बारिश ही नहीं गर्मी में भी पड़ती है मलेरिया की मार

घातक हो सकती है मलेरिया के प्रति लापरवाही 

-बारिश ही नहीं गर्मी में भी पड़ती है मलेरिया की मार

-उपचार से बेहतर होता है कि मलेरिया से बचाव का रखें ध्यान  


नोएडा (अमन इंडिया ) । मलेरिया का उपचार न किया जाए तो यह जीवनघाती हो सकता है। इसकी वजह से सांस के रोग और गुर्दे की खराबी, अकारण रक्तस्राव और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। यह बात फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ डी.के. गुप्ता ने मलेरिया दिवस पर कही। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से विश्व स्तर पर 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य मलेरिया के बारे में जागरूकता बढ़ाकर मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों को गति प्रदान करना है। प्लाज्मोडियम परजीवी मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया फैलता है। डब्ल्यूएचओ की ओर से इस वर्ष की थीम अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को तेज करना रखी गई है। वैसे तो गर्मियों के मौसम का मतलब होता है आरामदायक कपड़े पहनने की सुविधा। साथ में स्वादिष्ट रस भरे आम और तरबूज तथा नारियल पानी खाने-पीने की आजादी। मगर कई लोग लापरवाही करते हैं। जिससे वह बीमार होते हैं। यही कारम है कि मच्छरों के खिलाफ की गई अनदेखी से मलेरिया भी हो सकता है। जो लोग मलेरिया को मानसून की समस्या मानते हैं, तो उन्हें गलतफहमी दूर करनी होगी। इस बार भी बेमौसमी बारिश और गर्मी बढ़ने से मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है। अप्रैल में बीच-बीच में कई बार वर्षा हुई है। इससे मच्छरों का तेजी से प्रसार हुआ है। यही मच्छर लोगों को काटकर बीमार कर रहे हैं। मलेरिया वैसे तो मानूसन में ज्यादा फैलता है। मगर गर्मी के दिनों में रोग लोगों का पीछा नहीं छोड़ता है। मलेरिया रोग प्लासमोडियम नामक परजीवी की वजह से फैलता है जो कि मादा एनोफिलीस मच्छर के काटने से प्रसारित होता है। मनुष्यों को संक्रमित करने वाले दो सबसे सामान्य प्रकार के प्लासमोडियम हैं। वीवैक्स और फैल्सीपरम हैं, जिनमें फैल्सीपरम अधिक घातक होता है और ये सेरीब्रल मलेरिया करता है। ठंड चढ़ने के बाद बुखार और अत्यधिक कंपकंपनी होना मलेरिया के लक्षण हैं। सिर दर्द, शरीर में अकड़न और दर्द तथा जोड़ों में दर्द, जॉन्डिस, हिमोग्लोबिन कम होना, लो ब्लड शूगर और पेशाब में खून, दौरे और कोमा (लंबी बेहोशी) जो कि खासतौर से फैल्सीपरम भी मलेरिया के लक्षण हैं। मानव शरीर में प्रवेश हो जाने के बाद एनोफिलिस यकृत यानी लिवर में गुणात्मक रूप से बढ़ते हैं और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान जैसी समस्या होने लगती है। अधिकतर मरीज उपचार के बाद मलेरिया के लक्षणों से जल्दी ठीक हो जाते हैं। मगर उपचार में देरी से मलेरिया एनीमिया, कोमा या मृत्यु, सेरेब्रल मलेरिया का कारण बनता जाता है। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण ज्यादा मौत हो सकती है। प्लाज्मोडियम विवैक्स भी घातक होता है। इसलिए जैसे ही आपको मलेरिया के लक्षण दिखायी दें। तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। मलेरिया की जांच करवाएं और एंटी मलेरियल दवाओं का प्रयोग शुरू किया जा सकता है जो जीवनरक्षा में सहायक होती हैं। इलाज से बेहतर और आसान होता है बचाव। इसलिए मलेरिया समेत अन्य रोगों के मामले में भी यह बात सही है। यदि हम पूरी आबादी के स्तर पर बचाव के उपायों पर अमल करें, तो मलेरिया के साथ-साथ मच्छरों से ही फैलने वाले डेंगू जैसे रोग पर भी काबू पाया जा सकता है।


मलेरिया के लक्षणः

जाड़ा लगकर बुखार आना

सिर दर्द

उल्टी होना

शरीर पर चकत्ते पड़ना

जी मितली करना

चक्कर आना

थकान, पेट दर्द

तेज से सांस लेना।



मलेरिया से बचावा के लिए इन बातों का रखें ध्यानः

-घरों में और घर के बाहर बारिश का पानी रुकने नहीं दें।

-सोसायटियों तथा कालोनियों में नियमित रूप से फॉगिंग करवाएं।

-कीटरोधी गुणों से युक्त हर्बल पौधों को अपने घर में लगाना चाहिए।

-रुके हुए पानी पर एंटीलार्वा और कीटनाशक दवा का छिड़काव करें।

-कपूर और धूप बत्ती जलाने से भी सोते समय फायदा मिल सकता है।

-सोते समय मच्छरदानी के साथ ऐरासॉलाइज्ड कीटनाशकों का प्रयोग करें।

-घरों में जाली वाले दरवाजों और खिड़िकयों का जहां तक संभव हो सके प्रयोग करें।

-पिकारिडीन आधारित कीटरोधक का इस्तेमाल करें। इसे त्वचा और कपड़ों पर लगाएं।

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