नियमित टीकाकरण से दूर रहेगा पोलियोः डॉ. डी.के. गुप्ता


- फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को समय पर टीका लगवाना है जरूरी 

नोएडा (अमन इंडिया ) । पोलियो एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसके टीके की उपलब्धता और स्वच्छता से इसे पूरी तरह रोका जा सकता है। भारत ने पोलियो के खिलाफ सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी है, लेकिन वैश्विक स्तर पर अभी भी इसके खतरे को देखते हुए हमें सतर्क रहना आवश्यक है। 

फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता का कहना है कि विश्व पोलियो दिवस हर साल 24 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो पोलियो जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और इसे खत्म करने के प्रयासों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। पोलियो (पोलीयोमाइलाइटिस) एक संक्रामक बीमारी है जो पोलियोवायरस के कारण होती है और यह मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह रोग शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गंभीर मामलों में लकवा (पैरालिसिस) और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। हालांकि, पोलियो के खिलाफ चलाए गए वैश्विक टीकाकरण अभियानों के कारण, इस बीमारी के मामले अब बहुत कम हो चुके हैं, खासकर भारत जैसे देशों में। भारत ने कई दशकों तक पोलियो के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। 1980 के दशक में देश में पोलियो के हजारों मामले सामने आते थे। हालांकि 1995 में 'पल्स पोलियो अभियान' की शुरुआत के साथ, इस रोग के उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। इस अभियान के तहत पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक दी गई। पोलियो उन्मूलन की इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण मील का पत्थर 2011 में आया, जब भारत में पोलियो का आखिरी मामला दर्ज हुआ। इसके बाद 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया। भारत की पोलियो से मुक्ति निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन कुछ देशों में अभी भी पोलियो के कुछ मामले सामने आते हैं। 2023 तक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पोलियो वायरस अभी भी सक्रिय है, जहां पोलियो उन्मूलन के प्रयासों को राजनीतिक अस्थिरता, टीकाकरण में बाधाएं और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। हालांकि डब्ल्यूएचओ और अन्य वैश्विक संस्थाएं इन देशों में पोलियो के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हैं । पड़ोसी देशों में पोलियो के मामले और वायरस के फिर से फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। ऐसे में हर साल लाखों बच्चों को पोलियो की खुराक दी जा रही है, ताकि पोलियो का वायरस भारत में दोबारा न लौट सके। पोलियो दिवस पर, हमें यह याद रखना चाहिए कि यह लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है। वैश्विक स्तर पर पोलियो का उन्मूलन तभी संभव होगा जब दुनिया के हर कोने से यह बीमारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। इसके लिए हर व्यक्ति, हर समुदाय और हर देश को मिलकर काम करना होगा। पोलियो दिवस हमें इस घातक बीमारी के खिलाफ हमारे द्वारा हासिल की गई प्रगति की याद दिलाता है, लेकिन साथ ही यह हमें सतर्क रहने और बच्चों के टीकाकरण को प्राथमिकता देने की प्रेरणा भी देता है। 


पोलियो के लक्षणः

बुखार, थकान, सिरदर्द, गले में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी जैसे लक्षण प्रारंभिक अवस्था में देखे जा सकते हैं। ये लक्षण अक्सर 3-5 दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं।

-अगर वायरस तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, तो गर्दन और पीठ में जकड़न, मांसपेशियों में कमजोरी, और कभी-कभी लकवा हो सकता है। लकवा होने पर व्यक्ति अपने हाथों और पैरों को हिलाने में असमर्थ हो सकता है। दुर्लभ मामलों में, यह श्वास तंत्र को प्रभावित कर जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।

जिन लोगों में पोलियो के कारण लकवा होता है, उनमें से कुछ को जीवनभर विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है।

पोलियो से बचाव के मुख्य उपाय:

पोलियो वायरस से बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। भारत में चलाए गए ‘पल्स पोलियो अभियान’ के तहत बच्चों को नियमित रूप से पोलियो की खुराक दी जाती है। पोलियो ड्रॉप्स हर बच्चे को पाँच साल की उम्र तक नियमित रूप से दी जाती हैं।

जिन क्षेत्रों में स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता, वहाँ पोलियो का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि लोग हाथ धोने की आदत डालें, खासकर शौच के बाद और खाने से पहले।

दूषित जल पोलियो वायरस का एक मुख्य स्रोत है। इसलिए, सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें और खाने-पीने की चीज़ों को स्वच्छ रखें।

यह जरूरी है कि हर बच्चे को पोलियो की खुराक मिले। इस दिशा में लोगों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है, ताकि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए।