अलवर के अर्ध पक्के चावल व मरुधारा में मधुर मिलन मेरे अधुरे सपने -खबरीलाल !
दिल्ली (अमन इंडिया)। आज के वैश्विक संकट कोरोना काल के परिवेश में एक आम आदमी अपने परिवार के जीवन -जीविका के जंग मे अपने आप को असहाय व अकेला महसूस कर रहा है।वैश्विक महामारी कोरोना काल के विगत 2 बर्षो मे हम सभी का जीवन - जीने का तरीका ही बदल दिया है।इस दौरान जहाँ गरीब -गरीब होते गये ही अमीर-अपनी सम्पतियो व बैक बेलेन्स मे इजाफा कर रहे है ,खास कर फार्मा कम्पनी व मैडिकल उपकरण बनाते वाली कम्पनीयॉ ' इस दौरान हम सभी ने कई अपने प्रिय परिजनो व मित्रो को खोया है।जिसका दर्द की वॅया शब्दो मे नही की जा सकती है। ये बात तो सभी को पता है कि इस संसार मे में जिन्होने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है।दुःख के साथ सुख 'जीवन के साथ मृत्यू अरक्षण व सत्य है। वैश्विक महामारी के संकट रूपी काले बादल पूर्ण रूपेण अभी समाप्त नही हुए लेकिन लगातार कोरोना के केसो मे कमी व युद्ध स्तर वैक्सीनेशन जिसकी संख्या जल्द ही सौ करोड होने वाली है ।
परिणाम स्वरूप आम आदमी की जीवन शैली व देश की आर्थिक स्थिति मे कुछ अच्छे संकेत मिलने शुरू हो गए है। हालाकि इस सुधार व विकाश की रफ्तार में कितना वक्त लगेगा 'अभी कुछ कहना ठीक नही । भले केन्द्र सरकार की वर्तमान सरकारी फाइलो के आकडे मे बसंत की बयार बया कर रही है ।आत्म निर्भर भारत की अमृत महोत्सव चर्चा चारो ओर हो रही है लेकिन एक आम आदमी के जीवन शैली में राजस्थान की रेगिस्तान मे जेठ माह भरी दुपहरिया मे प्यास को बुझाने को मृग मरीचिका जैसे है। भले ही गोदी के अंध भक्तो की ऑखें वैसाख नन्दन की स्वस्थ्य व तन दुस्त अपने को समझ कर अमृत महोत्सव मनाने मे मगन हो ।खैर जनाब छोडे इन बातों मे क्या रखा है। अभी मैने राजस्थान की प्रचलित कहावत का उल्लेख किया है। चलिए मै आपके राजे राजवाड़े व वीर -वीरांगनाओं की जन्म भुमि की सैर करवाते है।
विगत दिनो मुझे मीडिया मित्रों के ११ सदस्यीय ग्रुप का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला ' क्योकि राजस्थान की गौरव शाली इतिहास व वीर - वीरांगना ओ की जन्म व कर्मस्थली को नजदीक जा कर कुछ स्वर्णिम पले विताने का अवसर प्राप्त होगा । मेरा मन हर्षित व प्रफुल्लित हो रहा था । चलो राजस्थान जहाँ के संदर्भ मे कहा जाता है कि राजस्थान के लोग मेहनती व ईमानदार होने के शाथ अपने मेहमान की खातिर दारी करने के भारत मे ही नही ब्लकि सम्पूर्ण विश्व मे प्रचलित है तभी तो " पधारो म्यारो देश " के साथ रंग रंगीला राजस्थान ' ।
पूर्व निर्धारित समय से एक कैब आ गई । इस कैब मे मेरे अलावे दो मीडिया मित्र का जाना है ' दोनो मीडिया मित्र के संग आज के साथ गूरूग्राम मे दो कैब मे 8 सदस्यीय टीम पहुॅचे ही मौजूद थे आज की यात्रा प्रारम्भ हो गई । करीब घंटे के वाद पूर्व निर्धारित स्थान पर ओल्ड राव ढ़ावा पर तीनो कैब रूकी जहाँ पर हम सभी अपनी स्वादानुसार सुबह का नास्ता किया ! कुछ समय के कार हरियाणा सीमाओं पर राजस्थान मे प्रवेश कर चुके है ।मै भी खुश था चलो राजस्थान के लोग सम्भयता संस्कृति भेष - भुषा रंग विरंगे वस्त्र व परिधानो से सुसज्जित राजस्थानी लोग ' लम्बे लोग लम्बी मुँछे 'सर पे पंगडी ' रेतीले ढीले रेगिस्तान ' झाडियो के झुर मुठ ' लम्बे - लम्बे डग भरते ऊँटे ' बकरी - भेड़ के कबीले ' कानो में रस धुलने वाले मधुर संगीत कही दिखाई व सुनाई नही पड़ रहे थे ।
