राम द्वारा बाली वध एवं हनुमान द्वारा लंका दहन


नोएडा (अमन इंडिया अकरम चौधरी) । श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन के सातवें दिन मुख्य अतिथि ओएसडी इंदुप्रकाश सिंह, ओएसडी कुमार संजय, ओएसडी अवनीश त्रिपाठी,पीके अग्रवाल, दिनेश गोयल, महेश गुप्ता,वरिष्ठ प्रबन्धक ओ. पी. राय,महंत प्रभातनन्द गिरी महाराज, सुरेश चौहनके, उमानंदन कौशिक, ओमवीर अवाना,राजीव अग्रवाल आशीषजी, निशांत कुमार एवं अन्य अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर लीला मंचन का शुभारम्भ किया गया।श्रीराम मित्र मंडल रामलीला समिति के महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने मंच संचालन किया।समिति के चैयरमेन उमाशंकर गर्ग ,अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं राजकुमार गर्ग सीएमडी एवरग्रीन स्वीट्स द्वारा मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान कर और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया। रावण द्वारा सीता माता को चुराने के बाद खोज करते हुए श्री राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे जहां अपने भाई बालि से तिरस्कृत होने के बाद सुग्रीव हनुमान जी एवं अन्य वानरों के साथ रह रहे थे. दूर से देख कर सुग्रीव को लगा कि उन्हें मारने के लिए बालि ने तीर कमान से सुसज्जित दो राजकुमारों को भेजा है. उन्होंने पता लगाने के लिए हनुमान जी को भेजा तो वे विप्र रूप में पहुंचे. परिचय पूछकर वे अपने स्वामी को पहचान गए और उनके पैरों में गिर पड़े। श्रीराम की सुग्रीव से मित्रता होती है और सुग्रीव बाली की दुष्टता के बारे में बताता है। सुग्रीव और बाली का युद्ध होता हैं और भगवान राम बाली का वध कर देते हैं । भगवान राम कहते हैं अनुज वधू भगिनी सुतनारी । सुनुस ठक न्याए समचारी । इन्हहि कुदृष्टि विलोकइ जोई । ताहि बधे कछु पाप ना होई’। इस प्रकार प्रभु श्रीराम बाली को अपने परम धाम पहुंचा देते है । बाली वध के उपरांत सुग्रीव का राजतिलक होता है । कुछ समय व्यतीत होने के बाद सीता की खोज के लिए सुग्रीव कोई प्रयास नहीं करते हैं । इससे श्रीराम व लक्ष्मण सुग्रीव पर क्रोधित होते हैं । सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है । खोजते खोजते उनकी भेंट सम्पाती से होती है जो कि जटायु का भाई है । उसने बताया कि सीता लंका में है और जो सौ योजन समुंद्र को लांघ सकता हो वहीं वहां जा सकता है । समुंद्र तट पर जाम्वन्त ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया । इसके बाद हनुमान जी भगवान श्रीराम का नाम सुमिर कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं । रास्ते में उन्हें सुरसा मिलती है । सुरसा अपना बदन सोलह योजन तक फैलाती है हनुमान जी 32 योजन तक अपना बदन फैलाते हैं । जब सुरसा समझ जाती है तो हनुमान सर नवाकर आगे चलते है । हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचकर जहां सीता बैठी हुई हैं उस पेड़ पर छुप जाते हैं और रामनाम की अंगूठी ऊपर से डालते हैं जिसे देखकर सीता के मन में विषमय होता है । इसके बाद सीताजी से आज्ञा पाकर हनुमान वाटिका से फल खाने लगते हैं और पेड़ तोडने लगते है । जब बाग के रखवालों ने रावण को बताया तो उसने अक्षय कुमार को भेजा जिसका हनुमान जी वध कर देते है । मेघनाथ द्वारा हनुमान को पकड़कर रावण के दरबार मे लाया जाता है जहाँ हनुमान रावण से कहते हैं कि अब भी समय है अपने कुकर्मो के लिए श्रीराम से क्षमा मांग लो वह दया की मूर्ति हैं निसंदेह तुमको क्षमा कर देंगे परन्तु रावण अपने अहंकार मे क्षमा मांगने से मना कर देता है वहीं रावण दरबार में सभी कहते है कि हनुमान को मार दिया जाये लेकिन विभीषण के समझाने पर रावण ने कहा कि इसकी पूछ पर आग लगा दो । आग लगाने के बाद हनुमान जी एक महल से दूसरे महल पर जाते है और इस तरह पूरी लंका को जला देते है । इसी के साथ दिन की लीला का समापन होता है । इस अवसर पर मुख्य संरक्षक मनोज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह-कोषाध्यक्ष अनिल गोयल,उपमुख्य संरक्षक राजकुमार गर्ग,वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल,बजरंगलाल गुप्ता, चौधरी रविन्द्र सिंह, तरुणराज, एस एम गुप्ता, पवन गोयल, आत्माराम अग्रवाल, मुकेश गोयल, मुकेश अग्रवाल, शांतनु मित्तल, मनीष गुप्ता, चन्द्रप्रकाश गौड़, गौरव मेहरोत्रा, मनीष गोयल, आर के उप्रेती,गौरव गोयल,सुधीर पोरवाल, मनोज सिंघल,राजकुमार बंसल, गौरव चौधरी, संतोष त्रिपाठी, प्रवीण गोयल, अर्जुन अरोड़ा, रोहताश गोयल, बीना बाली, सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्तिथ रहे।

