फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक निकाली एक दिन के नवजात की गर्दन से बड़ी गांठ


_एक लाख में से किसी 1 नवजात को होती है यह कंडीशन



नोएडा (अमन इंडिया)।  फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के डॉक्टरों ने गर्दन में ब्रेन फ्लुईड से भरी एक गांठ (सर्वाइकल मेनिंगोमाइलोसील) जैसी दुर्लभ कंडीशन से जूझ रहे एक दिन के नवजात का सफलतापूर्वक इलाज किया। तुरंत सर्जरी कर नहीं निकालने पर इस गांठ के फटने का जोखिम बहुत अधिक था। डॉ. राहुल गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस नोएडा के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने इस नवजात का ऑपरेशन किया जो 3 घंटे तक चली सर्जरी के बाद सूजी हुई गांठ को गर्दन से निकाल दिया।


नवजात का जन्म गाज़ियाबाद स्थित एक हॉस्पिटल में हुआ था और उसे उसी दिन फोर्टिस नोएडा में भर्ती कराया गया था क्योंकि गाज़ियाबाद के हॉस्पिटल में इतना जटिल केस संभालने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं। नवजात की गर्दन में असामान्य सूजन थी जो छूने में ठोस थी और फूले हुए गुब्बारे की तरह लग रही थी। डॉक्टरों ने पहले सूजन की ड्रेसिंग की जिससे त्वचा को किसी भी नुकसान से बचाया जा सके। इसके बाद नवजात की सर्वाइकल स्पाइन और मस्तिष्क का एमआरआई किया गया जिसमें दिखा कि नवजात की सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड का एक हिस्सा सूजन वाली जगह में आया हुआ है। यह कंडीशन सर्वाइकल मेनिंगोमाइलोसील कहलाती है और गर्दन में इसके बड़े आकार व फटने के जोखिम को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने जल्द से जल्द सर्जरी कर फ्लुईड से भरी इस गांठ को निकालने का फैसला किया। अधिकतर मामलों में ऐसी गांठें गर्भावस्था के पहले 4 सप्ताह में होने वाले कॉन्जेनिटल मैलफॉर्मेशन के कारण बनती हैं। कुछ स्टडीज़ में संकेत मिले हैं कि मां के शरीर में फोलिक ऐसिड की कमी भी इसकी वजह हो सकती है।


सर्जरी के बारे में डॉ. राहुल गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा ने बताया, ''यह बहुत दुर्लभ कंडीशन होती है और इसकी सर्जरी करना भी बहुत मुश्किल होता है क्योंकि एक दिन के नवजात पर सर्जरी करने के जोखिम बहुत अधिक होते हैं। नवजात को एनेस्थिसिया देने में बहुत अधिक जोखिम था और इसकी डोज़ बिल्कुल सटीक होना आवश्यक था। इसके लिए हमने डॉ. वरुण जैन, एचओडी, न्यूरो एनेस्थिसिया, फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा की मदद ली जिन्होंने इंट्रावेनस कैन्युला घुसाया और सिडेशन की अवस्था में एमआरआई किया। नवजात की हड्डियां बहुत पतली और नाज़ुक थी इसलिए जब हमने सूजन वाले हिस्से को खोला तो हमें वहां गांठ की इनर कैविटी से स्पाइनल कॉर्ड जुड़ी दिखी। हमने बड़ी मुश्किल और माइक्रोस्कोप के अधिकतम मैग्निफिकेशन में इस गांठ को अलग किया। स्पाइनल कॉर्ड को रिपोज़ीशन कर ड्यूरल क्लोज़र करना एक बड़ी चुनौती थीं। सभी टिश्यूज़ (हड्डियां, मांसपेशियां और लिगामेंट्स) बहुत छोटी थीं और उन्हें मैग्नीफाई करने के लिए एक हाई एंड ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप की ज़रूरत थी। न्यूरल टिश्यू (स्पाइनल कॉर्ड) को आसपास की कोशिकाओं से अलग कर उसे स्पाइनल कैनल (बोनी स्पाइन में स्पाइनल कॉर्ड की सामान्य जगह) में वापस रखा गया। चूंकि ज़ख्म से ब्रेन फ्लुईड लीक होने का जोखिम था इसलिए इसकी अलग-अलग परत को बहुत सटीकता के साथ बंद किया गया। ऑपरेशन के बाद ज़रा सा भी ब्रेन फ्लुईड लीक होने से सर्जरी करने की पूरी मेहनत बेकार हो जाती क्योंकि सर्वाइकल रीजन में जटिलताएं होने का जोखिम बहुत अधिक होता है।

डॉ. गुप्ता ने बताया, ''सर्जरी के बाद नवजात को पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के लिए नियोनेटल आईसीयू में रखा गया। वह अपने सभी हाथ-पैर हिला रहा था और उसमें किसी प्रकार का कोई न्यूरोलॉजिकल लक्षण नहीं दिखा। अगर यह सर्जरी समय पर नहीं की जाती तो इससे उसके हाथ-पैरों में कमज़ोरी आती और संक्रमण का जोखिम रहता जिसमें मौत भी हो सकती थी। नवजात को डॉक्टरों व नर्सों की कड़ी निगरानी में रखा गया और उसके पोषण व शरीर के तापमान पर खास नज़र रखी गई। सर्जरी के 4 दिन बाद उसकी हालत में काफी सुधार हुआ और उसे डिस्चार्ज के लिए फिट घोषित कर दिया गया। हमने एक सप्ताह बाद ओपीडी में उसकी फॉलो-अप जांच की और शिशु अब पूरी तरह स्वस्थ है।

फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के ज़ोनल डायरेक्टर मोहित सिंह बताते हैं, ''यह हमारे लिए एक दुर्लभ और मुश्किल केस था क्योंकि रोगी एक दिन का नवजात था। डॉ. राहुल गुप्ता, डायरेक्टर-न्यूरोसर्जरी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बहुत सावधानी के साथ इस केस को हैंडल किया और एनेस्थिसिया टीम के साथ मल्टी-डिसिप्लीनरी रवैया अपनाकर सटीकता के साथ सफलतापूर्वक सर्जरी की।