फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में सफल हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद 19 वर्षीय को मिला नया जीवन

 फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में सफल हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद 19 वर्षीय को मिला नया जीवन



-8 घंटे से अधिक समय तक चली सर्जरी-


 


नई दिल्ली (अमन इंडिया)।  फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला के डॉक्टरों ने 55 वर्षीय ब्रेन डेड डोनर का हृदय सफलतापूर्वक एक 19 वर्षीय युवक में ट्रांसप्लांट किया। यह युवक पिछले 1.5 साल से एडवांस्ड हार्ट फेल्यर से पीड़ित था। डोनर सुबह की सैर करते हुए अचानक बेहोश होकर सड़क पर गिर गए थे और उन्हें सिर पर गंभीर चोट के साथ तुरंत ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ एम्स ले जाया गया जहां उन्हें ब्रेन स्टेम डेड घोषित कर दिया गया। नैशनल ऑर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइज़ेशन (एनओटीटीओ) ने एक संभावित कैडेवैरिक हार्ट डोनर की उपलब्धता को लेकर अलर्ट भेजा।​डोनर का हृदय एनओटीटीओ फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट को आवंटित किया गया। फोर्टिस के डॉक्टरों की एक टीम को ले जा रही ऐंबुलेंस ने भारी ट्रैफिक के बीच बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर की मदद से एम्स से फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला तक का 9.2 किलोमीटर लंबा सफर सिर्फ 14 मिनट में पूरा किया।


 


डॉ. ज़ेड.एस. मेहरवाल, एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर ऐंड हेड, अडल्ट कार्डिएक सर्जरी, वीएडी ऐंड हार्ट ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने यह हृदय एक 19 साल के युवक में ट्रांसप्लांट किया।


 


रेसिपिएंट डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों की एक बीमारी जिसमें हार्ट चैंबर्स (वेंट्रिकल्स) पतले हो जाते हैं व खिंचते हैं और बड़े हो जाते हैं) के कारण एडवांस्ड हार्ट फेल्यर स्टेज में था। उसे पहले भी हार्ट फेल्यर के कारण फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में भर्ती कराया गया था और वह हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहा था जो हृदय उपलब्ध नहीं होने के कारण नहीं हो पा रहा था। उसकी बीमारी एक गंभीर चरण पर पहुंच चुकी थी और उसे दवाओं पर रखा गया था। ऐसे मामलों में आमतौर पर रोगी को कई टेस्ट कराने पड़ते हैं जिससे उसकी मौजूदा स्थिति का पता लगाया जा सकते और इसमें वे टेस्ट भी शामिल होते हैं जिनसे पता लग सके कि क्या रोगी के शरीर द्वारा ऑर्गन रिजेक्शन की आशंका भी है।


 


हार्ट ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बात करते हुए डॉ. ज़ेड.एस. मेहरवाल, एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर ऐंड हेड, अडल्ट कार्डिएक सर्जरी, वीएडी ऐंड हार्ट ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने बताया, ''इस केस में हार्ट ट्रांसप्लांट करना बहुत ज़रूरी था क्योंकि डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी के कारण रोगी एडवांस्ड हार्ट फेल्यर स्टेज में था। यह सर्जरी हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि डोनर और रेसिपिएंट की लंबाई और वज़न में काफी अंतर था। डोनर एक महिला थी जिसकी लंबाई कम थी जबकि रेसिपिएंट एक लंबा युवक था। रोगी की स्थिति के कारण हम कोरोनरी ऐंजियोग्राफी(एक प्रक्रिया जिसमें हार्ट की ब्लड वेसल्स या रक्त नलिकाओं को एक्स-रे इमेजिंग की मदद से देखा जाता है) नहीं कर सकते थे जो आमतौर पर की जाती है। इसके अलावा, सर्जरी के दौरान डोनर और रेसिपिएंट का आओर्टा (शरीर की एक मुख्य धमनी या आर्टरी) भी मेल नहीं खा रहा था। डोनर के आओर्टा का व्यास अधिक था जबकि रेसिपिएंट के आओर्टा का कम। इस वजह से हमें सर्जरी के दौरान कुछ तकनीकी बदलाव करने पड़े। अगर रोगी का समय पर इलाज नहीं होता तो वह एडवांस्ड हार्ट फेल्यर स्टेज में रहता और पल्मोनरी आर्टरी प्रेशर बढ़ता रहता जिसके कारण आने वाले समय में उसका ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता और हार्ट ट्रांसप्लांट की संभावना बहुत कम हो जाती।''


 


डॉ. मेहरवाल ने बताया, ''यह सर्जरी 8 घंटे से अधिक समय तक चली। कोई भी बड़ी कार्डिएक सर्जरी कराने वाले रोगी को दी जाने वाली नियमित देखभाल के अलावा, हार्ट ट्रांसप्लांट रोगी को ऑप्टिमम इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी (एंटी रिजेक्शन ड्रग्स) देने की भी ज़रूरत होती है जिससे रेसिपिएंट का शरीर डोनर का हार्ट रिजेक्ट नहीं कर सके। रोगी में किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोकने के लिए काफी एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं क्योंकि इम्यूनोसप्रेसेंट थेरेपी के कारण रोगी में संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है। रोगी की हालत अभी स्थिर है और अगले कुछ दिनों में हम उसे मोबिलाइज़ कर सकेंगे।''


 


बिदेश चंद्र पॉल, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला, नई दिल्ली ने कहा, ''यह मेडिकल रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण केस था और मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के पास अधिक जोखिम वाले कार्डिएक केस मैनेज करने की विशेषज्ञता और हाई-एंड टेक्नोलॉजीज़ हैं। डॉ. ज़ेड.एस. मेहरवाल, एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर ऐंड हेड, अडल्ट कार्डिएक सर्जरी, वीएडी ऐंड हार्ट ट्रांसप्लांटेशन प्रोग्राम, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ​नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम जिसमें डॉ. नवीन सर्राफ, डायरेक्टर, अडल्स कार्डिएक सर्जरी; डॉ. विकास शर्मा और डॉ. रविंद्र सक्सेना, कार्डिएक एनेस्थेसिस्ट और डॉ. विशाल रस्तोगी, हेड फॉर हार्ट फेल्यर क्लीनिक भी शामिल थे, ने सफलतापूर्वक यह सर्जरी पूरी की। मेडिकल टीम द्वारा दी गई मेडिकल केयर ने सुनिश्चित किया कि रोगी की हालत खराब नहीं हो और वह रिकवर कर सके। मैं यह बेहद जोखिम वाली सर्जरी को बेहद सतर्कतापूर्वक ढंग से पूरा करने के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई देता हूं।''