एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल द्वारका ने लोगो में स्ट्रोक पर जागरूकता रैली निकाली

 *विश्व स्ट्रोक दिवस पर लोगो में जागरूकता बढ़ाने के लिए एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल ने किया बाइकर्स रैली का आयोजन


30 से अधिक बाइकर्स ने स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस बाइक रैली में भाग लिया


नई दिल्ली(अमन इंडिया)।एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका ने लोगो में स्ट्रोक पर जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्ट्रोक दिवस पर एक बाइक रैली का आयोजन किया। रैली द्वारका स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल से सुबह 7 बजे शुरू हुई, रैली में भाग लेने वाले बाइकर्स ने 10 किलोमीटर की दूरी तय की। मणिपाल अस्पताल के कर्मचारियों और द्वारका पुलिस के साथ 30 से अधिक बाइकर्स ने इस रैली में हिस्सा लिया। इस रैली का उद्देश्य स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों के लिए गोल्डन ऑवर के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना थ।  एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के एचओडी और सलाहकार न्यूरोसर्जरी डॉ अनुराग सक्सेना ने रैली को हरी झंडी दिखाकर इस रैली की शुरुवात की जिसके बाद बिकेर्स जिला कार्यालय, एसीपी कार्यालय और दक्षिण पुलिस स्टेशन गए, जहां उन्होंने स्ट्रोक प्रबंधन में समय के महत्व के बारे में जागरूकता फैला।

स्ट्रोक में गोल्डन ऑवर की महत्वता को बताते हुए डॉ अनुराग सक्सेना, न्यूरोसर्जरी के प्रमुख, एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल, द्वारका, नई दिल्ली ने कहा – “भारत में स्ट्रोक मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। लोग आमतौर पर स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं और अगर इन लक्षणों को समझ भी जाए तो भी वे तत्काल कार्रवाई की जरूरत से अनजान रहते है। इसलिए स्ट्रोक में गोल्डन ऑवर के महत्व को समझना बहुत जरूरी है। स्ट्रोक होने पर तुरंत क्या करना है, यह जानने से संदिग्ध की जान बचाई जा सकती है। सबसे पहले किसी भी स्ट्रोक संदिग्ध को निकटतम अस्पताल ले जाना चाहिए जहाँ स्ट्रोक का इलाज हो सके। यदि स्ट्रोक शुरू होने के एक घंटे के भीतर उपचार शुरू कर दिया जाए तो अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस रैली के पीछे का मकसद हमारे शहर के अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करना है ताकि वे स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर सकें और समय पर स्ट्रोक के इलाज का प्रबंधित किया जा सके।

रोगी के अस्पताल में आने पर स्ट्रोक के प्रबंधन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। समय महत्वपूर्ण है क्योंकि एक स्ट्रोक मस्तिष्क के ऊतक को ऑक्सीजन से वंचित करता है, जिससे स्ट्रोक शुरू होने के चार मिनट बाद ही यह ख़तम होना शुरू हो जाता है। जब मस्तिष्क के ऊतक ख़तम होने लगते है, तो यह अपरिवर्तनीय रूप से नष्ट हो जाता है। यदि कोई मरीज शुरुआती घंटों के भीतर इस्केमिक स्ट्रोक के साथ स्ट्रोक केंद्र में आता है, तो क्लॉट-बस्टिंग थेरेपी और एंडोवास्कुलर थेरेपी (थ्रोम्बोलिसिस) दी जा सकती है। हैंऔररहागिस स्ट्रोक को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती ह।