कन्वर्जेंस फाउंडेशन और इंडिया इम्पैक्ट शेरपा ने भारतीय संदर्भ में सिस्टम परिवर्तन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की


नई दिल्ली (अमन इंडिया ) । कन्वर्जेंस फाउंडेशन ने इंडिया इम्पैक्ट शेरपा के सहयोग से अपनी एक खास रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट का शीर्षक 'सिस्टेमेटिक इंपेक्ट एग्जेम्पलर्स: यूनीक एप्रोचेज़ टुवर्ड सॉल्विंग इंडियाज़ डेवलपमेंट चैलेंज' है। इस रिपोर्ट को पेश करने का उद्देश्य उन संगठनों की पहचान करना और उनसे सीखना है जिन्होंने सिस्टम चेंज एप्रोच को अपनाकर महत्वपूर्ण बदलाव हासिल किए हैं।

ये -सिस्टम सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (SSO)- संगठन प्रभावी प्रयासों के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारों के साथ मिलकर काम करते हैं। सरकारों के साथ काम करने और बड़ी संख्या में लोगों को लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के अलावा, सिस्टम चेंज समस्या को लघु अवधि हल करने की बजाए उसके मूल कारण से हल करने का प्रयास करता है। 


भारत में केंद्र और राज्य सरकारें पहले से ही सामाजिक और आर्थिक विकास पर काफी बड़ी राशि खर्च करती हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में, केंद्र और राज्य सरकारों का कुल सामाजिक व्यय  21.03 लाख करोड़ रुपए रहा है। हालाँकि, भारत सरकार की ओर से भारी भरकम निवेश के बावजूद, भारत के विकास लक्ष्यों की प्राप्त की दिशा में प्रयासों में तेजी लाने की बड़ी संभावना है। बड़ी जनसंख्या को तकनीक और प्रोग्राम संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए जरूरी है कि ज्यादा संख्या में एसएसओ सरकारों के साथ काम करें। इस रिपोर्ट के साथ, द कन्वर्जेंस फाउंडेशन और इंडिया इम्पैक्ट शेरपा का लक्ष्य काम करने योग्य एक ऐसी रूपरेखा पेश करना है, जिससे पता चले कि बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए एसएसओ किस प्रकार सरकारों के साथ काम कर सकते हैं। 

रिपोर्ट में भारत के 20 प्रमुख एसएसओ का विवरण दिया गया है। यह रिपोर्ट उनकी नई रणनीतियों और लोगों को प्रभावित करने वाली पहलों पर प्रकाश डालती है। इस रिपोर्ट में वास्तविक दुनिया के उदाहरणों को पेश किया गया है। यह रिपोर्ट दूसरी गैर-लाभकारी संस्थाओं को भी प्रेरित करने और इस प्रोग्राम से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करती है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारतीय संदर्भ में क्या चीजें काम कर सकती हैं। 

रिपोर्ट के लॉन्च कार्यक्रम में, जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग की सचिव विनी महाजन ने रिपोर्ट में शामिल 20 संगठनों के कार्यों और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, " गैर-लाभकारी संगठन जिन्होंने स्केलेबल पायलटों को लागू करके और सरकारों के साथ सार्थक रूप से काम करके सिस्टम परिवर्तन दृष्टिकोण अपनाया है, बड़े पैमाने पर परिवर्तन में योगदान दे सकते हैं।" 

द कन्वर्जेंस फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ आशीष धवन ने देश की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए सिस्टम चेंज के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, "सिस्टम चेंज एप्रोच एक बेहद खास आइडिया है जिसमें बदलाव लाने की बड़ी क्षमता है। हमने उन अग्रणी भारतीय संगठनों की पहचान करने और उनसे सीखने के लिए इस रिपोर्ट को तैयार किया है, जिन्होंने दूसरे सोशल पर्पज ऑर्गेनाइजेशन को प्रेरित करने और उन्हें इससे जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सिस्टम चेंज को अपनाया है, ताकि इस बात को तय किया जा सके कि भारतीय संदर्भ में क्या चीज़ काम कर सकती है।”

देश की कठिन चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के इंडिया कंट्री ऑफिस के डायरेक्टर, हरि मेनन ने कहा कि “सरकार द्वारा संचालित और साझेदारों द्वारा समर्थित सिस्टम परिवर्तन, दीर्घकालिक परिवर्तन लाने, विकास कार्यक्रमों की दक्षता बढ़ाने और लोगों के जीवन पर स्थायी प्रभाव पैदा करने की क्षमता रखता है। हालाँकि, इस तरह के परिवर्तन को प्राप्त करने में समय लगता है और सिस्टम परिवर्तन पर सरकार के साथ साझेदारी करने वाले संगठनों को लंबे समय तक प्रतिबद्ध समर्थन प्रदान करने के लिए परोपकारी और अन्य फंडर्स की आवश्यकता होगी।”

रिपोर्ट ने विभिन्न सिस्टम चेंज प्रथाओं की व्यापक पैमाने पर जांच की है, इन परिणामों में शामिल हैं:

परिवर्तन के लिए मांग और एलाइनमेंट को तैयार करना 

डेटा, एविडेंस और रिसर्च में थ्योरी ऑफ चेंज को आधार बनाना

पॉलिसी के डिजाइन और कार्यान्वयन की जानकारी देना

बड़े पैमाने पर उपयोग के योग्य समाधानों को डिज़ाइन करना और प्रदर्शित करना

बड़ी संख्या में उपयोग के योग्य प्लेटफार्मों में निवेश करना

सरकार में संस्थागत क्षमता को मजबूत करना

बड़ी संख्या में उपयोग के लिए भागीदार नेटवर्क का निर्माण

वंचितों के लिए उपयोगी बाज़ार तैयार करना


इनमें से उन प्रथाओं की गहराई से जांच की गई है, जो सिस्टेमिक प्रभाव डालने और भारत के विकास के मोर्चे पर सार्थक बदलाव लाने के इच्छुक संगठनों के लिए मूल्यवान जानकारी प्रदान करती हैं। रिपोर्ट वास्तव में एक व्यापक नॉलेज रिसोर्स के रूप में कार्य करती है, जिसका उद्देश्य सिस्टम चेंज की एप्रोच को आकार देना है। इसके साथ ही यह इस बात की रूपरेखा तैयार करती है कि सोशल पर्पज ऑर्गेनाइजेशन इसे कैसे अपना सकते हैं। एसएसओ कैसे एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं, इसके लिए यह एक खास मॉडल पेश करता है।