फेयरगेज़ और इंडिया इज़ अस द्वारा नौएडा में पैड वितरण अभियान चलाया गया

 फेयरगेज़ (FairGaze) और इंडिया इज़ अस (IndiaIsUs) द्वारा नौएडा में पैड वितरण अभियान चलाया गया



महामारी के दौरान माहवारी संबंधी स्वास्थ्य और स्वच्छता पर कोई लॉकडाउन नहीं


नोएडा(अमन इंडिया)। फेयरगेज़(FairGaze) औरइंडियाइज़अस (IndiaIsUs - I2U Social Foundation) ने मिलकर खोरा कालोनी, नौएडा में महिलाओं और लड़कियों को मुफ्त में सैनिटरी पैड बांटे गए। इस कार्यक्रम को Unicharm (इसके CSR कार्यक्रम के अंतर्गत) द्वारा समर्थित किया गया। पैड वितरण अभियान को #OneDayForMensturalHygiene अभियान के अंतर्गत I2U के साझेदार सशक्त फाउंडेशन (ShashaktFoundation) नामकNGO के सहयोग से चलाया गया, जिसके तहत दिल्ली और NCR की मलिनबस्तियों में 50,000 सैनिटरी नैपकिन बांटने का उद्देश्य था। महिलाओं के स्वास्थ्य की बुनियादी ज़रूरत के रूप में इस अभियान का उद्‌देश्य इस संवेदनशील विषय को चर्चा में लाने का है। इस कार्यक्रम में माहवारी के समय साफ-सफाई का महत्त्व, सैनिटरी पैड का उपयोग और इसके महत्त्व आदि विषयों को कवर किया गया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण2015-2016 के अनुसार केवल 36 महिलाएं ही सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं, अर्थात माहवारी वाली 336 मिलियन महिलाओं में से केवल 121 मिलियन महिलाएं ही सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करती हैं जो स्थानीय स्तर पर या वाणिज्यिक रूप से उत्पादन किए जाते हैं। अब भी भारत में 300 मिलियन से अधिक महिलाएं पुराने कपड़ों /चिथड़ों पर निर्भर रहती हैं। ये चिंताजन आंकड़े, माहवारी संबंधी स्वास्थ्य और स्वच्छता की विधियों के प्रचार-प्रसार तथा सैनेटरी नैपकिन तक पहुँच की तत्काल ज़रूरत साबित करते हैं।

 विवेक आत्रेय,सलाहकार, फेयरगेज़(FairGaze) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "केवल आपातस्थितियों और संकट के समय प्रतिक्रिया करने के बजायमाहवारीस्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने केलिए हमें लगातार प्रयास करने होंगे।” उनके विचार में यह अभियान, एक आवश्यक परिवर्तन लाने की दिशा में अच्छी शुरूआत है।   अलीशा प्रमुख,I2U ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "हम #OneDayForMenstrualHygiene अभियान को उदारता से सहयोग देने के लिए यूनिचार्म (Unicharm) और सशक्त (Shashakt) के आभारी हैं। माहवारी संबंधी स्वच्छता के लिए सुरक्षित और टिकाऊ उत्पाद सभी के लिए सुलभ होने चाहिए। ये कोई विलासिता नहीं बल्कि ज़रूरत हैं।”