जीवनशैली के कारण अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भ धारण की समस्या : डॉ श्वेता जीवा फटिलिटी

 2000 से अधिक जोड़ों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं इनफर्टिलिटी का इलाज करवा रहीं हैं।


शहरी क्षेत्रों की 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में इनफर्टिलिटी का उपचार पहले की तुलना में बढ़ा है।


2018 से लेकर 2022 तक के एक अध्ययन के अनुसार 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


देर से शादी होना, अनुचित खानपान और जीवनशैली के कारण अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भ धारण की समस्या

नोएडा (अमन इंडिया)।  एक अध्ययन के अनुसार शहरी क्षेत्रों की अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भधारण संबंधी परेशानी के कारण इनफर्टिलिटी के उपचार का विकल्प बढ़ा है। 2018 से लेकर 2022 तक पांच सालों के भीतर 2000 जोड़ों पर एक शोध किया गया जिसमें ये पाया गया कि 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं गर्भ धारण की समस्या के चलते इनफर्टिलिटी के उपचार का विकल्प अपना रही हैं।


इसको लेकर “डॉ श्वेता गोस्वामी, निदेशक ज़ीवा फर्टिलिटी” ने अध्ययन करने वाली टीम का नेतृत्व किया और इस दौरान उन्होने पाया कि 2018 में सिर्फ 6 प्रतिशत महिलाएं 35 वर्ष से ऊपर थीं जिन्होंने इनफर्टिलिटी का विकल्प चुना और 2022 में ये संख्या 18 प्रतिशत से भी अधिक हो गई थी। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं इस विकल्प को चुन रही है। बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है, हालांकि आजकल इसका इलाज पहले से और ज्यादा बेहतर हो गया है।


अध्ययन कर रही टीम नें महिलाओं और पुरुषों दोनों पर रिसर्च किया और पाया कि महिलाओं में ये समस्या हार्मोंनल बदलाव, कम एंटी मुलेरियन हार्मोन (AMH) )और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)   और ट्यूबल ब्लॉकेज के कारण महिलाओं के हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है और प्रजनन संबंधी समस्या बढ़ ह

जाती है, वहीं पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी के कारण ये समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।


जीवा फर्टिलिटी की निदेशक, डॉ श्वेता गोस्वामी ने बताया कि रिसर्च के दौरान सन 2018 में 948 महिलाओं में 64 महिलाएं ऐसी थी जिनकी उम्र 35 वर्ष से अधिक थी और उन्होंने अपने बांझपन के इलाज का विकल्प चुना, जबकि 2022 के दौरान बांझपन से संबंधित समस्याओं के लिए 1248 जोड़ों का हम इलाज कर रहे थे, 2018 से लेकर 2022 इसके आंकड़े में 235 तक वृद्धि देखी गई।


उन्होंने कहा कि हमने देखा कि इस तरह की समस्याएं शहरी महिलाओं में ज्यादा आ रही है जिसका कारण हार्मोन का असंतुलित बदलाव, उनका तनावपूर्ण जीवन शैली का होना, अस्वास्थ्यकर भोजन, कम व्यायाम, तंबाकू और शराब का सेवन और वजन का अधिक होना है। डॉ श्वेता ने बताया कि जहां महिलाओं में ये समस्या अधिक उम्र होने के कारण हार्मोनल बदलाव के कारण होता है वहीं पुरुषों में शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता और इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण ये समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।