_*भारत में पहली बार: सीने में दायीं तरफ हृदय वाले 74 वर्षीय मरीज़ की फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, ओखला में चुनौतीपूर्ण टीएवीआर प्रक्रिया संपन्न
नई दिल्ली (अमन इंडिया)। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला, नई दिल्ली ने एक रेयर कंडीशन डैक्ट्रोकार्डिया (दायीं तरफ हृदय) से ग्रस्त 74 वर्षीय एक मरीज़ के उपचार के लिए उनकी सफल टीएवीआर (ट्रांसकैथेटर ऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) प्रक्रिया की है। 74 वर्षीय मरीज़ इंदरपाल सिंह पिछले करीब डेढ़ साल से कुछ भी काम करने पर सांस फूलने और पिछले कुछ हफ्तों से सीने में दर्द की समस्या से ग्रस्त थे। इसके अलावा, वह डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, हाइ बॉडी मास इंडैक्स, तथा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया से भी पीड़ित थे।
फोर्टिस में आने से पहले सिंह कई अस्पतालों और कार्डियाक सेंटर्स में पहले भी दिखा चुके थे लेकिन उन्हें कोई आराम नहीं मिला। डॉ अतुल माथुर, एग्जीक्युटिव डायरेक्टर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला की कार्डियोलॉजी टीम ने टीएवीआर की जटिल प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसमें असामान्य हार्ट वाल्व को स्किन पंक्चर कर कार्डियाक कैथेटर से बदला गया, और इस तरह जटिल ओपर सर्जरी से बचाव हुआ। मरीज़ की जांच से पता चला कि उनके सीने में दायीं तरफ स्थित हार्ट ऑर्टिक स्टेनॉसिस (नैरोड मैल्फंक्शनिंग हार्ट वाल्व) से ग्रस्त था। यह प्रक्रिया इस वजह से और भी मुश्किल इसलिए थी क्योंकि हार्ट दायीं तरफ था, और उस तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण था। भारत में, सीने में दायीं तरफ स्थित हार्ट के टीएवीआर का यह पहला मामला है। मरीज के इस हार्ट की विसंगतपूर्ण स्थिति और अन्य रोगों के चलते, डॉक्टरों ने टीएवीआर प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और 26 मई, 2022 को उनके 74वें जन्मदिवस पर उन्हें नया जीवनदान मिला। इस प्रक्रिया के बाद मरीज़ को अस्पताल में तीन दिन रुकना पड़ा और उनकी हालत स्थिर होते ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
इंदरपाल सिंह ने कहा कि कुछ साल पहले उनके पिता का भी सफल इलाज फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला में हुआ था और इस वजह से उनके मन में डॉ माथुर तथा फोर्टिस पर भरोसा था।
डॉ अतुल माथुर, एग्जीक्युटिव डायरेक्टर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने कहा, ''यह बेहद दुर्लभ किस्म का मामला है जिसमें हृदय जन्म से ही अपनी सामान्य जगह पर नहीं था। मरीज़ मोटापे के साथ-साथ ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (सबसे सामान्य किस्म का नींद संबंधी विकार जिसमें ऊपरी श्वसन मार्ग बार-बार पूर्ण या आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाता है जिसके चलते सोते समय सांस आनी कम हो जाती है या पूरी तरह से रुक जाती है) का भी शिकार था। इन सब कारणों के चलते टीएवीआर प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण थी। यह प्रक्रिया 5 घंटों तक चली। इस मामले में, मरीज़ की मृत्यु की आशंका बेहद अधिक थी (पहले साल 25% से अधिक और दो वर्षों में 50% से अधिक)। इस सफल प्रक्रिया के बाद, मरीज़ का जीवन सुरक्षित है और बचने की संभावना 100% है। यदि मरीज़ का समय पर उपचार और निदान नहीं किया जाता तो उनकी हालत और बिगड़ सकती थी और ऐसे में उन्हें हार्ट अटैक भी हो सकता था जिसके चलते मृत्यु की आशंका भी थी।''
