फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला में की गई उत्तर भारत में पहली बार वर्टेब्रा स्टेंटोप्लास्टी 65 वर्षीय महिला की हुई सर्जरी: डॉ कौशल कांत


नई दिल्ली (अमन इंडिया ) ।


 फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला नई दिल्ली के डॉक्टरों ने बिहार की 65 वर्षीय महिला की सफल "वर्टेब्रा स्टेंटोप्लास्टी" की जिन्हें स्पाइनल फ्रैक्चर हो गया था। यह उत्तर भारत का पहला मामला था जिसमें यह आधुनिक स्पाइन सर्जरी की गई। डॉ. कौशल कांत मिश्रा, डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रीप्लेसमेंट के साथ डॉ. रवींद्र सिंह बिष्ट, कंसल्टेंट, स्पाइन सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने नए ज़माने की मेडिकल प्रक्रियाओं की मदद से यह सर्जरी सिर्फ 25 मिनट में कर दी। स्टेंटोप्लास्टी एक क्रांतिकारी तकनीक है जिसमें स्टेंट को वर्टेब्रल बॉडी के भीतर डालकर सीमेंट लगाया जाता है। वर्टेब्रल फ्रैक्चर के मामले में गंभीर दर्द होने पर यह बहुत ही प्रभावी और जल्द असर करने वाला उपचार है। ऐेसे मामलों में परेशानी बढ़ती जाती है। 

मरीज़ बिहार में अपने घर में गिर गईं और उन्हें उनके गृह नगर बेगूसराय के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद पता चला कि उनके एल1 वर्टेब्रा (लोअर बैक का सबसे ऊपरी हिस्सा) में कंप्रेशन फ्रैक्चर हो गया है जिसकी वजह से बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था और एल 1 वर्टेब्रा हाइट को नुकसान पहुंचने की वजह से वह न तो चल पा रही थीं और न ही खड़ी हो पा रही थीं। 


उन्हें आराम करने और दवाएं लेने की सलाह दी गई, हालांकि एक महीने बाद भी मरीज़ की सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। उन्हें फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला में डॉ. कौशल कांत मिश्रा के पास जाने के लिए रेफर किया गया और उन्हें इमरजेंसी यूनिट में भर्ती किया गया। चिकित्सकीय जांच के बाद यह पाया गया कि वर्टेब्रा में ऑस्टियोपोरोटिक कंप्रेशन फ्रैक्चर हुआ है। मरीज़ को पहले से ही ऑस्टियोपोरोसिस, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, कोरोनरी आर्टरी बीमारी और ऑस्टियोऑर्थराइटिस जैसी बीमारियां थीं जो सर्जरी करने के लिहाज़ से खतरे की वजह बन सकती थीं। इन सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी के पारंपरिक तरीके को अपनाने के बजाय स्टेंटोप्लास्टी प्रक्रिया करने का निर्णय किया क्योंकि मरीज़ को बहुत ज़्यादा दर्द था और एक महीने पहले उन्हें फ्रैक्चर हुआ था।

डॉ. कौशल कांत मिश्रा, डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रीप्लेसमेंट, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला, नई दिल्ली ने कहा, "स्टेंटोप्लास्टी अन्य स्टेंटिंग प्रक्रियाओं जैसा ही होता है जिसमें सटीक परिणाम के लिए किफोप्लास्टी प्रक्रिया में मदद के लिए टाइटेनिम स्टेंट का इस्तेमाल किया जाता है। कार्डिएक स्टेंटिंग की तरह ही वर्टेब्रल स्टेंटोप्लास्टी को भी लोकल एनेस्थिसिया के साथ किया जाता है। स्टेंटोप्लास्टी में टाइटेनियम से बने और आकार में बड़े किए जा सकने वाले केज को फ्रैक्चर हुए वर्टेब्रा के भीतर डाला जाता है। इसके बाद केज का आकार बढ़ जाता है और टूटी हुई हड्डी को हटा दिया जाता है और इसके साथ ही हाइट पहले जितनी हो जाती है। स्टेंट को भीतर ही छोड़ दिया जाता है और अंत में वर्टेब्रल बॉडी और स्टेंट में बोन सीमेंट भर दिया जाता है। सर्जरी के बाद मरीज़ चलने-फिरने लगी क्योंकि रिकवरी बहुत तेज़ हुई और सर्जरी के बाद कोई जटिलता नहीं थी और इस तरह मरीज़ के जीवन में सुधार आया। इस मामले में हमने स्टेंट को वर्टेब्रा के भीतर ही छोड़ दिया जहां सीमेंट के लीक होने की आशंका बेहद कम थी और न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं भी कम हो गईं। इसके अलावा, वर्टेब्रा की हाइट में भी सुधार हो गया। यह सर्जरी सिर्फ 25 मिनट में ही हो गई और मरीज़ को एक दिन के भीतर ही डिस्चार्ज कर दिया गया।"


बिदेश चंद्र पॉल, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला, नई दिल्ली ने कहा, "एक और क्लिनिकल उपलब्धि हासिल करने के लिए मैं डॉ. कौशल कांत मिश्रा और उनकी टीम को बधाई देता हूं। भारत में वर्टेब्रा स्टेंटोप्लास्टी बहुत ही दुर्लभ किस्म की सर्जरी है और स्पाइन सर्जरियों के मामले में यह एक तरह का वरदान है। यह अपेक्षाकृत नया इंप्लांट सिस्टम है जिसे पूरी दुनिया में 2022 की आखिरी तिमाही में पेश किया गया था। डॉ. कौशल कांत मिश्रा के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सभी मानकों का विश्लेषण किया और यह प्रक्रिया अच्छी तरह पूरी की। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला में स्वास्थ्यसेवा से जुड़ी आधुनिक टैक्नोलॉजी की मदद से ऐसे जटिल मामलों को निपटाने के लिहाज़ सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं क्योंकि हमारी कोशिश मरीज़ों को सर्वोच्च गुणवत्ता की देखभाल उपलब्ध कराने की है।"