नए अध्‍ययन से हुआ खुलासा टाइप 2 डायबिटीज़ से ग्रस्‍त मरीज़ों में कोविड-19 के बाद थकान का असर जारी

 नए अध्‍ययन से हुआ खुलासा – टाइप 2 डायबिटीज़ से ग्रस्‍त मरीज़ों में 

कोविड-19 के बाद थकान का असर जारी 

यह अध्‍ययन फोर्टिस सी-डॉक, एम्‍स, सी-नेट, एन-डॉक तथा डायबिटीज़ फाउंडेशन द्वारा संयुक्‍त रूप से कराया गया 

राष्‍ट्रीय मधुमेह दिवस- 14 नवंबर


नई दिल्‍ली (अमन इंडिया)। पोस्‍ट-कोविड 19 सिंड्रोम (पीसीएस) या लॉन्‍ग कोविड उन मरीज़ों के स्‍वास्‍थ्‍यलाभ में सबसे बड़ी अड़चन बनकर उभरा है जो सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) से संक्रमित थे। कोविड मरीज़ों को सबसे ज्‍यादा परेशान करने वाले लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, खांसी और सांस फूलना, थकान आदि प्रमुख हैं। पद्म श्री से सम्‍मानित डॉ अनूप मिसरा, कार्यकारी अध्‍यक्ष एवं निदेशक, डायबिटीज़ एंड एंडोक्राइनोलॉजी, फोर्टिस सी-डॉक की संकल्‍पना पर आधारित और फोर्टिस सी-डॉक, एम्‍स, सी-नेट, एन-डॉक तथा डायबिटीज़ फाउंडेशन द्वारा संयुक्‍त रूप से कराए गए तथा डायबिटीज़ एंड मैटाबोलिक सिंड्रोम: क्‍लीनिकल रिसर्च एंड रिव्‍यूज़ जर्नल में प्रकाशित अध्‍ययन से यह खुलासा हुआ है कि जिन टाइप 2 डायबिटीज़ (T2D) को कोविड-19 हो चुका है उनमें कोविड-19 से प्रभावित नहीं होने वाले लोगों के मुकाबले ज्‍यादा थकान हावी रहती है। इस अध्‍ययन के नतीजों से यह पता चला है कि डायबिटीज़ के कारण कोविड-19 की स्थिति ज्‍यादा जटिल हो जाती है और इससे मरीज़ में अत्‍यधिक रुग्‍णता और यहां तक कि मृत्‍यु की स्थिति भी बन सकती है। इसके अलावा, मधुमेह के चलते, विभिन्‍न पैथोफिजियोलॉजिकल प्रणालियों के जरिए पीसीएस पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा, मधुमेह के कारण मरीज़ों की स्‍वास्‍थ्‍यलाभ की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। यह दुनियाभर में अपनी किस्‍म का पहला अध्‍ययन है। 


इस अध्‍ययन का मकसद कोविड-19 से प्रभावित हुए टाइप 2 डायबिटीज़ मरीज़ों पर थकान के असर का पता लगाना था और इसके लिए CFQ-11 तथा हैंडग्रिप स्‍ट्रैंथ (जो कि मांसपेशियों की ताकत आंकने का एक तरीका है) की मदद ली गई। साथ ही, मधुमेह से ग्रस्‍त ऐसे मरीज़ों की स्थिति का आकलन उन मरीज़ों के साथ किया गया जो कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुए थे। इस अध्‍ययन के लिए कुल 108 टाइप 2 डायबिटीज़ मरीज़ों को शामिल किया गया था। 


अध्‍ययन के लिए T2D ग्रस्‍त उन मरीज़ों को चुना गया जो फोर्टिस सी-डॉक हॉस्‍पीटल फॉर डायबिटीज़ एंड एलायड साइंसेज़, नई दिल्‍ली की ओपीडी में इलाज के लिए आए थे। जिन मरीज़ों का अध्‍ययन किया गया उनमें 52 टाइप 2 डायबिटीज़ मरीज़ थे जिन्‍हें कोविड (माइल्‍ड से मॉडरेट) हो चुका था, 56 टाइप 2 डायबिटीज़ मरीज़ ऐसे थे जिन्‍हें कोविड नहीं हुआ था। दोनों समूहों में शामिल मरीज़ों की उम्र, मधुमेह की अवधि, बीएमआई, टीएसएच, सीरम एल्‍बुमिन तथा विटामिन डी लैवल्‍स लगभग एक समान थे। यह मरीज़ों में थकान पैदा करने वाले संभावित कारकों, 25(OH)D, सीरम एल्‍बुमिन और टीएसएच लैवल्‍स का पता लगाने में मददगार साबित हुआ। कोविड उपरांत औसतन 92 (32 से 262 दिन) दिनों में मरीज़ों में ये लक्षण दिखायी दिए। लक्षणों को Chalder Fatigue Scale तथा हैंडग्रिप स्‍ट्रैंथ की मदद से जमार हाइड्रोलिक हैंड डायनमोमीटर से नापा गया। 


