समय पर जांच के बाद इलाज से मिलेगी कैंसर से निजात
नोएडा (अमन इंडिया)।
कैंसर की बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई भ्रांति होती हैं। ऐसे में जब कैंसर आखिरी स्टेज में पहुंचता है तब वह डॉक्टर के पास इलाज करवाने पहुंचते हैं। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। जबकि समय पर जांच और उपचार में ही कैंसर का निदान है।
फेलिक्स अस्पताल के डॉ अनिल ठाक्वानी का कहना है कि देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कैंसर को मात देकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। जरूरत है तो रोग के प्रति जागरूक रहने और समय की पहचान करने की। जिससे जान बचाई जा सके।
हाल ही में एक हुए एक सर्वे के अनुसार, महिलाओं में 75 वर्ष के बाद कैंसर होने का खतरा 94 फीसदी ज्यादा बढ़ जाता है | फेलिक्स अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सोनालिका सिंह चौहान के अनुसार महिलाओं में कैंसर कई प्रकार की पाई जाती है ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर, मुँह का कैंसर आदि | यदि इन बिमारियों को समय पर इलाज न किया गया तो यह शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकती है | अगर इसका समय पर, शीघ्र उपचार किया जाए तो यह अकसर ठीक हो जाती है परंतु अगर इस जल्दी ध्यान नहीं दिया जाए तो इससे मृत्यु हो सकती है | जिन लोगों को कैंसर होता है, वे अकसर मृत्यु का शिकार हो जाते हैं – विशेषत: जिन्हें स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं हैं |
हमारी सामान्य कोशिकाओं का डीएनए प्राकृतिक रूप से नियंत्रित रहता है, लेकिन जब कैंसर जनित पदार्थों के प्रभाव, अनुवांशिकता या अज्ञात कारणों से ये अनियंत्रित होती है तो कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती है। यह शरीर में गांठ, घाव, सूजन या रक्त कणिकाओं की है। असामान्य संख्या के रूप में परिलक्षित होती है। यदि समय पर इलाज न किया। गया तो यह रोग मृत्यु का कारण बनता है। कैंसर की आशंका होने पर शरीर के प्रभावित हिस्से से एक छोटे टुकड़े को लेकर बायोप्सी जांच द्वारा इसके प्रकार का पता लगाया जाता है। बोन मेरो जांच से इसकी पुष्टि की जाती है। यदि कैंसर शुरुआती अवस्था में है तो सर्जरी द्वारा इसे निकाल दिया जाता है। सर्जरी के बाद कई मामलों में कीमोथेरेपी एवं रेडिएशन थेरेपी की भी जरूरत पड़ती है। रेडियोथैरेपी में हाई एनर्जी रेडिएशन को विशेष तरह की मशीनों से उत्पन्न करके कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। जबकि कीमोथेरेपी में उन दवाओं को प्रयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को नष्ट करती है। यह टेबलेट और इंजेक्शन दोनों तरह से दी जाती है। कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। इसके 30 से 50 फीसद मामलों को सावधानी अपनाकर रोका जा सकता है। यदि शरीर के किसी अंग में गांठ, घाव, सूजन या रक्तस्राव की समस्या है तो नजरअंदाज न करें, चिकित्सकीय परामर्श लें।