भगवान महावीर जयंती के उपलक्ष्य में हुआ आयोजित 2550वां निर्वाणोत्सव कार्यक्रम



महावीर जयंती के पावन प्रसंग पर भगवान महावीर के 2550वें निर्वाणोत्सव

दिल्ली (अमन इंडिया ) । कार्यक्रम, प्रधानमंत्री की गरिमामय उपस्थिति में आयोजित हुआ। भारत मण्डपम में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रसंत परम्पराचार्य प्रज्ञसागर जी मुनिराज का आशीर्वाद लेकर वैश्विक समस्याओं के समाधान में भगवान महावीर के उपदेशों को सर्वाधिक प्रासंगिक बताया । अमृत काल में देश के उदय को विकसित भारत के स्वरूप के रूप में उदित होना है और भारत विश्वगुरू के रूप में अपनी पुराआभा का अंगीकरण करेगा। प्रधान मंत्री ने जैन समाज के अवदानों को रेखांकित करते हुए अपने विराट परिवार का हिस्सा बताया और उनके नये भारत को सुदृढ़ करने में योगदान देने हेतु आह्वान किया।

आचार्य प्रज्ञसागर जी ने प्रधान मंत्री को सकल विश्व में चक्रवर्ती होने का आशीर्वाद दिया और कहा कि नव्य भारत उनके नेतृत्व में सदाचार की नयी वर्णमाला लिख रहा है, जिसका प्रमाण है कि  G20 में शाकाहारी भोजन का प्रयोग पहली बार सदाचारी भारत की गौरवगाथा लिख सका है। प्रधान मंत्री राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश का शाकाहारी होना इस संकल्प को शक्ति देता है। अमृत काल में भारत का उदय भगवान महावीर के सिद्धांतों के माध्यम से होगा, जिसका पहला प्रतीक भारतीयता के उदय और भारत के चिन्तन के अवसान में सन्निहित है। इस अवसर पर जैन समाज के अन्य साधुओं तथा साध्वियों ने भी संबोधित किया । प्रधानमंत्री जी के द्वारा स्मारक डाक टिकट तथा सिक्का भी जारी किया गया । परम्पराचार्य राष्ट्रसंत श्री प्रज्ञसागर जी के विचारों से सहमति व्यक्त करते हुए प्रधान मंत्री जी ने विश्वास व्यक्त किया कि यही समय सही समय है जब हम देश के विकास की यात्रा को गतिशील कर विकसित भारत के संकल्प को सदाचारी भारत के रूप में अविर्भूत कर सकते हैं।यह कार्यक्रम भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव समिति एवं भगवान महावीरमेमोरियल केन्द्र के संयुक्त अवधान में आयोजित हुआ । आचार्य प्रज्ञसागर जी ने स्मृत्तेशेष आचार्य श्री विद्यानन्द जी की जन्मशताब्दी के प्रारंभ होने के अवसर पर समारोह के प्रतीक चिह्न को भी प्रधान मंत्री जी को भेंट किया। भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव समिति के राष्ट्रीय मुख्य संयोजक  सत्य भूषण जैन ने कहा कि इतना भव्य व ईश्वरमय वातावरण बहुत ही कम देखने को मिलता है, भगवान महावीर जैन के दिखाए मार्ग का हमे अनुसरण करना चाहिए। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सम्पूर्ण विश्व का जैन समाज एकत्रित हुआ ।