फोर्टिस नोएडा के डॉक्‍टरों ने पार्किन्‍सन रोग से ग्रस्‍त 72 वर्षीय एक मरीज़ का डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी से सफल इलाज

 


नोएडा की पहली डीप ब्रेन स्टिमुलेशन प्रकिया पार्किन्‍सन रोग से ग्रस्‍त 72 वर्षीय मरीज़ पर फोर्टिस अस्‍पताल, नोएडा में हुई संपन्‍न करीब 10 घंटे चली प्रक्रिया, इस दौरान मरीज़ जागृतावस्‍था में रहे  


नोएडा (अमन इंडिया): फोर्टिस नोएडा के डॉक्‍टरों ने पार्किन्‍सन रोग से ग्रस्‍त 72 वर्षीय एक मरीज़ का डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी से सफल इलाज किया है। यह एक प्रकार की न्‍यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्‍क में इलैक्‍ट्रोड्स लगाए जाते हैं जो पेसमेकर से जुड़े होते हैं। डॉ कपिल सिंघल, डायरेक्‍टर, न्‍यूरोलॉजी एवं डॉ राहुल गुप्‍ता, डायरेक्‍टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस नोएडा ने 10 घंटे तक चली इस सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया और 6 दिन बाद ही मरीज़ को स्थिर होने पर अस्‍पताल से छुट्टी भी मिल गई। 


यह मरीज़ पिछले 15 वर्षों से पार्किन्‍सन रोग से पीड़ि‍त थे और लगभग 10 वर्षों से डॉ कपिल सिंघल उनका इलाज कर रहे थे। लेकिन पिछले दो वर्षों में उनके लक्षण लगातार बिगड़ने लगे और वे डिस्‍केनेसिया (इसमें पूरे शरीर में असामान्‍य और अनैच्छिक हरकतें होने लगती हैं जो पार्किन्‍सन रोग की दवाओं का साइड इफेक्‍ट होता है) के भी शिकार हो गए। फोर्टिस नोएडा के डॉक्‍टरों ने मरीज़ की डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी करने का फैसला किया। यह एक प्रकार की न्‍यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्‍क में इलैक्‍ट्रोड्स लगाए जाते हैं और ये पेसमेकर से जुड़े होते हैं। इनसे मस्तिष्‍क के प्रभावित भाग में इलैक्ट्रिकल इम्‍पल्‍स पहुंचाया जाता है। यह पार्किन्‍सन रोगियों के उपचार के लिए पुरानी उपचार पद्धति है। हालांकि भारत के कुछ स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर डीप ब्रेन स्टिमुलेशन थेरेपी दी जाती है लेकिन इसकी सीमित उपलब्‍धता के चलते बहुत से मरीज़ इससे बचते हैं। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी दरअसल, पार्किन्‍सन रोगियों को दी जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्‍ट्स को कम करने में मददगार होती है, यह मरीज़ों की मूवमेंट में सुधार करने के साथ-साथ उनकी उम्र भी लंबा करने में सहायक होती है। 

डॉ कपिल सिंघल, डायरेक्‍टर, न्‍यूरोलॉजी, फोर्टिस नोएडा ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया, ''यह मरीज़ पार्किन्‍सन रोग की वजह से चलने-फिरने में असमर्थ थे और उनके लिए अपनी रोर्जमर्रा की गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो गया था। पिछले 10 वर्षों से वे इन लक्षणों से जूझ रहे थे और उनके शरीर के एक भाग में कंपन भी होने लगा था जो ऊपरी हिस्‍से में शुरू होकर उनके पैर तक भी पहुंच गया है। कुछ समय बाद उनके शरीर के दूसरे भाग में भी कंपनी होने लगा था। धीरे-धीरे उनके लक्षण बढ़ने लगे थे और दवाओं का असर भी कम हो रहा था। इस बीच, मरीज़ की मूवमेंट्स धीमी हो गई थीं और उनके शरीर में कसावट भी बढ़ गई थी, जबकि उन्‍हें नियमित दवाएं दी जा रही थीं। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन उपचार देने से पहले मरीज़ और उनके परिजनों के साथ काउंसलिंग की गई और उन्‍हें बताया गया कि क्‍यों यह उपचार दिया जाना जरूरी है, तथा इसके फायदे और सर्जरी के बाद अन्‍य क्‍या परिणाम हो सकते हैं। सर्जरी से पहले मरीज़ की रूटीन ब्‍लड जांच की गई और उनकी याददाश्‍त तथा मनोवैज्ञानिक पहलुओं का भी मूल्‍यांकन किया गया। सर्जरी से 24 घंटे पहले मरीज़ को उनकी नियमित दवाएं नहीं दी गईं। मस्तिष्‍क के जिस भाग में इलैक्‍ट्रोड्स लगाए जाने थे उसकी एमआरआई जांच की गई। यह प्रक्रिया सफल रही और मरीज़ को स्थिर होने के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दी गई।'' 


डॉ राहुल गुप्‍ता, डायरेक्‍टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस नोएडा ने कहा, ''डीप ब्रेन स्टिमुलेशन थेरेपी शरीर की उन अनियंत्रित मूवमेंट्स को नियंत्रित करने में मददगार होती है जब‍ दवाएं जवाब देने लगती हैं। इस मामले में, यह उपचार काफी लंबा और मुश्किल था क्‍योंकि इसके लिए हमें काफी सोच-विचार, तैयारी, सटीकता और एकाग्रता की जरूरत थी। हर कदम महत्‍वपूर्ण था और हमने वांछित नतीजे हासिल करने के लिए काफी ध्‍यान से सर्जरी की। चूंकि करीब दो-तिहाई सर्जरी मरीज़ की जागृतावस्‍था में की गई, इसलिए उनके शरीर की कसावट या कंपन को नियंत्रित करना काफी मुश्किल काम था और मरीज़ को भी बार-बार टीम की ओर से सांत्‍वना दी जानी जरूरी थी। चूंकि पार्किन्‍सन ऐसा रोग है जो धीरे-धीरे लगातार बढ़ता रहता है और इस मामले में मरीज़ के लक्षण पहले ही काफी गंभीर हो चुके थे, ऐसे में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी में देरी से उनके विकलांग होने का जोखिम बढ़ गया था और उनकी मोबिलिटी भी पहले से ज्‍यादा प्रभावित हो सकती थी।''


मोहित सिंह, ज़ोनल डायरेक्‍टर, फोर्टिस हॉस्‍पीटल नोएडा ने कहा, ''फोर्टिस नोएडा को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी जैसी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एक शानदार क्‍लीनिकल उपलब्धि को दर्ज कराते हुए गर्व महसूस कर रहा है। मरीज़ की उम्र और उनकी नाजुक हालत के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था। लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया जिसका श्रेय सही मेडिकल मूल्‍यांकन और हमारे न्‍यूरोलॉजिस्‍ट्स की सर्जिकल स्किल्‍स को जाता है। उनकी क्‍लीनिकल विशेषज्ञता और अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्‍ठ देखभाल देने की योग्‍यता ही फोर्टिस हॉस्‍पीटल नोएडा को श्रेष्‍ठ बनाती है, और हम मरीज़ों की जीवनरक्षा करने तथा बेहतर नतीजों को हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करते हैं।