प्रमुख नतीजे: 

• जो T2D मरीज़ कोविड-19 प्रभावित थे, उनमें कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुए मरीज़ों की तुलना में ज्‍यादा थकान देखी गई, लेकिन दोनों समूहों में हैंडग्रिप स्‍ट्रैंथ कमोबेश एक जैसी थी 

• T2D से ग्रस्‍त और पूर्व में कोविड-19 संक्रमण के शिकार हुए तथा जिनका फैटीग स्‍कोर > 4 (हाइ फैटीग लैवल) रहा, उनमें गंभीर रुग्‍णता के दौरान अत्‍यधिक ऊंचे स्‍तर के इंफ्लेमेशन चिह्न पाए गए, साथ ही ब्‍लड ग्‍लूकोज़ लैवल अधिक दर्ज किया गया, उनमें वज़न में गिरावट देखी गई, शारीरिक गतिविधि कम पायी गई और फैटीग स्‍कोर < 4 वाले मरीज़ों की तुलना में हैंडग्रिप स्‍ट्रैंथ भी काफी कम रही। कुल-मिलाकर, अधिक थकान का कारण संभवत: कोविड-19 की गंभीरता और अधिक ब्‍लड शूगर स्‍तर हो सकता है। 

• गंभीर संक्रमण के उपरांत फैटीग स्‍कोर >4 की स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के लिए पोषण, ग्‍लाइसेमिक कंट्रोल और शारीरिक गतिविधि पर ध्‍यान देना जरूरी है। 

• ये नतीजे कोविड-19 के दौरान मधुमेह के गंभीर रूप से फैलने के मामलों के संदर्भ में काफी महत्‍वपूर्ण हैं। 


पद्म श्री से सम्‍मानित डॉ अनूप मिसरा, कार्यकारी अध्‍यक्ष एवं निदेशक, डायबिटीज़ एंड एंडोक्राइनोलॉजी, फोर्टिस सी-डॉक ने कहा, ''थकान एक ऐसा लक्षण है जो काफी प्रमुखता से कोविड-19 ग्रस्‍त होने के बाद, अस्‍पताल में भर्ती हुए या घर पर ही रहकर स्‍वास्‍थ्‍य लाभ करने वाले मरीज़ों में दिखायी दिया है। थकान तथा अन्‍य संबंधित लक्षणों के चलते जीवन की गुणवत्‍ता कम होती है और सामान्‍य कामकाज की क्षमता भी इससे प्रभावित होती है। यह पहली बार है कि इस प्रकार का संयुक्‍त अध्‍ययन फोर्टिस सी-डॉक, एम्‍स, सी-नेट, एन-डॉक तथा डायबिटीज़ फाउंडेशन द्वारा कराया गया है और इसके आधार पर कोविड-19 के उपरांत मधुमेह संबंधी जटिलताओं का खुलासा हुआ है। साथ ही, यह भी पता चला है कि मधुमेह से मरीज़ों के स्‍वास्‍थ्‍यलाभ की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। लिहाज़ा, यह जरूरी है कि क्रोनिक डायबिटीज़ मरीज़ स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं, इलाज संबंधी निर्देशों का पालन करें और साथ ही, नियमित रूप से स्‍वास्‍थ्‍य जांच भी करवाएं।'' 


डॉ मिश्रा ने कहा, ''इस नए अध्‍ययन से एक बार फिर यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि डायबिटीज़ का प्रबंधन एक सतत् प्रक्रिया है और महामारी के दौरान इस ओर विशेष रूप से ध्‍यान देने की जरूरत है। कोविड-19 फैटीग से निपटने के लिए समुचित उपाय जरूरी हैं जिनमें क्‍लीनिशियन, साइक्‍लोजिकल काउंसलर, न्‍यूट्रिशनिस्‍ट तथा फिजिकल थेरेपी एक्‍सपर्ट की सेवाएं शामिल हैं। ब्‍लड ग्‍लूकोज़ और ब्‍लड प्रेशर का स्‍तर समुचित होना चाहिए और साथ ही ग्‍लाइसेमिक मैनेजमेंट पर भरपूर ज़ोर देना जरूरी है। इसी तरह, आवश्‍यक मात्रा में प्रोटीन तथा विटामिन सप्‍लीमेंट्स और पोषण लेना चाहिए। कोविड-19 के उपरांत व्‍यायाम तथा फिजियोथेरेपी को जल्‍द से जल्‍द शुरू करना चाहिए ताकि न सिर्फ थकान में आराम मिले बल्कि मरीज़ को कार्डियोवास्‍क्‍युलर और पल्‍मोनरी हैल्‍थ तथा मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से भी लाभ मिले।