिकल प्रोफेशनल्स, पुलिस एवं अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ सहयोग करने पर बेहद गर्व है। सभी के सहयोग से समय पर हृदय को ट्रांसपोर्ट कर प्रतीक्षारत मरीज को लगाया जा सका। ऐसी परिस्थितियों में एक-एक सेकंड बेहद कीमती होता है, और हम सभी सहयोगियों के बेहद आभारी हैं कि उन्हें इस पूरी प्रक्रिया को सफल बनाने में हर संभव सहयोग हमें प्रदान किया। हम कोलकाता और दिल्ली एयरपोर्ट स्टाफ के भी आभारी हैं, साथ ही एयरलाइंस के समर्पित क्रू सदस्यों के प्रति भी आभार ज्ञापन करते हैं जिन्होंने तत्काल कार्रवाई कर इस महत्वपूर्ण मिशन में अपना पूरा योगदान दिया।”
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 5 लाख भारीतय ऑर्गन फेलियर की समस्या से जूझते हैं, और केवल 2 से 3 प्रतिशत को ही जीवनरक्षक ट्रांसप्लांट का लाभ मिल पाता है। हर साल, सैंकड़ों भारतीय अंग दान की प्रतीक्षा करते हुए अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। अंग दान/प्रत्यारोपण के बारे में जागरूकता के अभाव और गलतफहमियों के चलते, अंग दानकर्ताओं की लगातार कमी बनी हुई है। और हर साल, दान किए गए अंगों तथा ट्रांसप्लांट का इंतजार करने वाले लोगों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।