51 वर्षीय इराकी पुरुष में खान-पान संबंधी दुर्लभ विकार का फोर्टिस वसंत कुंज में सफल इलाज


51 वर्षीय इराकी पुरुष में खान-पान संबंधी दुर्लभ विकार का फोर्टिस वसंत कुंज में सफल इलाज, 2 साल बाद ठोस भोजन करने में हुए समर्थ 

30 मिनट तक चली POEM प्रक्रिया से हुआ उपचार जिसके 48 घंटे बाद ही ठोस भोजन किया

नई दिल्‍ली (अमन इंडिया ) ।  फोर्टिस वसंत कुंज के डॉक्‍टरों ने 51 वर्षीय इराकी मरीज़ के दुर्लभ विकार का सफल उपचार किया है। यह मरीज़ खाने और भोजन को निगलने में असमर्थता पैदा करने वाले विकार – एकेलेसिया कार्डिया (Achalasia cardia) तथा ज़ेंकर्स डाइवर्टिकुलम (Zenker's diverticulum) से पीड़‍ित थे। 

एकेलेसिया कार्डिया एक तरह की क्रोनिक कंडीशन है जिसमें गले के निचले भाग (बेस) की मांसपेशी, जहां से हमारा भोजन पेट में जाता है, काफी सख्‍त हो जाती है। इसकी वजह से कुछ भी ठोस या तरल पदार्थ गले से नीचे जाने की बजाय वापस गले में आ जाता है। ज़ेंकर्स डाइवर्टिकुलम विकार उस स्थिति में पैदा होता है जब गले तथा ईसोफैगस के बीच की मांसपेशी काफी संकरी और सख्‍त हो जाती है, जिसके कारण गले का भाग किसी थैली जैसा दिखने लगता है। धीरे-धीरे यह थैली फैलती जाती है और परिणामस्‍वरूप इसके नीचे की ओर मांसपेशियां में और कसाव आने लगता है। ऐसे में कई बार यह भी होता है कि भोजन को चबाए जाने के बाद फूड पार्टिकल्‍स (खाद्य कण) इस थैली में फंस सकते हैं जिससे काफी गंभीर रुकावट भी हो सकती है। डॉ विनीत गुप्‍ता, सीनियर कंसल्‍टैंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्‍पीटल वसंत कुंज और उनकी टीम ने मांसपेशियों (जैसे कि ईसोफैगस में जकड़न) की वजह से पैदा हुए इस विकार के उपचार के लिए POEM प्रक्रिया (पेरोरल एंडोस्‍कोपिक मायटॅमी) की मदद ली। इसमें सिर्फ 30 मिनट का समय लगा और मरीज़ के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार को देखते हुए, 3 दिन बाद ही उन्‍हें अस्‍पताल से छुट्टी भी मिल गई। 

जब मरीज़ को अस्‍पताल लाया गया था तो वह काफी तकलीफ में थे और उन्‍हें कुछ भी निगलने में परेशानी हो रही थी। पिछले दो वर्षों से वह ठोस भोजन नहीं कर सके थे। मरीज़ की समस्‍या के निदान के लिए उनकी यूजीआई एंडोस्‍कोपी, सीटी स्‍कैन किया गया तथा ओरल गैस्‍ट्रोस्‍कोपिक जांच भी की गई। इनसे पता चला कि वह एकेलेसिया कार्डिया (Achalasia cardia) तथा ज़ेंकर्स डाइवर्टिकुलम (Zenker's diverticulum) से पीड़‍ित थे। तब डॉक्‍टर ने इलाज के लिए POEM विधि का प्रयोग करने का फैसला किया। इसमें एंडोस्‍कोप को मुंह के जरिए डालकर ईसोफैगस की मांसपेशियों को काटा या उनमें कांट-छांट की जाती है। केवल 30 मिनट में डॉक्‍टरों ने इस प्रक्रिया को पूरा किया और अगले तीन दिनों में ही मरीज़ नॉर्मल गतिविधियों को करने में सक्षम बन चुके थे। यहां तक कि प्रक्रिया पूरी होने के 24 घंटों के भीतर ही उन्‍होंने तरल भोजन और सर्जरी के 48 घंटों के बाद ठोस भोजन भी कर लिया था। 

इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ विनीत गुप्‍ता, सीनियर कंसल्‍टैंट, गैस्‍ट्रोएंटेरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्‍पीटल वसंत कुंज ने कहा, ''दो दुर्लभ किस्‍म के रोगों के साथ जीवन बिताना काफी मुश्किलें पैदा करता है। POEM विधि को संपन्‍न करने के लिए काफी सटीकता चाहिए होती है। पारंपरिक विधि में, जनरल सर्जन ईसोफैगस को काटने/खोलने के लिए ओपन सर्जरी करते हैं ताकि उस हिस्‍से को कुछ फैलाया/चौड़ा बनाया जा सके जहां से भोजन पेट में पहुंचता है। इसी दौरान, सर्जन गले और ईसोफैगस के बीच की मांसपेशियों को भी काटकर उस थैली को हटाते हैं जिसकी वजह से संकुचन पैदा हुआ होता है। ओपन विधि से यह सर्जरी काफी समय लेती है और खून भी बहता है तथा मरीज़ की रिकवरी होने में भी समय लगता है। इसे ध्‍यान में रखकर, हमने इस मामले में POEM विधि को अपनाया जिसमें चीर-फाड़ नहीं होती, यह पीड़ामुक्‍त होती है और मरीज़ को अस्‍पताल में भी कम समय के लिए रुकना होता है। कुल-मिलाकर, ओपन सर्जरी की तुलना में इसमें कम जटिलताएं होती हैं। और भी दिलचस्‍प बात यह है कि ओपन सर्जरी के मुकाबले इसमें खर्च भी अब कम आता है। यदि मरीज़ का समय पर इलाज नहीं किया जाता तो वह पूरी उम्र तरल पदार्थों पर ही जिंदा रहने को मजबूर होते।

यशपाल रावत फैसिलिटी डायरेक्‍टर फोर्टिस हॉस्‍पीटल वसंत कुंज ने कहा, ''मरीज़ की हालत देखते हुए यह काफी चुनौतीपूर्ण और दुर्लभ किस्‍म का मामला था। इसमें तत्‍काल मेडिकल इंटरवेंशन जरूरी था, समय पर उपचार और सही इंटरवेंशन का ही नतीजा है कि मरीज़ अब सामान्‍य जीवन बिता रहे हैं। डॉ विनीत गुप्‍ता के नेतृत्‍व में हमारी टीम ने मरीज़ का सफल उपचार किया, जो वाकई सराहनीय है। फोर्टिस हॉस्‍पीटल वसंत कुंज में इस प्रकार के मामलों का इलाज करने के लिए जरूरी क्‍लीनिकल विशेषज्ञता मौजूद है और हम अपने मरीज़ों के इलाज तथा उनकी जीवनरक्षा के लिए सर्वोच्‍च स्‍तर की देखभाल सुनिश्चित करते हैं।'' 


फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड के बारे में 

फोर्टिस हैल्‍थकेयर लिमिटेड, जो कि आईएचएच बेरहाड हैल्‍थकेयर कंपनी है, भारत में अग्रणी एकीकृत स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रदाता है। यह देश के सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍यसेवा संगठनों में से एक है जिसके तहत् 27 हैल्‍थकेयर सुविधाओं समेत (इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन पर फिलहाल काम चल रहा है), 4300 बिस्‍तरों की सुविधा तथा 400 से अधिक डायग्‍नॉस्टिक केंद्र (संयुक्‍त उपक्रम सहित) हैं। भारत के अलावा, संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) तथा श्रीलंका में भी फोर्टिस के परिचालन है। कंपनी भारत में बीएसई लिमिटेड तथा नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। यह अपनी ग्‍लोबल पेरेंट कंपनी आईएचएच से प्रेरित है तथा मरीज़ों की विश्‍वस्‍तरीय देखभाल एवं क्‍लीनिकल उत्‍कृष्‍टता के उनके ऊंचे मानकों से प्रेरणा लेती है। फोर्टिस के पास ~23,000 कर्मचारी (एसआरएल समेत) हैं जो दुनिया में सर्वाधिक भरोसेमंद हैल्‍थकेयर नेटवर्क के तौर पर कंपनी की साख बनाने में लगातार योगदान देते हैं। फोर्टिस के पास क्‍लीनिकल से लेकर क्‍वाटरनरी केयर सुविधाओं समेत अन्‍य कई एंसिलियरी सेवाएं उपलब्‍ध हैं।  









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