इंपैक्ट गुरु फाउंडेशन और प्रिस्टीन केयर ने ‘सेव द साईट’ लॉन्च किया






वंचितों को मोतियाबिंद का इलाज कराने के लिए सर्जरी उपलब्ध कराने का अभियान 


नई दिल्ली (अमन इंडिया)।  यूनिवर्सल हैल्थकेयर को बढ़ावा देने वाले संगठन, इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन (आईजीएफ) ने ‘सेव द साईट’ अभियान के लिए अग्रणी हैल्थकेयर प्रदाता, प्रिस्टीन केयर के साथ गठबंधन किया है। इस अभियान के तहत, आईजीएफ क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म, इंपैक्टगुरु.कॉम पर पूंजी एकत्रित करेगा और इस पूंजी का उपयोग वंचितों को मोतियाबिंद की सर्जरी प्रदान करने के लिए किया जाएगा। ये सर्जरी प्रिस्टीन केयर के एक्सपर्ट ऑफ्थेल्मोलॉजिस्ट्स द्वारा की जाएंगी। ‘सेव द साईट’ उन 2 मिलियन से ज्यादा लोगों की दृष्टि बचाने का एक प्रयास है, जो मोतियाबिंद की सर्जरी कराना चाहते हैं, पर इसका खर्च वहन नहीं कर सकते।


भारत में लगभग 8 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं, जो दुनिया में नेत्रहीनों की सबसे बड़ी आबादी है। नेत्रहीनता के मुख्य कारणों में से एक मोतियाबिंद है, जिसके कारण भारत में बाईलेटरल नेत्रहीनता के 50 से 80 प्रतिशत मामले होते हैं। इसके अलावा, मोतियाबिंद टाली जा सकने वाली नेत्रहीनता का सबसे बड़ा कारण भी है। नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नॉलॉजी एंड इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) के नए आँकड़ों के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष 3.8 मिलियन से ज्यादा लोग मोतियाबिंद का शिकार होते हैं।


कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो सालों में उत्पन्न हुए मोतियाबिंद की सर्जरी के कम से कम 10 मिलियन मामलों के लिए सरकार ने 1 जून से एक विशेष अभियान शुरू किया है। इसमें मदद करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने अगले तीन सालों में 61.58 सर्जरी ज्यादा किए जाने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेत्रहीनता की दर को 2010 में 1.4 प्रतिशत से घटाकर 2025 तक 0.25 प्रतिशत तक ले जाना है। आईजीएफ और प्रिस्टीन केयर के बीच गठबंधन सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।


इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन के सीईओ, संदीप तलवार ने कहा, ‘‘हर साल मोतियाबिंद का शिकार होने वाले 3.8 मिलियन लोगों में से 80 प्रतिशत लोग स्थायी रूप से नेत्रहीन हो जाते हैं। प्रिस्टीन केयर के साथ गठबंधन में हमारा अभियान देश में लोगों को अपनी दृष्टि बचाने और अपने आसपास की खूबसूरती का आनंद लेने में मदद करेगा। इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन सदैव से स्वास्थ्य सेवाओं को सभी की पहुँच में लाने में यकीन करता आया है। मोतियाबिंद सबसे आवश्यक सर्जरीज़ में से एक है, इसलिए हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह सर्जरी प्रदान करना चाहते हैं।’’


इस अभियान के बारे में हरसिमरबीर सिंह, को-फाउंडर, प्रिस्टीन केयर ने कहा, “भारत में इलाज की उपलब्धता के बीच एक बहुत बड़ा अंतर है। कुछ ग्रामीण इलाकों में तो 30,000 की आबादी में केवल एक डॉक्टर मौजूद है। टियर-2 और टियर-3 शहरों में हमारी मजबूत उपस्थिति के साथ हमारा उद्देश्य भारत मिशन के लिए हमारी स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत गुणवत्तायुक्त इलाज एवं उपलब्धता में सुधार करना है। हमारे पास पूरे देश में चल रहे लगभग 800 हॉस्पिटल्स और 200 से ज्यादा क्लिनिक्स का एंपैनल्ड नेटवर्क है। इंपैक्ट गुरू फाउंडेशन के साथ गठबंधन में ‘सेव द साईट’ अभियान द्वारा हमारा उद्देश्य वंचित समुदायों में मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को सर्जिकल केयर प्रदान करना है।“



निम्नलिखित पात्रताओं को पूरा करने वाले मरीजों का इलाज किया जाएगाः


• बीपीएल कार्डधारक कोई भी व्यक्ति इस कार्यक्रम के लिए पंजीकरण करा सकता है।

• परिवार की मासिक आय 20,000 रु. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

• इस कार्यक्रम में पंजीकरण कराने के लिए मरीज को किसी भी स्वास्थ्य योजना में पंजीकृत नहीं होना चाहिए।

• इस कार्यक्रम में पंजीकरण कराने के लिए मरीज के पास कोई भी स्वास्थ्य बीमा (व्यक्तिगत या सामूहिक) नहीं होना चाहिए।


मोतियाबिंद देश में नेत्रहीनता का एक मुख्य कारण है। हालाँकि मोतियाबिंद का इलाज सामान्य प्रक्रिया द्वारा संभव है, जिसमें सफलता पाने की दर 98 प्रतिशत से ज्यादा है। प्रिस्टीन केयर डेटा लैब द्वारा जून में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के मुताबिक जानकारी, इलाज, और उपलब्धता कम प्राप्त होना भारतीयों के इलाज में विलंब होने के मुख्य कारण हैं। प्रिस्टीन केयर के पास मोतियाबिंद के एक लाख से ज्यादा मरीज शंकाएं लेकर आ चुके हैं, और इसके द्वारा आज तक 7000 से ज्यादा सर्जरी की जा चुकी हैं।