श्रीराम मित्र मंडल के सह कोषाध्यक्ष अनिल गोयल ने बताया कि 03 अक्टूबर को रावण द्वारा विभीषण का त्याग, रामेश्वरम की स्थापना, रावण अंगद संवाद, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध , हनुमान का संजीवनी लाना, मूर्छा भंग होना, आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा ।

श्री राम लखन धार्मिक लीला कमेटी


भरत कैकई संवाद, भरत मिलाप, सुपनखा का पंचवटी में आना, खर दूषण वध की लीला का हुआ मंचन



मुख्य अतिथी प्रोफेसर डॉ बलविंदर शुक्ला ने किया रामलीला का शुभारंभ




 सेक्टर 46 के रामलीला ग्राउंड में चल रही श्रीराम लखन धार्मिक लीला में सातवें दिन भारत के कई संवाद एवं भरत मिलाप तथा सूपनखा पंचवटी में आना और खर दूषण वध की लीला का आयोजन किया गया।


  प्रोफेसर डॉक्टर बलविंदर शुक्ला द्वारा किया गया।


इस अवसर पर प्रोफेसर बलविंदर शुक्ला ने कहा कि प्रत्येक वर्ष होने वाली रामलीला से भी कुछ लोग सीख नहीं ले पाते और व बेवजह असत्य के रास्ते पर चल पड़ते हैं। 


जबकि उन्हें पता होता है, कि सत्य के रास्ते पर चलकर उनकी मंजिल में थोड़ा समय तो लग सकता है।


 लेकिन उनकी जीत निश्चित है।


 वही असत्य के रास्ते पर चलकर हार का मुंह देखना पड़ता है।

 उन्होंने कहा कि राम लीला मंचन पहले से ही चला आ रहा है ।

पहले तो खुद कलाकार अपने मुख से बोल कर लीला का मंचन करते थे। जिसमें एक हास्य कलाकार होता था जो सबको लोटपोट कर देता था।


लेकिन अब बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक युग के चलते ऐसा कम ही रामलीला में देखने को मिलता है।

 कि कलाकार अपनी वाणी से ही लीला का मंचन करता हो, अब मंच पर भूमिका कलाकार की दूसरा निभाता है।

 जबकि उसकी आवाज दूसरे की होती है।

 पहले ऐसा नहीं था।

 उन्होंने कहा कि रामलीला देखने से लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखते हैं।


 इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में राकेश यादव, भरत प्रधान, सुबे यादव, महेंद्र यादव, दीपक विग, सुभाष भाटी, व डॉ हरीश त्रिपाठी मौजूद रहे।


रामलीला वाचक पंडित कृष्णा स्वामी ने भारत कैकई संवाद के साथ रामलीला का शुभारंभ किया।


