शारीरिक दर्द को भगाने में फिजियोथेरैपी मददगार:फेलक्सी हॉस्पिटल



नोएडा (अमन इंडिया)।


लाइफस्टाइल में बदलाव होने के कारण लोगों में मसल्स से संबंधित कई तरह की परेशानियां हो रही है। मसल्स से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए फिजियोथैरेपी एक अच्छा आप्शन बन गया है। डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया भर में 8 सितंबर को वर्ल्ड फीजियोथेरैपी डे मनाया जाता है। फेलिक्स हॉस्पिटल के फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉ रिंकू कुमार का कहना है कि समय के साथ लोगों की लाइफ स्टाइल में भी बदलाव आया है। फीजियोथेरैपी एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए एक्सरसाइज के जरिए मांसपेशियों को एक्टिव किया जाता है। इसका सीधा सा मतलब है कि अगल आपके शरीर के किसी भी हिस्से में लंबे समय से दर्द हो रहा है और आप दवाइयों से परहेज रखते हैं तो फिजियोथैरेपी के जरिए आप शरीर में होने वाले किसी भी दर्द से छुटकारा पा सकते हैं । फीजियोथेरैपी यानी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हड्डियों-नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से आधुनिक मशीनों, एक्सरसाइज, मोबिलाइजेशन और टेपिंग के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाना। आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह-तरह की बीमारियों व दर्द की चपेट में आ जाता है। फिजियोथैरेपी को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर दवाइयों पर निर्भरता कम करके स्वस्थ रह सकते हैं। ऑस्टियोऑर्थराइटिस के दर्द से निजात दिलाने के लिए अबतक कोई भी प्रमाणिक दवा नहीं है। फिजियोथैरेपी से ही इस बीमारी से निजात मिल सकती है। फिजियोथैरेपी के माध्यम से शरीर के अलग-अलग हिस्से में हो रहे दर्द और अनावश्यक दवाइयों के इस्तेमाल से मुक्ति मिल सकती है। फिजियोथैरेपी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वॉकथन और परिचर्चा का आयोजन होना जरूरी है। फिजियोथैरेपी के माध्यम से ना सिर्फ घुटना, बल्कि कंधा, गर्दन, रीढ़ की हड्डी, आदि में दर्द से छुटकारा मिल सकता है। दवाइयों का अनावश्यक इस्तेमाल से किडनी व अन्य बीमारियों का जोखिम हो सकता है। साथ ही शरीर भी दवाइयों का आदि हो सकता है। घुटना, लिगामेंट अथवा हड्डी के अन्य ऑपरेशन के बाद फिजियोथैरेपी का सहारा मिले तो मरीज जल्द ठीक हो जाता है। मांसपेशियों और नसों को मजबूत कर बिना दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के दर्द से राहत दिलाने वाली फिजियोथेरेपी अब विभिन्न रोगों के उपचार का अभिन्न हिस्सा बनती जा रही है। हृदय रोग, सिजेरियन समेत विभिन्न सर्जरी के बाद अब यह कोरोना इलाज और पोस्ट कोविड प्रबंधन में मददगार साबित हो रही है। कोरोना का सबसे खतरनाक लक्षण फेफड़ों में संक्रमण के कारण सांस लेने में परेशानी है। फेफड़े संबंधित अन्य गंभीर रोग अस्थमा, सीओपीडी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि होने पर डॉक्टर चेस्ट फिजियोथेरेपी कराते हैं। कोरोना संक्रमित गंभीर रोगियों के फेफड़े में जमा बलगम निकलने पर रोगी जल्द ठीक हो सकता है। चेस्ट फिजियोथेरैपी के तहत किए जाने वाले पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टॄनग, डीप ब्रीदिंग व्यायाम सेफेपड़ों में जमा बलगम निकालने में मदद मिलती है। कोरोना संक्रमित गंभीर रोगियों के फेफड़े में जमा बलगम निकलने पर रोगी जल्द ठीक हो सकता है। चेस्ट फिजियोथेरैपी के तहत किए जाने वाले पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टॄनग, डीप ब्रीदिंग व्यायाम से फेफड़ों में जमा बलगम निकालने में मदद मिलती