मॉनसून सीजन में लापरवाही से बढ़ रहा हेपेटाइटिस रोगी



दिल्ली (अमन इंडिया)।


मॉनसून सीजन लापरवाही के कारण हेपेटाइटिस का संक्रमण तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है। यह खून के माध्यम से लीवर में प्रवेश करता है। यह कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है। इसमें लीवर फेल होना प्रमुख है। इसलिए सावधानी जरूरी है। फेलिक्स हॉस्पिटल के फिजीशियन डॉक्टर अंशुमाला सिन्हा का कहना है कि हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है हेपेटाइटिस इंतजार नहीं करता थीम पर मनाया जा रहा है। हेपेटाइटिस बीमारी के चलते लीवर में सूजन आ जाती है। इसका बी और सी टाइप लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहा है। हेपेटाइटिस सी की सही समय पर जांच हो और नियमित उपचार मिले तो मरीज स्वस्थ हो सकता है। वहीं हेपेटाइटिस बी के मरीजों की दवा एक बार शुरू होने के बाद जीवन भर चलती है। हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण पता नहीं चलते हैं। खासकर शुरुआती दिनों में तो किसी प्रकार का लक्षण नहीं होता है। टैटू बनवाने का शौक भी हेपेटाइटिस की वजह बन सकता है। संक्रमित सुई के चलते हेपेटाइटिस फैल सकता है। हेपेटाइटिस ए और ई अधिक खतरनाक नहीं है। यह बेड रेस्ट के साथ दवाइयों और पौष्टिक खानपान के बाद ठीक हो जाता है। जहां हेपेटाइटिस ए, ई संक्रमण यह दूषित भोजन खाने और दूषित पानी से होता है। वहीं हेपेटाइटिस बी संक्रमित रक्त, फ्लूड चढ़ने और संक्रमित से यौन संबंध बनाने पर होता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमित रक्त चढ़ाने और संक्रमित इंजेक्शन लगाने से होता है। हेपेटाइटिस डी हेपेटाइटिस डी वायरस से होता है। दालें, हरी सब्जियां,जूस आदि से प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाकर दोनों श्रेणियों के हेपेटाइटिस को ठीक किया जा सकता है। दूषित पानी या खानपान से लगा संक्रमण ठीक होने में बहुत मुश्किलें पेश आ सकती हैं। पानी इस संक्रमण का सबसे बड़ा कैरियर है। इसके मरीजों में तीन माह में भारी इजाफा दर्ज किया गया है। बी, सी के मरीज पहले से ही बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में हर किसी के लिए चिंता सबब है। प्यासे रह जाएं पर पानी शुद्ध ही पीएं। कोशिश की जाए कि पानी और खाना घर से लेकर निकलें क्योंकि हेपेटाइटिस सी को कुछ महीनों की दवा से निगेटिव किया जा सकता है पर और को नहीं। यह बीमारी मानसून में अधिक फैलती है।