ई-सिगरेट का उपयोग विश्व स्तर पर बढ़ रहा

  नई रिसर्च में पहली बार सामने आई भारत, इंडोनेशिया और मेक्सिको में ऑनलाइन ई-सिगरेट मार्केटिंग की जानकारी


इन सभी तीन देशों में, भारत में ई-सिगरेट मार्केटिंग की मात्रा सबसे कम थी


इंस्टाग्राम पर थर्ड-पार्टी रिटेलर्स की मार्केटिंग सबसे ज्यादा देखने को मिली, इन पर निरंतर निगरानी की जरूरत पर बल दिया गया।


नई दिल्ली (अमन इंडिया) ।  ई-सिगरेट का उपयोग विश्व स्तर पर बढ़ रहा है, खासकर युवा और यहां तक कि बच्चे भी इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। फिर भी डिजिटल ई-सिगरेट मार्केटिंग को लेकर जानकारी बहुत कम है, विशेष रूप से भारत में इससे जुड़ी जानकारी का बेहद अभाव है, जहां [देश जहां इस समय 2,68,000 लोग इन उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं]। फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में जारी एक नया अध्ययन भारत, इंडोनेशिया और मैक्सिको में ई-सिगरेट मार्केटिंग का तुलनात्मक अध्ययन पेश करता है। तीन देश जहां ई-सिगरेट से जुड़े अलग-अलग नियम हैं और युवाओं की एक बड़ी आबादी ऑनलाइन मौजूद है, यह रिपोर्ट यहां ई-सिगरेट मार्केटिंग की सीमा और संदेश के विस्तार की जानकारी देती है। यह रिपोर्ट आम दर्शकों की सुविधा के लिए पढ़ने में आसान प्रारूप में स्टडी के प्रमुख निष्कर्षों को पेश करती है। इसमें एक फैक्ट शीट भी दी गई है, जो स्टडी के भारत केंद्रित आंकड़ों को उदाहरणों और आंकड़ों के साथ पेश करती है।


इस अध्ययन में दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक चार महीने के दौरान किए गए विश्लेषण में, ई-सिगरेट मार्केटिंग के कुल 1,437 उदाहरणों का विश्लेषण किया गया। इनमें से अधिकांश मामले इंडोनेशिया में थे, जहां प्रभावी रूप से ई-सिगरेट (72%) पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके बाद मैक्सिको के मामले थे, जहां उस समय कुछ प्रतिबंध थे (22%), और फिर भारत में, जहां पूर्ण प्रतिबंध है (6%)। ये निष्कर्ष वाइटल स्ट्रैटेजीज़ के टुबैको एन्फोर्समेंट एवंड रिपोर्टिंग मूवमेंट (TERM) द्वारा प्राप्त किए गए थे, यह एक डिजिटल टुबैको मॉनिटरिंग सिस्टम है। अपने निरंतर सोशल मीडिया मॉनिटिरिंग मैकेनिज्म के माध्यम से, टीईआरएम नीति निर्माताओं को तम्बाकू की ऑनलाइन मार्केटिंग कैसे की जाती है, इसका एक त्वरित झलक प्रदान करती है।


वैशाखी मलिक, एसोसिएट डायरेक्टर, साउथ एशिया, वाइटल स्ट्रैटेजीज ने कहा, “सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग के उदय के साथ, भारत के युवा तंबाकू उद्योग के लिए एक अधिक आसानी से उपलब्ध बाजार बन गए हैं। ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के बावजूद, भारतीय अभी भी इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ई-सिगरेट के विज्ञापन देख रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म पर ब्रांड युवाओं को आकर्षित करने के लिए रंगों और फ्लवर्स का उपयोग कर रहे हैं। विशेष रूप से मार्केटिंग से जुड़े रेगुलेशन, जो इन सभी खामियों को दूर कर सकते हैं, यही रेगुलेशन युवाओं को ई-सिगरेट का उपयोग करने से बचाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे।



दिसंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच ये ट्रेंड्स दिखाई दिए:


तीनों देशों में ई-सिगरेट मार्केटिंग देखने को मिली है, यह भारत में सबसे कम मात्रा में (6% मामले देखने को मिले), और इंडोनेशिया में सर्वाधिक मात्रा (72%) देखने को मिली। इसके बाद मेक्सिको (22%) का 

नंबर है।

भारत में, 100% मार्केटिंग थर्ड पार्टी के रिटेलर्स से जुड़े अकाउंट से देखने को मिली

