ऐ जिन्दगी'तु कितनी बेवफा है: विनोद

 ऐ जिन्दगी'तु कितनी बेवफा है । .

ये जिन्दगी तु कितनी बेरहम है ।

 एक अरसे बीत गये '

..खुलकर मुस्कुराए हुए.. I

एक लम्बे अरसे बीत गये '

प्रेम के गीत गुन गुनाये हुए.. I

मेरीनज़रोंको इंतज़ारआज भी है..

एक लम्बे अरसे बीत गये..

कोई रिश्ता नये बनाए हुए..

सिर्फ़"आवाज़"और"लफ़्ज"हीनहीं.*मेरी "ख़ामोशी" भी...तुम्हे बुलाती" है..

उनकी वेरुखी मुझे हँसातीहै *

तेरी नजदीकियाँ कभी रुलाती है

उनकी"आँखों" से बच कर

.."मैंने" पूछा कि आखिर.मैं हूँ कौन"....

: वे बेवफा हँस करऔरों" का..."नाम" लेती.. रही

बस "मेरा" ही रह गया..... असुलझे प्रशन

तेरे दर्द पर रोता हूँ आज भी,

तू बेदर्द हो गयी कातिल ज़मानेसे,

क्या कमी रह गयी मेरी परवरिस मे,

ये जिन्दगी बीत न जाये

तेरी अनसुलझे ' गुत्थी को

सुलझाने मे

ऐ जिन्दगी .तु 'कितनी बेवफा निकली ' ।

एक लम्बे अरसे बीते गये

एक नये रिस्ते बनाये हुए

एक लम्बे अरसे बीत गये 

प्रेम के गीत गुन गुनाये हुए ।

"  " विनोद तकियावाला 

स्वतंत्र पत्रकार ' स्वतंत्र स्तम्भकार

स्वतंत्र समीक्षक . . स्वतंत्र लेखक