स्वास्थ्य सेवा में निवेश से खुलेंगे देश की तरक्की के रास्ते : डॉ. डी.के. गुप्ता




दिल्ली / नोएडा (अमन इंडिया ) । इरोस होटल नेहरू प्लेस नई दिल्ली में शुक्रवार से 13वां इलेट्स हेल्थकेयर इनोवेशन समिट का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन इलेट्स टेक्नोमीडिया और ईहेल्थ मैगजीन द्वारा आयोजित किया गया है। इस दौरान डिजिटल स्वास्थ्य इनोवेटर्स और हेल्थकेयर व्यवसाय के विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की गई। फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा में संभावनाएं अत्यंत व्यापक और विविध हैं। यह क्षेत्र निरंतर विकासशील है और नई तकनीक, नीतियों और प्रक्रियाओं के साथ प्रगति कर रहा है। मसलन टेलीमेडिसिन के माध्यम से आज ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों बैठों में किसी भी बीमारी से ग्रसित मरीज को कंसल्टेशन देना आसान हुआ है। मोबाइल हेल्थ एप्स के जरिये स्वास्थ्य निगरानी, रोग प्रबंधन उपयोग हो रहा है। अब मरीज की जानकारी रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स को डिजिटली स्टोर करना और शेयर करना आसान होता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेल्थकेयर सेक्टर में कई बदलाव लेकर आया है, जो रोगी की देखभाल और क्वालिटी जीवन जीने में मदद कर सकता है। भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जटिल और बहुआयामी है। जहां सरकारी और निजी दोनों ही सुविधा देश की 1.3 बिलियन से अधिक आबादी को चिकित्सा सेवा प्रदान कर रही हैं। सरकार ने देश की ग्रामीण आबादी के लिये स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिये कई पहलों की शुरुआत की है। जिसमें आयुष्मान भारत’ योजना है। हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में अभी भी कई चुनौतियां है। जिसमें स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और आधारभूत संरचना प्रमुख है। भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाए। सरकारी एवं निजी क्षेत्र दोनों की चुनौतियों पर सरकार ध्यान केंद्रित करें। जिससे भारत के नागरिकों की अच्छी स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। भारत में अस्पतालों की कमी है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और कई मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं में बुनियादी उपकरणों एवं संसाधनों की कमी है। भारत में प्रति 1000 जनसंख्या पर केवल 0.9 बेड उपलब्ध हैं। 30 प्रतिशत ही ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। भारत में प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में व्याप्त भिन्नता भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाए एवं संसाधन की कमी के कारण खराब देखभाल सेवा प्रदान की जाती है। भारत में सभी मौतों में से 60 प्रतिशत से अधिक के लिये गैर-संचारी रोग जिम्मेदार हैं। सबसे गंभीर चिंता है चिकित्सक और रोगी अनुपात में अंतराल होना। भारत को वर्ष 2030 तक 20 लाख चिकित्सकों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में 11000 से अधिक रोगियों पर एक चिकित्सक की सेवा उपलब्ध है जो 1000 की डब्ल्यूएचओ की अनुशंसा से काफी कम है। नई स्वास्थ्य सुविधाओं के निर्माण और मौजूदा सुविधाओं के उन्नयन के साथ-साथ चिकित्सा अनुसंधान एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिये वित्तपोषण जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का ढाई प्रतिशत है। इसे बढ़कार पांच प्रतिशत किए जाने की आवश्यकता है। स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। मेडिकल स्कूलों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या में वृद्धि करना चाहिए। स्वास्थ्य पेशेवरों को वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश की जाए। अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित किए जाए। जिससे नई दवा के विकास में अधिक निवेश का समर्थन किया जा सकें। जीवन रक्षक एवं आवश्यक दवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कम किया जाए। महिलाओं को स्वास्थ्य सेवा के बारे में जागरूक किए जाने की जरूरत है।