गर्भवती महिला थैलेसीमिया से पीड़ित पायी जाती तो पति की होती है जाँच :डॉ चारु

 विश्व थैलेसीमिया दिवस बीमारी को रोकने के लिए शादी से पहले हो थैलेसीमिया की जांच.


नोएडा (अमन इंडिया)।


थैलेसीमिया आनुवांशिक विकार (जेनेटिक डिसऑर्डर) होने के कारण होता है। जो माता पिता से बच्चों में आता है। इससे पीडित बच्चों में RBC (लाल रक्त कण ) असामान्य बनता है जिसके कारण शरीर में खून की अत्यधिक कमी हो जाती है।  

बीमारी की जागरूकता के लिए प्रतिवर्ष 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।

फेलिक्स अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चारु यादव का कहना है कि यदि गर्भवती महिला थैलेसीमिया से पीड़ित पायी जाती तो पति की जाँच की जाती है , पति के पॉजिटिव पाए जाने पर स्त्री के गर्भ में पल रहे बच्चे की जाँच की जाती है | अगर बच्चे को मेजर थैलेसीमिया है तो समय गर्भपात का विकल्प दिया जा सकता है |

थैलेसीमिया से पीड़ित मरीज में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे मरीज को प्रत्येक 15 से 20 दिनों में एक यूनिट खून चढ़ाना पड़ता है। जबकि सामान्य व्यक्ति में लाल रक्त कण (आरबीसी) की आयु 120 दिनों तक होती है। इसके बाद आरबीसी स्वत: तैयार हो जाता है। लेकिन थैलेसीमिया पीडित मरीज में आरबीसी असामान्य बनता है और उनका ब्रेकडाउन हो जाता है| जिससे उन्हें खून चढ़ाने की जरुरत पड़ती है। RBC (लाल रक्त कण ) ब्रेकडाउन के कारण आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। आयरन हृदय, लीवर और शरीर के कई अन्य अंगों पर जमा होने लगता है। इससे वह हिस्सा कठोर हो जाता है। जो कुछ दिनों के बाद काम करना बंद कर देता है। ऐसे मरीजों को आयरन की मात्रा कम करने के लिए दवाइयां दी जाती है। महिलाओं और पुरुषों के शरीर में क्रोमोसोम की खराबी से माइनर थैलेसीमिया होने की वजह बनती है। यदि दोनों ही माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं, तो शिशु को मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। जन्म के तीन महीने बाद ही बच्चे के शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। जन्म के पांच महीने के बाद यदि माता-पिता को ऐसा महसूस हो कि शिशु के नाखून और जीभ पीले हो रहे हैं, बच्चे के जबड़े और गाल असामान्य हो गए हैं, शिशु का विकास रुकने लगा है, वह अपनी उम्र से काफी छोटा नजर आने लगे, चेहरा सूखा हुआ लगने लगा है, वजन नहीं बढ़ रहा है और हमेशा कमजोर और बीमार रहे, सांस लेने में तकलीफ हो और पीलिया या ज्वाइंडिस का भ्रम हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हर अभिभावक को वर-वधु की हेल्थ कुंडली का मिलान करना चाहिए जिससे आने वाला शिशु थैलेसीमिया मुक्त हो