फोर्टिस वसंत कुंज में 50 वर्षीय मरीज़ के एपैंडिक्‍स से दुर्लभ और बड़े आकार के कैंसर को लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी से सफलतापूर्वक निकाला


इस कैंसर की वजह से एपैंडिक्‍स अपने सामान्‍य आकार से दस गुना अधिक फैल चुका था 

नई दिल्‍ली (अमन इंडिया)।  फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज के डॉक्‍टरों ने 50 वर्षीय एक पुरुष के एपैंडिक्‍स से लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी की मदद से एक दुर्लभ किस्‍म का म्‍युकिनस ट्यूमर निकालकर सफल उपचार किया है। इस ट्यूमर की वजह से मरीज़ को पिछले कुछ दिनों से पेट के निचले हिस्‍से में दायीं तरफ दर्द बना हुआ था और उन्‍हें हमेशा पेट में भारीपन की शिकायत भी थी। जांच से पता चला कि मरीज़ के एपेंडिक्‍स में, लिवर के आसपास के भाग में काफी तरल पदार्थ इकट्ठा हो चुका था और पेट के दाएं भाग में काफी भारीपन भी था। एपेंडिक्‍स की आरंभिक अल्‍ट्रासाउंड जांच और फिर सीटी स्‍कैन के बाद एपेंडिक्‍स के फटने के संकेत मिले। एपेंडिक्‍स वाले हिस्‍से में काफी अधिक तरल पदार्थ दिखायी दे रहा था और आंतों के आसपास चर्बी भी बढ़ती जा रही थी। मरीज़ को जांच के लिए डॉ अमित जावेद, डायरेक्‍टर, गैस्‍ट्रोइंस्‍टेाइनल ओंकोलॉजी एंड लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी, फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज के पास रेफर किया गया था। 

जब मरीज़ को अस्‍पताल लाया गया तो उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी और ऐसे किसी संक्रमण के लक्षण भी दिखायी नहीं दे रहे थे जो आमतौर पर एपेंडिक्‍स फटने पर पैदा होते हैं, और इस स्थिति में सटीक निदान करना बहुत महत्‍वपूर्ण था। रेडियोलॉजिस्‍ट्स के साथ इस मामले पर चर्चा के बाद, फोर्टिस के डॉक्‍टरों ने यह पाया कि एपेंडिक्‍स में किसी तरह का कोई छेद नहीं है यानि वह फटा हुआ नहीं था। ऐसे में एपेंडिक्‍स में बड़े आकार के म्‍युकिनस ट्यूमर की आशंका पर विचार किया गया। मरीज़ की लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी का फैसला किया गया। इस सर्जरी में उनके एपेंडिक्‍स (12 X 7 से.मी. जो कि सामान्‍य एपेंडिक्‍स की तुलना में दस गुना आकार का था) के अलावा छोटी और बड़ी आंत का भी कुछ भाग तथा आंतों के इर्द-गिर्द जमा हुई चर्बी की मोटी परत को भी निकाला गया। 

डॉ अमित जावेद, डायरेक्‍टर, गैस्‍ट्रोइंस्‍टेाइनल ओंकोलॉजी एंड लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी, फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज फोर्टिस अस्‍पताल, वसंत कुंज ने बताया, ''यह बेहद दुर्लभ किस्‍म का मामला था, लेकिन समय पर निदान और इलाज मिलने से हम मरीज़ को बचाने में कामयाब रहे हैं। चुनौती यह थी कि हमें काफी सावधानीपूर्वक और सटीक ढंग से लैपरोस्‍कोपिक सर्जरी करनी थी। हमें एपेंडिक्‍स में छेद/कटने से बचाना था और साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना था कि इस अंग को कोई और क्षति न पहुंचे क्‍योंकि ऐसा होने से यह फट सकता था जिससे ट्यूमर शरीर के अन्‍य भागों में फैल सकता था। हमने छोटी आंत के एक भाग, बड़े आकार के एपेंडिक्‍स और बड़ी आंत के कुछ हिस्‍से को तथा चर्बी पर जमा ट्यूमर को लैपरोस्‍कोपिक तरीके से निकाला। यह सचमुच एपेंडिक्‍स का जीवनघाती किस्‍म का कैंसर का था और दुर्लभ भी था तथा मरीज़ में इसकी वजह से बहुत कम लक्षण सामने दिखायी दिए थे। इलाज में थोड़ी भी और देरी होने से एपेंडिक्‍स फट सकता था और इसकी वजह से अन्‍य कई जटिलताएं भी पैदा हो सकती थीं।'' 

डॉ राजीव नय्यर, फैसिलिटी डायरेक्‍टर, फोर्टिस वसंत कुंज ने कहा, ''यह वास्‍तव में, काफी दुर्लभ कैंसर था और सर्जरी काफी नाजुक थी। जीवनघाती किस्‍म का कैंसर होने के बावजूद, फोर्टिस वसंत कुंज के डॉक्‍टरों ने डॉ अमित जावेद के नेतृत्‍व में इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। फोर्टिस लंबे समय से इस प्रकार की जटिल और जीवनरक्षक सर्जरी करता आया है