डेलॉइट के 2022 जैन ज़ी और मिलेनियल सर्वे में खुलासा: फ्लैक्सिबिलिटी तथा रिमोट वर्किंग, वर्क लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाने का एक अवसर
• भारत में जैन ज़ी और मिलेनियल्स वैश्विक औसत की तुलना में आर्थिक और सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के बारे में अधिक आशावादी हैं
• जबकि 28 प्रतिशत भारतीय मिलेनियल्स बेरोजगारी के बारे में अधिक चिंतित हैं, जैन ज़ी के 25 प्रतिशत उत्तरदाता शिक्षा, कौशल और प्रशिक्षण के बारे में अधिक चिंतित हैं
• अधिकांश भारतीय जैन ज़ी और मिलेनियल्स के पास अपनी प्राथमिक नौकरियों के अलावा एक और नौकरी है
• 68 प्रतिशत जैन ज़ी और 72 प्रतिशत मिलेनियल्स ने अपने नियोक्ताओं पर जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने का दबाव डाला है
मुंबई (अमन इंडिया)। डेलॉइट के 2022 जैन ज़ी और मिलेनियल सर्वे के अनुसार, ये पीढ़ियां बेरोजगारी, शिक्षा, और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में गहराई से सोचती हैं। भारत से 801 उत्तरदाताओं (500 जैन ज़ी और 301 मिलेनियल्स) के विचारों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय जैन ज़ी और मिलेनियल्स के बीच वित्तीय आशावाद में वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण के अनुसार, नया कार्यस्थल चुनते समय इन पीढ़ियों के लिए एक अच्छा वर्क-लाइफ बैलेंस, सकारात्मक कार्य संस्कृति और सीखने के अवसर सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं। यह सर्वेक्षण हाइब्रिड/रिमोट वर्किंग व्यवस्थाओं की बढ़ती मांग को भी इंगित करता है क्योंकि इससे उन्हें पैसे बचाने में मदद मिलती है, अपनी हॉबीज पूरी करने के लिए समय मिलता है, और यह उन्हें परिवार के साथ अधिक समय बिताने की अनुमति देता है।
सर्वेक्षण के दौरान, यह पाया गया कि 88 प्रतिशत जैन ज़ी और 91 प्रतिशत मिलेनियल्स का मानना है कि दुनिया में जलवायु परिवर्तन इस समय अपने अधिकतम दबाव बिंदु पर पहुंच चुका है। अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में, भारतीय जैन ज़ी और मिलेनियल्स का एक बड़ा हिस्सा पर्यावरण पर अपने व्यक्तिगत प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। इन पीढ़ियों के बीच, बड़ी कंपनियों के साथ-साथ सरकार द्वारा जलवायु मुद्दों को कम करने के लिए किए जा रहे कार्यों/पहलों के बारे में भी सकारात्मक भावना है।
हाल के सर्वेक्षण में निष्कर्षों के बारे में बात करते हुए, डेलॉयट इंडिया के पार्टनर और चीफ टैलेंट ऑफिसर एस.वी. नाथन ने कहा, “हाइब्रिड कार्य व्यवस्था की बढ़ती मांग के साथ, डेलॉइट के सर्वेक्षण से पता चलता है कि यदि जैन ज़ी और मिलेनियल्स कंपनियों में भर्ती प्रभारी होते तो वे कर्मचारियों को वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार करने के लिए फ्लैक्सिबिलिटी एवं रिमोट वर्किंग की अनुमति दे देते। सभी संगठनों और व्यापार प्रमुखों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस को बनाये रखने के लिए अपनी भूमिका निभाएं।"
सर्वे की मुख्य बातें:
• वित्तीय चिंताएं और साइड जॉब्स की व्यापकता: जैन ज़ी के दो तिहाई से अधिक और 10 में से 8 मिलेनियल्स को यह विश्वास है कि वे आराम से सेवानिवृत्त होने और अपने सभी मासिक खर्चों का भुगतान करने में सक्षम होंगे, वैश्विक औसत की तुलना में भारत में वित्तीय चिंताएं कम हैं। इसके अलावा, भारतीय जैन ज़ी (62%) और मिलेनियल्स (51%) के एक बड़े हिस्से के पास अपनी प्राथमिक नौकरी के अलावा एक और नौकरी है।
• वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार के अवसर के रूप में लचीला कार्य (फ्लैक्सिबिलिटी): 19% जैन ज़ी और 23% मिलेनियल्स का कहना है कि यदि वे कंपनी के प्रभारी होते, तो वे कर्मचारियों को वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार करने के लिए लचीलापन एवं रिमोट वर्किंग की अनुमति दे देते। जैन ज़ी के लिए तीसरा विकल्प कम कामकाजी सप्ताहों के साथ प्रयोग करना होगा, लेकिन भारतीय मिलेनियल्स यह सुनिश्चित करने के बजाय इस बात को प्राथमिकता देंगे कि पार्ट-टाइम काम करने वाले कर्मचारियों के पास पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर ही करियर उन्नति के अवसर मौजूद हों।
• पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष ध्यान: 95% भारतीय जैन ज़ी और मिलेनियल्स पर्यावरण पर अपने व्यक्तिगत प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। विश्व स्तर पर जैन ज़ी और मिलेनियल्स की तुलना में, भारतीय जैन ज़ी और मिलेनियल्स इस बात से दृढ़ता से सहमत हैं कि बड़ी कंपनियां जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई कर रही हैं और भारत सरकार भी इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
• अधिकांश जैन ज़ी (68%) और मिलेनियल्स (72%) ने अपने नियोक्ताओं पर जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने का दबाव डाला है, जो वैश्विक औसत से काफी अधिक है।
• एक बार उपयोग में आने वाले (सिंगल-यूज़) प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना एवं भारत में लोगों को बेहतर पर्यावरणीय विकल्प बनाने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करना ऐसे शीर्ष क्षेत्र हैं जहां जैन ज़ी और मिलेनियल्स अपने नियोक्ताओं को निवेश करते देखना चाहते हैं।
• हाइब्रिड कार्य व्यवस्थाओं की बढ़ती मांग: वैश्विक औसत के समान, अधिकांश उत्तरदाता हाइब्रिड कार्य पद्धति को प्राथमिकता देंगे। सर्वेक्षण से पता चला है कि भारतीय जैन ज़ी के 66% और भारतीय मिलेनियल्स के 67% इस व्यवस्था को पसंद करेंगे।
• आर्थिक और राजनीतिक आउटलुक: भारतीय जैन ज़ी के बीच आर्थिक और सामाजिक-राजनीतिक स्थिति के बारे में आशावाद साल 2020 के स्तर पर वापस आ गया है, लगभग आधे जैन ज़ी का मानना है कि इन स्थितियों में अगले 12 महीनों में सुधार होगा।
• सबसे बड़ी चिंताओं के शीर्ष मुद्दे: इस साल, जैन ज़ी ने भारत में शिक्षा, कौशल, और प्रशिक्षण को शीर्ष चिंताओं के रूप में उद्धृत किया, जबकि भारतीय मिलेनियल्स बेरोजगारी के बारे में अधिक चिंतित हैं। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन/पर्यावरण की रक्षा करना दोनों समूहों के लिए दूसरी शीर्ष चिंता है जो उनके वैश्विक समकक्षों के अनुरूप है।