बिदेश चंद्र पॉल, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला, नई दिल्ली ने कहा, ''यह भारत में ऐसा पहला मामला है जिसमें टीएवीआर प्रोसीजर को डैक्स्ट्रोकार्डिया से प्रभावित मरीज़ पर अंजाम दिया गया। यह बेहद जोखिमपूर्ण और चुनौतीयों से भरपूर मामला था लेकिन हमें यह बताते हुए बेहद गर्व है कि फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के पास वृद्धों एवं कमजोर मरीज़ों में ऐसे हाइ-रिस्क कार्डियाक मामलों से निपटने के लिए हाइ-एंड टैक्नोलॉजी उपलब्ध है। डॉ अतुल माथुर, एग्जीक्युटिव डायरेक्टर, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, के विशेषज्ञ मार्गदर्शन यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई। मेडिकल टीम द्वारा संपूर्ण जांच एवं मूल्यांकन, समुचित मॉनीटरिंग तथा मेडिकल केयर के चलते यह सुनिश्चित किया गया कि मरीज़ की स्थिति बिगड़े नहीं और वे स्वास्थ्यलाभ कर सकें। मैं इस बेहद जोखिमपूर्ण प्रक्रिया को समुचित तरीके से अंजाम देने वाले डॉक्टरों की टीम की सराहना करता हूं।''
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट देश में टीएवीआर प्रोसीजर को अंजाम देने वाला अग्रणी सेंटर है। हाल के वर्षों में, टीएवीआर उन मरीज़ों के लिए प्राथमिकता वाली उपचार प्रक्रिया बनकर उभरा है जिन्हें जोखिम होता है या जो ओपन-हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी नहीं कराना चाहते। यह मिनीमली इन्वेसिव प्रक्रिया है जो ऑर्टिक हार्ट वाल्व की मरम्मत बिना पुराने, क्षतिग्रस्त वाल्व को हटाए बगैर करती है, इसमें एक रिप्लेसमेंट वाल्व को कैथेटर या ट्यूब की मदद से फिमरल आर्टरी (ग्रॉइन में बड़े आकार की आर्टरी) के जरिए लगाया जाता है। यह प्रक्रिया उन मरीज़ों के लिए फायदेमंद है जिनके बायोप्रोस्थेटिक वाल्व पहले फेल हो चुके हैं, इस तरह ऐसे मरीज़ों की भारी सर्जरी से बचा जा सकता है। यह बुजुर्ग मरीज़ों या अत्यंत गंभीर स्थिति से गुजर रहे उन मरीज़ों के लिए फायदेमंद है जिनके मामले में सर्जरी करना जटिल या जोखिमपूर्ण हो सकता है।
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड के बारे में
फोर्टिस हैल्थकेयर लिमिटेड, जो कि आईएचएच बेरहाड हैल्थकेयर कंपनी है, भारत में अग्रणी एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता है। यह देश के सबसे बड़े स्वास्थ्यसेवा संगठनों में से एक है जिसके तहत् 27 हैल्थकेयर सुविधाओं समेत (इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन पर फिलहाल काम चल रहा है), 4100 बिस्तरों की सुविधा तथा 419 से अधिक डायग्नॉस्टिक केंद्र (संयुक्त उपक्रम सहित) हैं। फोर्टिस का भारत के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा श्रीलंका में भी परिचालन है। कंपनी भारत में बीएसई लिमिटेड तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सूचीबद्ध है। यह अपनी ग्लोबल पेरेंट कंपनी आईएचएच से प्रेरित है तथा मरीज़ों की विश्वस्तरीय देखभाल एवं क्लीनिकल उत्कृष्टता के उनके ऊंचे मानकों से प्रेरणा लेती है। फोर्टिस के पास 23,000 कर्मचारी (एसआरएल समेत) हैं जो दुनिया में सर्वाधिक भरोसेमंद हैल्थकेयर नेटवर्क के तौर पर कंपनी की साख बनाने में लगातार योगदान देते हैं। फोर्टिस के पास क्लीनिकल से लेकर क्वाटरनरी केयर सुविधाओं समेत अन्य कई एंसिलियरी सेवाएं उपलब्ध हैं।