*भारत की सतत एक्वाकल्चर क्षमता पर क्रांतिकारी समाधान है एक्वाकल्चर- प्रेमचंद्रन
*जलीय कृषि को बढावा देने के लिए हरसंभव प्रयास जारी है- साजी बेबी जॉन
नई दिल्ली (अमन इंडिया ) । भारत में एक्वाकल्चर क्रांति के लिए सोमवार को नई दिल्ली में एक भव्य सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के जाने माने वैज्ञानिकों , शिक्षाविदों , व्यवसाइयों व तमाम गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। सतत जलीय कृषि भारत की वैश्विक नेता बनने की क्षमता शीर्षक पर आयोजित इस सेमिनार में जलीय कृषि समाधानों के लिए अग्रणी डिजिटल प्लेटफॉर्म, सिस्टा 360 ने मुख्य भूमिका निभाई।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने कहा, किंग्स इंफ्रा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक साजी बेबी जॉन के मार्गदर्शन से, टिकाऊ जलीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है। बेबी जॉन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई नीली क्रांति को अपनाने में अग्रणी थे। निर्बाध समन्वय के माध्यम से, बेबी जॉन ने नीली क्रांति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया है।
प्रेमचंद्रन ने कहा भारत सरकार की महत्वाकांक्षा 5 ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने तक फैली हुई है, जिसके बाद 10 ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था की आकांक्षाएं हैं। जबकि जलीय कृषि क्षेत्र अब तक अपेक्षाकृत अछूता रहा है, मेरा दृढ़ विश्वास है कि 10 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक लक्ष्य के लिए इसमें भारत को आगे बढ़ाने की अपार क्षमता है। इससे देश के मछुआरों की सामाजिक और आर्थिक भलाई का पोषण करना सुदृढ होगा। जो मछुआरे अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह इसी उद्योग पर निर्भर हैं , उन्हें निश्चित ही बल मिलेगा। प्रधानमंत्री ने फीडबैक के आधार पर मस्त्य पालन में मछुआरों का सहयोग किया है।
इस अवसर पर सेमिनार का आयोजन करने वाली कंपनी किंग्स इंफ्रा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक साजी बेबी जॉन ने कहा, “हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां जलीय कृषि न केवल टिकाऊ हो बल्कि इसमें शामिल प्रत्येक हितधारक के लिए लाभदायक भी हो। सिस्टा-360 इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता है। हमारी कंपनी जलीय कृषि को बढावा देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और भविष्य में करती रहेगी। सेमिनार का एक मुख्य फोकस समुद्री शैवाल की खेती और मूल्य वर्धित उत्पादों का विकास था, जो भारत के तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और व्यापक कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। आपको बता दें कि भारत के जलीय संसाधन, वर्तमान में अपनी क्षमता का केवल 5-10 प्रतिशत ही उपयोग कर रहे हैं। यदि इसमें दस गुना वृद्धि भी होती है तो इस महत्वपूर्ण बदलाव में भारत को एक ट्रिलियन-डॉलर की नीली अर्थव्यवस्था में बदलने से कोई नहीं रोक सकता। यदि सही दिशा में सार्थक प्रयास किए जाएं तो भारत 2030 तक जलीय कृषि का वैश्विक केंद्र बन सकता है।
सिस्टा-360 के सीईओ चंद्र भट्ट ने कहा, “हमारा मंच इनपुट खरीद से लेकर टिकाऊ उत्पादन और लाभदायक विपणन तक जलीय कृषि की जटिलताओं को सरल बनाता है। हमारा प्राथमिक लक्ष्य भारतीय किसानों को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में न केवल जीवित रहने बल्कि फलने-फूलने के लिए आवश्यक ज्ञान, अत्याधुनिक तकनीक और अटूट समर्थन प्रदान करके सशक्त बनाना है। सिस्टा-360 का दृष्टिकोण एक समग्र और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र में निहित है, जो भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है। इंटीग्रेटेड मल्टी-ट्रॉफिक एक्वाकल्चर सिद्धांतों से प्रेरणा लेता है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और टिकाऊ प्रथाओं का यह एकीकरण भारत में जलीय कृषि के भविष्य को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। सेमिनार में सिस्टा-360 का लॉन्च स्थिरता और लाभप्रदता, ग्रामीण समुदायों की सहायता और आत्म निर्भर भारत के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करने की दिशा में भारत के जलीय कृषि में एक आदर्श बदलाव का संकेत देता है।
सेमिनार में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, प्रौद्योगिकीविदों, निवेशकों और किसानों ने भाग लिया। इस दौरान विभिन्न राज्यों के किसान समूहों ने भारत के जलीय कृषि समुदाय की समृद्ध विविधता और समावेशिता का प्रदर्शन किया, और ग्रामीण आजीविका के उत्थान के लिए इस क्षेत्र की क्षमता पर जोर दिया।
सेमिनार का शुभारंभ सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन तथा किंग्स इंफ्रा के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक साजी बेबी जॉन ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।