तीनों देशों में से, भारत के अकाउंट ने खरीदारी के सबसे गुप्त तरीकों की पेशकश की, यहां वे केवल फोन नंबर या अक्सर व्हाट्सएप से खरीदारी की पेशकश की।

सभी तीनों देशों में, अधिकांश मैसेज प्रोडक्ट फीचर्स पर केंद्रित हैं जो युवाओं को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं और साथ ही उपभोक्ताओं को मौजूद विकल्पों जैसे कि डिवाइस का रंग, ई-लिक्विड फ्लेवर और उत्पादों के तकनीकी विवरण (भारत: 86%; इंडोनेशिया: 58%; मेक्सिको: 73%) की जानकारी प्रदान 

करते हैं।

भारत में मैसेज भेजने का दूसरा सबसे आसान तरीका एंटरटेनमेंट था, जिसमें ई-सिगरेट के साथ ट्रिक्स करने वाले लोग शामिल हैं (13%)

भारत में 60% मार्केटिंग इंस्टाग्राम पर देखी गई


नंदिता मुरुकुटला, वाइस प्रेसिडेंट, ग्लोबल पॉलिसी एंड रिसर्च, वाइटल स्ट्रैटेजीज ने कहा, “टुबैको मार्केटिंग मौजूदा तंबाकू नियंत्रण उपायों की ताकत को कम करती है और उपभोक्ताओं, विशेष रूप से युवाओं को सबसे अधिक जोखिम में डालती है। युवा ई-सिगरेट के उपयोग से जुड़े दृश्यों को देखकर इन्हें किशोरों एवं युवाओं के लिए एक हानिरहित और जरूरी आदत के रूप में देख रहे हैं। विज्ञापनों में इसे साथियों द्वारा सुझाई गई लाइफस्टाइल के रूप में दिखाया गया है। यह प्रस्तुति उद्योग द्वारा बार-बार किए जाने वाले दावों के भी एकदम उलट है, जहां ये कहा जाता है कि बाजार में मौजूद ई-सिगरेट लोगों को सिगरेट की आदत छुड़ाने में मदद करती हैं या फिर ये सिगरेट से होने वाले 'नुकसान को कम करने वाला उपकरण' है। वे देश जो ई-सिगरेट लेने वाले युवाओं और धूम्रपान न करने वालों की परवाह करते हैं, उन्हें हमारे अध्ययन से पता चलता है कि इन हानिकारक उत्पादों पर कार्रवाई न करना और मार्केटिंग को बेहतद कमजोर कानून से रेगुलेट करना कोई विकल्प नहीं है।


अध्ययन की मुख्य सिफारिशें : 


युवाओं को ई-सिगरेट पर निर्भर होने से रोकने के लिए मार्केटिंग प्रतिबंधों को लागू या मजबूत किया जाना चाहिए। मार्केटिंग प्रतिबंधों में सभी नए तम्बाकू और निकोटीन उत्पाद शामिल होने चाहिए। साथ ही ये प्रतिबंध सभी मीडिया और सभी पक्षों पर लागू होने चाहिए।

सरकारों, मीडिया और तम्बाकू नियंत्रण की वकालत करने वालों को तम्बाकू मुक्ति पर जानकारी के लिए जनता की जरूरत पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें युवाओं और बच्चों को दिए जाने वाले ऐसे भ्रामक संदेशों पर ध्यान देना चाहिए, जो ई-सिगरेट को एक नुकसान रहित उत्पाद के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

सरकारों को तम्बाकू और अन्य नए उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग को ट्रैक करने और इस पर कार्रवाई के लिए डिजिटल मीडिया निगरानी प्रणालियों में निवेश करना चाहिए। नागरिक समाज और अन्य हितधारक इसमें मदद कर सकते हैं: TERM जैसी रैपिड और निरंतर माप प्रणाली डिजिटल मीडिया मार्केटिंग की विकसित दुनिया की एक झलक पेश करती है।


फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट यहां देखें अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों के साथ कंपेनियन रिपोर्ट यहां देखें इंडिया फैक्ट शीट यहां देखें इस अध्ययन के समय, कई देशों में ई-सिगरेट के नियम अलग-अलग थे: भारत में, ई-सिगरेट पर व्यापक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था; मेक्सिको में, अध्ययन के बीच में, तंबाकू उत्पाद जैसे किसी भी उत्पाद के व्यापार, बिक्री, वितरण, प्रदर्शनी और प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून को संशोधित किया गया; इंडोनेशिया में, ई-सिगरेट की बिक्री, उपयोग या विज्ञापन को प्रतिबंधित करने वाला कोई राष्ट्रीय कानून नहीं था।