इतने मे हमारी कैब राजस्थान के भिवाड़ी औधोगिक क्षेत्र के साथ कुछ बन कर तैयार तो कुछ अधुरे फ्लैट आशियाने के मालिक के आने प्रतीक्षा मे खडे आतुर हो रहे । तभी मेरे बगल मे बैठे मीडिया मित्र व इस यात्रा के सहयात्री ने मेरे मनोभाव को भापते हुए पूछा कि तकिया वाला जी क्या बात है। मैने अपने आप सभालते हुए कुछ नही बडे भाई ।
पुनः उनके पूछने पर मै ने अपने अन्तस मे राजस्थान व यहाँ के जीवन शैली मे संदर्म मैने जाने की जिज्ञासा प्रकट की थी उन्होंने कहा कि तकिया वाले जी वे इघर का इलाका नही है ये तो दिल्ली ' एन सी आर के विकाश के कारण यहाँ औद्योगिकीकरण के मल्ट्री नेशनल कम्पनी के साथ कई कम्पनी यहाँ चुकी है। यहाँ दिल्ली व कई अन्य राज्यों से लोग अपनी जीवन यापन के लिए आते है और अपना सपनो का आशियाना बनाने के सपने संजोय ते हुए यही वस जाते है।तभी हमारी कैब एक बहुमंजिले ईमारत के परिसर मे जा कर कुछ पल के लिए रुकी | जो कुछ पल में पुनः दुसरे आवासीय परिसर मे कैब रुकी जहाँ कछ अजनबी व अजान आदमी से हमारी टीम के सदस्यो से औपचारिक परिचय कराते हुए अपने परियोजना के वारे मे जानकारी दी ' फिर हम सभी आगे प्रस्थान कर गये ' दोपहर के 3 बज गये थे हम सभी कोभुख लग गई थी । हम एक आध्यात्मिक विचार घारा व सात्विक ढावा मे शुद्ध शाकाहारी भोजन करने का सौभाग्य मिला । हम सभी विश्राम के बजाय आगे राजस्थान की अभिया हरण का आनंद . लेने को आतुर थे लेकिन कुछ शेख चिल्ली स्वाभाव के सदस्य भी हमारी टीम थे काफी ही ना नुकूर के बाद हम एक लेक जो राजस्थान के अरावली पर्वत श्रंखला के मध्य मे थी ' शायद किसी राजा - राजवाडे की कहानी को बयॉ कर रही थी यहाँ पर मोटर चालित नौकायन का आनंद लिया तथा एक काफी का आंनद लेते कुछ शकून भरे कुछ पल बिता कर रात्री विश्राम के पुनः होटल पहुँच गये । रात्रि मे हम सभी ने कुछ अपने अनुभवो का आदान प्रदान करते हुए खट्टे मीठे आनंद लिए जिसमें आज के अर्ध पक्के चावल(आघा कच्चाआघा पक्का )था बिलकूल बिल्डर के अघुरे गगन चुम्बी अर्ध निमित भवन की तरह । रात मे एक मित्र ने शायद वे हमारे यात्रा के आयोजन टीम का हिस्सा था उन्होने ने बताया सर त्योहारो के इस मौसम मै अलवर, भिवाड़ी, टपुकारा, ऩीमराना, नव़ी मुुंबई और फरीदाबाद मे सफल परियोजनाओं के बाद दिल्ली एन सी आर के त्रेहान ग्रुप नेअपने ग्राहको की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए गुरुग्राम मे अपनी नई परियोजना का शुभारम्भ विगत दिनो की है।भविष्य मे गुरुग्राम के कई स्थानों मे320 इंडिपेंडेंट फ्लोर को विकसित करने की योजना है। इस परियोजना के बारे मे आप अपनी आवश्यकता व अपनी जेब व भविष्य की योजना को ध्यान रख स्वयं गहन विचार विर्मश व मंथन के लिए साईड पर जा कर व अपने आर्थिक सलाहकार से विचार विर्मश करने के वाद कोई कदम उठाये ।क्योकि अभी भी कोरोना संकट के काले बादल छटे नही है! अगले दिन हम अपने सह यात्री के संग अपने अपने घर वापस हो गये थे ' लेकिन मै आप से यह कहते हुए कि " ना ही काहूँ से दोस्ती।ना ही काहूँ से बैर॥
खबरीलाल तो मॉग'सबकी खैर॥
बिदा लेते है । फिर मिलेगे तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग । तब तक ।