एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल द्वारका में हुआ एक दुर्लभ नासॉफिरिन्जियल एंजियोफिब्रोमा से पीड़ित 15 वर्षीय इराकी लड़के का सफल इलाज



एक दुर्लभ घटना में, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका में 15 वर्षीय लड़के का एंडोनासल एंडोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से नासॉफिरिन्जियल एंजियोफिब्रोमा का सफल इलाज हुआ


दिल्ली (अमन इण्डिया)। द्वारका  हाल ही में इराक के एक 15 वर्षीय लड़के का एंडोनैसल एंडोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से नासोफेरींजल एंजियोफिब्रोमा (एक दुर्लभ ट्यूमर) के लिए एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में सफलतापूर्वक इलाज पूरा किया गया। इस मरीज़ को पिछले एक साल से नाक में रुकावट की समस्या थी और साथ ही उसकी नाक से बार-बार खून बहता था। जांच करने के बाद इस समस्या का निदान पूरा किया गया जिसमें पता चला कि उनके बाएं नासॉफिरिन्क्स में एक बड़ा हाइपर-वैस्कुलर ट्यूमर था जो कि पैराफेरीन्जियल स्पेस तक फैल गया था, जिससे इस मरीज़ को नासोफेरींजल एंजियोफिब्रोमा हो गया था। इस मरीज की हालत को देखते हुए डॉ. आशीष और डॉ. शुभम ने तुरंत उसकी जान बचाने के लिए एंडोनैसल एंडोस्कोपिक सर्जरी करने का फैसला किया।


नासोफेरींजल एंजियोफिब्रोमा एक दुर्लभ ट्यूमर है जो केवल 10-20 वर्ष की आयु के बीच के किशोरों में पाया जाता है। इस बीमारी में नाक से अत्यधिक मात्रा में रक्त स्त्राव होता है। इस ट्यूमर के ट्रीटमेंट में सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि सर्जरी के दौरान इससे बहुत अधिक मात्रा में खून बह सकता है हालांकि इस तरह का ट्यूमर एक निश्चित अवधि तक बढ़ता रहता है और यह ट्यूमर आम तौर पर पैराफेरीन्जियल स्पेस में नहीं पाया जाता है। यह मामला बेहद विशेष था और ट्रीटमेंट एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि मरीज़ इसके पहले अपने देश में सर्जरी और रेडियोथेरेपी ले चुका था। मरीज़ के उपचार के लिए ट्यूमर एम्बोलिज़ेशन और एंडोनैसल एंडोस्कोपी की योजना बनाई गई और 6 घंटे की सर्जरी के बाद मात्र 700 मिलीलीटर रक्त के नुकसान पर ट्यूमर को अपनी जगह से पूरी तरह से हटा दिया गया। 


मरीज़ की स्थिति के बारे में बात करते हुए *डॉक्टर आशीष, कंसलटेंट ओटोरहिनोलारिंजोलॉजी, हेड एंड नेक, क्रेनियल बेस सर्जरी, ईयर, नोज एंड थ्रोट, एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका* ने कहा, "इस मरीज़ की सर्जरी पहले ही उसके अपने देश में की जा चुकी थी और उसका इलाज करने में यही एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि हमारी बेहतरीन टीम ने इस स्थिति का प्रबंधन बहुत अच्छे से किया और सर्जरी के बाद मरीज़ के शरीर में किसी भी प्रकार की जटिलता नहीं आई। सर्जरी के दौरान मात्र 700 मिलीलीटर खून का नुकसान हुआ जिस कारण से मरीज को किसी भी तरह के ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं पड़ी और मरीज के चेहरे या गर्दन पर किसी तरह का निशान या चीरा के बगैर मात्र 3 दिनों में वह ठीक हो गया।"


*डॉ शुभम जैन, एचओडी और कंसलटेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एचसीएमसीटी, मणिपाल अस्पताल, द्वारका,* ने कहा, "इस मरीज में ट्यूमर एक ऐसे स्थान पर मौजूद था जहां सर्जरी करना बहुत जटिल कार्य था। इस तरह की सर्जरी में खून काफी ज्यादा मात्रा में बह सकता है लेकिन यहां एचसीएमसीटी, मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में इस रोगी की सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और सर्जरी के एक दिन बाद उसे आईसीयू में भेज दिया गया। इस तरह के एडवांस्ड ट्यूमर की सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी जोकि मल्टी-डिपार्टमेंटल कोलैबोरेशन और बेहतरीन ऑपरेटिव एवं क्रिटिकल केयर टीम वर्क के कारण संभव हो सकी।"


*मणिपाल हॉस्पिटल्स के बारे में*


स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी मणिपाल हॉस्पिटल्स, भारत का दूसरा सबसे बड़ा मल्टी-स्पेशियलिटीहेल्थ केयर प्रदाता है। यहाँ सालाना 4 मिलियन से अधिक रोगियों का इलाज होताहै। भारत में कोलंबियाएशिया अस्पताल में हाल ही में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के साथ, इस एकीकृत संगठन ने आज 15 शहरों में 28 हॉस्पिटल्स के साथ अखिल भारतीयस्तर पर 4,000+ डॉक्टरों और 10,000+ कर्मचारियों के साथ 7,600+ बेड उपलब्ध कराये हैं। इस का फोकस, अपने मल्टीस्पेशलिटी और टर्शियरी केयर डिलीवरी स्पेक्ट्रम के माध्यम से एक किफायती, उच्चगुणवत्ता वाला हैल्थकेयर फ्रेम वर्क विकसित करना है और इसका विस्तार आउट ऑफ हॉस्पिटल केयर तक करना है। मणिपाल हॉस्पिटल्स पूरे विश्वकेरोगियों के लिए व्यापक उपचारात्मक और निवारक देखभाल प्रदान करते हैं।