बांग्लादेशी मरीज की फेलिक्स अस्पताल में सफल ‘नी रिप्लेसमेंट’ सर्जरी
-डॉ. केशव गोयल ने की 68 वर्षीय मरीज की सर्जरी, तीन साल बाद मरीज चलने में सक्षम
नोएडा (अमन इंडिया) । घुटनों का दर्द अगर लंबे समय तक बना रहे और इलाज से आराम न मिले तो इसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया बांग्लादेश के 68 वर्षीय बुज़ुर्ग का जिन्हें पिछले तीन वर्षों से बाएं घुटने में तेज दर्द और सूजन की समस्या थी। घुटने में पानी भरने और जॉइंट डैमेज के चलते उनका चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। देश-विदेश में इलाज कराने के बावजूद जब कोई राहत नहीं मिली तो अंततः उन्होंने नोएडा के फेलिक्स अस्पताल सेक्टर 137 में संपर्क किया। यहां हड्डी और जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ. केशव गोयल ने परीक्षण के बाद लेफ्ट नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी। सर्जरी सफल रही और आज वह बिना सहारे के अपने पैरों पर चल पा रहे हैं। फेलिक्स अस्पताल के डॉ. केशव गोयल ने बताया कि मरीज़ को घुटनों में लगातार सूजन, जकड़न और पानी भरने की शिकायत थी। बांग्लादेश के डॉक्टरों से लेकर वीजा लेकर मरीज के परिजन ने दिल्ली तक कई अस्पतालों में डॉक्टों से मरीज का इलाज कराया। लेकिन वहां दवाओं से कुछ घंटों की राहत के सिवा कुछ नहीं मिला। इस कारण रोजमर्रा के कामों के लिए भी मरीज को परिवार पर निर्भर रहना पड़ता था। फेलिक्स अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों की टीम ने सबसे पहले मरीज की ब्लड शुगर, ईसीजी, ब्लड प्रेशर और अन्य मेडिकल पैरामीटर की जांच की। सारी जांच रिपोर्ट सामान्य आने के बाद घुटने का कार्टिलेज पूरी तरह घिस चुका है और ऑस्टियोआर्थराइटिस के चलते रिप्लेसमेंट ही एकमात्र समाधान है। सर्जरी के बाद अस्पताल की फिजियोथेरेपी यूनिट ने राजेंद्र को विशेष व्यायाम सत्रों के माध्यम से मांसपेशियों को सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू की। कुछ ही दिन में उन्होंने बिना सहारे चलना शुरू कर दिया। आज वे सामान्य रूप से टहल पा रहे हैं। मरीज के पुत्र ने खुशी जताते हुए कहा कि तीन साल तक हमें लगा कि पिता फिर कभी नहीं चल पाएंगे। लेकिन फेलिक्स अस्पताल और डॉ. केशव गोयल की टीम ने जो किया वो हमारे लिए चमत्कार जैसा है।
घुटनों के दर्द को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारीः
डॉ. केशव गोयल ने बताया कि घुटनों के दर्द की अनदेखी आगे चलकर बड़ी समस्या बन सकती है। घुटनों में दर्द के मुख्य कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है जो जिसमें उम्र के साथ घुटनों की हड्डियों में घिसाव होता है। इसके अलावा रूमेटॉयड आर्थराइटिस से इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी होती है। कई बार घुटने में चोट या फ्रैक्चर होता है। ओवरवेट या मोटापा से भी घुटनों पर दबाव बढ़ना है। कई बार अनुवांशिक कारण भी होता है। अगर शुरुआती लक्षणों को पहचाना जाए तो गंभीर सर्जरी से बचा जा सकता है। सुबह उठते समय घुटनों में जकडन, सीढ़ियां चढ़ते-उतरते समय दर्द, घुटने में सूजन या गर्माहट, चलने-फिरने में कठिनाई, घुटनों से आवाज आना जैसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाए। घुटने में यदि कार्टिलेज पूरी तरह खत्म हो जाए तो नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत होती है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि वजन नियंत्रित रखें। घुटनों को अधिक देर तक एक स्थिति में न रखें। नियमित व हल्की एक्सरसाइज करें। सीढ़ियों का अधिक प्रयोग न करें। संतुलित और कैल्शियम युक्त आहार लें। नी रिप्लेसमेंट से मरीजों को न सिर्फ दर्द से राहत मिलती है, बल्कि उनका जीवन स्तर भी बेहतर होता है। समय पर सर्जरी न हो तो मरीज बिस्तर पर निर्भर हो सकते हैं। अगर घुटनों की समस्या को समय रहते गंभीरता से लिया जाए तो व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सकता है। सर्जरी, आधुनिक चिकित्सा और फिजियोथेरेपी के जरिए ऐसे मामलों में जीवन की गुणवत्ता को फिर से लौटाया जा सकता है।