फेलिक्स अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. सुमित शर्मा ने विश्व स्ट्रोक दिवस पर दिए सुझाव


खराब जीवनशैली के कारण 26 से 40 साल के युवा भी हो रहे स्ट्रोक का शिकार


डॉक्टरों का कहना है कि स्ट्रोक के लक्षणों को नजरअंदाज करना बना सकता है  जिंदगी भर का अपाहिज


नोएडा (अमन इंडिया ) । स्ट्रोक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो मस्तिष्क में रक्त संचार रुक जाने या रक्तस्राव होने के कारण होती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह व्यक्ति को स्थायी रूप से अपंग बना सकता है या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से स्ट्रोक के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह बातें विश्व स्ट्रोक दिवस पर फेलिक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने  मरीजों के साथ-साथ उनके परिवार वालों को बताई। 

फेलिक्स अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. सुमित शर्मा ने बताया कि  विश्व स्ट्रोक दिवस को 29 अक्तूबर को मनाया जाता है। स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में रुकावट आ जाती है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते। यदि समय पर इसका उपचार न मिले तो यह स्थिति व्यक्ति को स्थायी अपंगता या मृत्यु तक भी पहुंचा सकती है। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है या मस्तिष्क की नस फट जाती है। मस्तिष्क को हमारे शरीर का नियंत्रण केंद्र कहा जाता है, और रक्त प्रवाह की रुकावट से मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से के कार्य क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। इस्केमिक स्ट्रोक में रक्त का थक्का (ब्लड क्लॉट) मस्तिष्क की किसी धमनी में अटक जाता है और रक्त प्रवाह रुक जाता है। हेमरेजिक स्ट्रोक उस स्थिति में होता है जब मस्तिष्क की कोई रक्तवाहिनी फट जाती है और रक्त का रिसाव मस्तिष्क में हो जाता है। यह स्थिति अधिक गंभीर होती है और मस्तिष्क के कई कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इस्केमिक स्ट्रोक में खून के थक्के को हटाने के लिए थ्रॉम्बोलिटिक दवाएं दी जाती हैं। इन्हें समय पर देने से रक्त प्रवाह सामान्य हो सकता है। हेमरेजिक स्ट्रोक में रक्तस्राव को रोकने के लिए सर्जरी या विशेष दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। रिहैबिलिटेशन स्ट्रोक के बाद पुनर्वास महत्वपूर्ण होता है, जिसमें फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी और पेशेवर सलाह शामिल होती है। स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी कारक शामिल हैं। उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन)  यह स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। उच्च रक्तचाप मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों पर अत्यधिक दबाव डालता है, जिससे उनका फटना या संकीर्ण होना आसान हो जाता है। मधुमेह की स्थिति में रक्त शर्करा का उच्च स्तर नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में अवरोध पैदा हो सकता है। धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन रक्तवाहिनियों की दीवारों को कमजोर बना देता है और रक्तचाप बढ़ाता है। ज्यादा वसा और नमक वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है। सीटी स्कैन और एमआरआई के जरिये मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की स्थिति का पता लगाया जा सकता है और स्ट्रोक की पुष्टि की जा सकती है। एंजियोग्राफी रक्त वाहिनियों की स्थिति का आकलन करने के लिए किया जाता है। रक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप के स्तर की जांच की जाती है, जो स्ट्रोक की जोखिम संभावना को दर्शा सकते हैं। अभी तक माना जाता था कि स्ट्रोक (लकवा) उम्र के 60 पार होने पर ही होता है पर भागमभाग जिंदगी ने इस मिथ को तोड़ दिया। स्ट्रोक के शिकार युवा (26-40 वर्ष) भी हो रहे हैं। स्ट्रोक के मरीजों के लिए तीन घंटे गोल्डेन समय रहता है, जो युवा या मरीज एक घंटे के अंदर डॉक्टरों के पास पहुंच गए तो उनमें रिकवरी आसान होती है। ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए फास्ट (FAST) कारगर है। फास्ट का पहला अक्षर F है। एफ का मतलब फेस से है। इंसान को मुस्कराने के लिए कहें. अगर चेहरे का एक हिस्सा लटका हुआ लगता है, तो स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। फास्ट का दूसरा अक्षर A है. यहां ए का मतलब आर्म से है. इंसान को दोनों हाथ ऊपर उठाने के लिए कहें. अगर एक हाथ नीचे की तरफ आ रहा है, तो यह स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। फास्ट का तीसरा अक्षर S है. यहां पर एस से मतलब स्पीच से है। जिस पर स्ट्रोक का खतरा आपको दिख रहा है, तो उसे कोई एक शब्द बोलने के लिए कहें।अगर उसी शब्द को दोहराने में आवाज लड़खड़ाती है, तो स्ट्रोक का खतरा बहुत नजदीक है। फास्ट का चौथा शब्द T है। यह ब्रेन स्ट्रोक के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. ऊपर के तीन लक्षणों में से कोई एक लक्षण अगर आपको दिखाई देता है, तो यह समय बर्बाद करने का नहीं है। तुरंत आपातकालीन अस्पताल ले जाएं. समय से पहले पहुंचने पर स्ट्रोक के मरीज को विकलांगता और मौत से बचाया जा सकता है.

स्ट्रोक के लक्षण:

व्यक्ति के चेहरे का एक हिस्सा झुक सकता है, मुस्कुराने पर चेहरे का एक हिस्सा ठीक से न उठे तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।

व्यक्ति की भाषा अस्पष्ट हो सकती है या उसे बोलने में परेशानी हो सकती है।

हाथों या पैरों में कमजोरी या सुन्नता महसूस होना।

एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत हो सकती है।

अचानक से तीव्र सिर दर्द, विशेषकर यदि यह अन्य लक्षणों के साथ हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।


स्ट्रोक से बचाव:

स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और धूम्रपान व शराब से दूरी बनाए रखना स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है।

बच्चों और युवाओं को स्ट्रोक के जोखिम कारकों और बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देना आवश्यक है।

उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रण में रखना जरूरी है। इसके लिए नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है। तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का सहारा लिया जा सकता है।