रामलीला लीला में भरत अपनी ननिहाल में वापस आते हैं।

 और केकई कौशल्या के भवन में जाते हैं ।

जब केकई उन्हें बताती है कि राम के वनवास में उनका हाथ है।

 तभी भरत क्रोधित हो जाते हैं ।


उसी समय केकई का त्याग करते हुए अपने पिता का दाह संस्कार के बाद गुरु की आज्ञा से राम को लेने चित्रकूट जाते हैं ।

जब राम-राम नहीं आते और वह उनकी खड़ाऊ लेकर चले आते हैं। इसके बाद श्रीराम तुरंत पंचवटी चले जाते हैं।

 पंचवटी में उनकी मुलाकात सुपणखा और नारद से होती है।

 इस दौरान सुपणखा का नाक काटने की लीला का मंचन तथा खर दूषण की वध की लीला का मंचन के बाद रावण की सभा में सुपणखा को बुलाना ,सुपणखा द्वारा नाक काटने की कहानी सुनाने के बाद।

 रावण क्रोधित हो जाते हैं।

 इसके बाद रावण मारिच को लेकर पंचवटी में जाते हैं ।

तभी लक्ष्मण सीता संवाद एवं सीता के हरण की लीला के समय जटायु का वध करने की लीला का मंचन किया गया। 


इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष विपिन अग्रवाल द्वारा आए हुए सभी अतिथियों का सम्मान किया गया।


 उन्होंने कहा कि सेक्टर 46 में होने वाली रामलीला में प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान किया जाता है।


इस अवसर पर आयोजक समिति :मनोज अग्रवाल ,कुमारी पूनम सिंह, राजेंद्र जैन

संजय गोयल, आलोक गुप्ता , विकास बंसल, अनुज गुप्ता, रामबीर यादव ,संदीप अग्रवाल,पंडित कृष्णा स्वामी,मनीष अग्रवाल, सुभाष चंद्र शर्मा, बलराज गोयल,अशोक गोयल, सुशील सिंघल,

गिरिराज अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, राधेश्याम गोयल,प्रवीण बंसल,महावीर गोयल, अजय गोयल, अनिल गोयल नेत्रपाल अग्रवाल, रोहतास गोयल, ईशान गोयल, राजेश जिंदल ,राजीव अग्रवाल,

 मुकेश गुप्ता, भाई सक्रवाल इंदिरापुरम, श्रीकांत बंसल, डॉक्टर एसपी जैन, राजेंद्र भाटी, महावीर जैन , प्रेम सिंह इंस्पेक्टर , प्रदीप सिंघल,दीपक बंसल 

सनातन धर्म रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला महोत्सव में आज शबरी से प्रभु श्री राम जी का मिलना,हनुमान जी का श्री राम से मिलना,सुग्रीव से श्री राम जी की मित्रता बाली का बध ,लंका दहन,की लीला का मंचन किया गया जिसमे समिति के चेयरमैन टी एन गोविल,जी,अध्यक्ष टी एन चौरसिया, कार्यकारी अध्यक्ष सुशील भारद्वाज,महासचिव संजय बाली जी,कोषाध्यक्ष अल्पेश गर्ग, शुभकरण राणा जी, रमेश जी, अनिल गुप्ता, मित्रा शर्मा, डॉक्टर एस पी जैन,एन के अग्रवाल जी, सौरभ गोविल,रविन्द्र गुप्ता, अतुल वर्मा, शान सिंह,निखिल गुप्ता,इंदु यादव,संजय,गुप्ता, राजीव गर्ग जी,, विपिन बंसल,विनय शर्मा जी,राजीव अजमानी जी, कुलदीप गुप्ता,पवन सिंह,सुंदर सिंह राणा, वीरेश तिवारी,जनक भाटिया,राहुल बाली,,प्रमोद रंगा,चंद्रपाल सिंह,, प्रमोद बहल,राम बाबू गुप्ता,ममता सिंह,मीना ,,पुनीत शुक्ला,, मनोज शर्मा,सुनील कुमार,तरुण अरोरा,आशीष, द्वेदी, सोनू शर्मा,नीरज शर्मा,राम जी चंदेल,केएवम् शहर के काफी गणमान्य लोग उपस्तिथि थे