श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन सेक्टर-62 मे मंचन


राम वनवास, केवट संवाद, दशरथ मरण, भरत मिलाप      

नोएडा (अमन इंडिया) ।



श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन सेक्टर-62 के पांचवें दिन दिन वरिष्ठ भाजपा नेता हुलास राय सिंघल, नवाब सिंह नागर दिन दयाल उपाध्याय गन्ना संस्थान अध्यक्ष, कैप्टन विकास गुप्ता कृषि अनुसंधान परिषद अध्यक्ष, सिद्ध पीठ बालक नाथ के पीठाधीश्वर स्वामी धीरज बाबा, वरिष्ठ सपा नेता अशोक चौहान, भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र चौहान,कॉंग्रेस नेता अनिल यादव, सतेंद्र शर्मा, पाखंडी , सीएमडी डी के गुप्ता संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर लीला का शुभारंभ किया। 

यतेंद्र शर्मा , महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने समस्त उपस्थितजनों व अतिथियों का स्वागत किया।अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने सभी उपस्थितजनों का धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रथम दृश्य में राजा दशरथ गुरू वशिष्ठ जी से कहते हैं कि मेरी एक अभिलाषा हैं कि राम को युवराज पद दे दिया जाये यह सुनकर मुनि वशिष्ठ अति प्रसन्न हुए। राजा ने अपने मंत्री और सेवकों को बुलाकर पूछा अगर आप लोगों को अच्छा लगे तो राम का राजतिलक कर दिया जाये। राम के राज तिलक की बात सुनकर सभी अयोध्यावासी खुशी से झूम उठते हैं और गाते हैं । उधर देवता सोचते हैं कि अगर राम को वनवास नहीं होता हैं तो निशाचरों का नाश कैसे होगा इसके लिए उन्होंने सरस्वती जी से प्रार्थना की और सरस्वती कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि फेर देती हैं। मंथरा कैकेयी को समझाती हैं कि इस राजतिलक में सिर्फ राम का भला है । भरत को कुछ नहीं मिलेगा। कैकेयी कोप भवन में चली जाती हैं और जब राजा दशरथ कैकेयी से कोप भवन में जाने का कारण पूछते हैं तो वह राजा को पहले दिये गये उनके वचन को याद दिलाती है कि समय आने पर दो वरदान मांग लेना, मैं पहला वरदान भरत को राज व दूसरा रामको 14 वर्ष का वनवास मांगती हूँ। राजा के समझाने के बावजूद कैकेयी नहीं मानती तो यह सुनकर दशरथ हेराम हेराम कहते हुए मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ते हैं। भगवान राम को यह पता लगता है तो वह 14 वर्ष के वनवास के लिए तैयार हो जाते हैं उनके साथ लक्ष्मण व सीता भी तपस्वी वेष में अयोध्या से जाने लगते हैं। सभी नगरवासी विलाप करते हुए राम को रोकने का प्रयास करते हैं ‘‘ मत जाओ मत जाओ मत जाओ हे राम अयोध्या छोड़कर मत जाओ। रूक जाओ रूक जाओ रूक जाओ हे नाथ हमारी विनती मत ठुकराओ’’। मंत्री सुमंत्रराम, लक्ष्मण व सीता को रथ पर बिठाकर नगर के बाहर ले जाते हैं श्रृंगवेर पुर पहुंचने पर गंगा जी में स्नान करते हैं। राम आगमन सुनकर निषादराज गुह भगवान राम की आव भगत करता है और इस के बाद सुमंत्रजी अयोध्या वापस लौट आते हैं और राजा दशरथ राम के वियोग में अपने प्राण त्याग देते हैं। भगवान राम सीता लक्ष्मण के साथ गंगा तट पर पहुँचते हैं जहाँ पर भक्त केवट और भगवान का सुंदर संवाद होता है। भरत माता कैकई को सफेद वस्त्रों में देखर भौंचक्के रह जाते हैं वह इसका कारण कैकई से पूछते हैं। कैकई पूरा वृतांत सुनाती है और कहती मेने राजा दशरथ द्वारा दिये गए अपने वरदानो के आधार पर राम के लिये14 वर्षों का वनवास ओर तुम्हारे लिये राज मांगा है। यह सुनकर भरत माता कैकई को अपनी माता कहने के सुख से वंचित करते हुए कहते हैं कि आज के पश्चात आप मेरी माता नही हो आपने माता कहने का अधिकार खो दिया है। मेरे पिता की हत्या ओर मेरे भाई राम को वनवास भेजने वाली मेरी माता कैसे हो सकती है।वह ईश्वर को साक्षी मानकर यह सौगंध लेते हैं ओर राम,लक्ष्मण और सीता को ढूंढने निकल पड़ते हैं। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण व निषादराज के साथ प्रयागराज में भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचते हैं वहां ठहरने के पश्चात मुनि से विदा लेकर चित्रकुट में वाल्मीकि जी के आश्रम में पहुंचते हैं जहां पर भरत, सुमंत्र, शत्रुध्न व मां कैकई के साथ राम को मनाने पहुंचते हैं लेकिन राम पिता की आज्ञा के कारण वन से अयोध्या वापस नहीं जाते तब भरत उनकी चरण पादुका लेकर अयोध्या वापस आ जाते हैं । इसी के साथ पांचवे दिन की रामलीला मंचन का समापन होता है। चेयरमैन उमाशंकर गर्ग ,मुख्य संरक्षक मनोज अग्रवाल, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह-कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजकुमार गर्ग, सतनारायण गोयल, चौधरी रविन्द्र सिंह, तरुणराज, एस एम गुप्ता, पवन गोयल, आत्माराम अग्रवाल, मुकेश गोयल, मुकेश अग्रवाल, शांतनु मित्तल, मनीष गुप्ता, चन्द्रप्रकाश गौड़, एनईए अध्यक्ष कुशलपाल सिंह, राकेश गुप्ता, राजेन्द्र भाटी, एन. पी. सिंह, डॉ एस पी जैन, पी एस जैन, मनीष अग्रवाल, मुकेश तायल, राधेश्याम गोयल, सुनील जैन, मनोज गुप्ता, महेंद्र गोयल, अर्जुन प्रजापति, सहित श्रीराम मित्र मंडल नोएडा रामलीला समिति के सदस्यगण व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्तिथ रहे। 

कल 12 अक्टूबर को सीता हरण, शबरी मिलन, सुग्रीव मित्रता, बाली वध की लीला का मंचन किया जायेगा।