दाल की उपज देश में बढ़ाने के लिऐ किसानों को सरकार ने प्रोत्साहित: इरफान अहमद


नई दिल्ली (अमन इंडिया)। भाजपा के वरिष्ठ नेता इरफान अहमद ने किसान आंदोलन को बताया राष्ट्र की प्रगति में रोड़ा, कई साल से हम लोग इंपोर्टेड दाल खा रहे थे। 2 साल पहले मोदी जी ने इस पर रोक लगानी शुरू कर दी और अब पूरी तरह से बंद कर दिया और दाल की उपज देश में बढ़ाने के लिऐ किसानों को प्रोत्साहित किया। 

कृषि बिल तो बहाना था असली किस्सा कुछ यूं है 2005 में मनमोहन सिंह ने दाल पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म कर दिया। उसके 2 साल के बाद सरकार ने नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से समझौता कर दाल आयात करना शुरू कर दिया। कनाडा ने अपने यहां लेंटील दाल के बड़े-बड़े फार्म स्थापित किए जिसकी जिम्मेदारी वहां रह रहे पंजाबी सिखों के हवाले किया। कनाडा से भारत में बड़े पैमाने पर दाल आयात होने लगा। यहां ये बात जानना जरूरी है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से कनाडा भारत से तकरीबन तीन गुना बड़ा है और कनाडा में दाल नहीं खाई जाती और पैदा सबसे ज्यादा की जाती है !! बड़े आयातकों में सबसे ज्यादा पंजाब के और मध्यप्रदेश के नेता हैं जो राजनीतिक पार्टियो से जुड़े हैं। जैसे ही मोदी जी ने आयात पर रोक लगाई इनका खेल शुरू हुआ। इनके कनाडा के फार्म सूखने लगे। खालिस्तानियों की नौकरी जाने लगी इसीलिए प्रधानमंत्री कनाडा जस्टिन ट्रुडो ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था। अब धमकी दी जा रही है की कनाडा के खालिस्तानी सिखों को पंजाब वापस भेजा जाएगा। कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध विदेशी ताकते और खालिस्तानी सिख कर रहे है !!

अब भारत का किसान अमीर होगा तो इन्हें तो कष्ट होगा ही।


मोदी जी ने भारत को विकसित करने का बीड़ा उठाया है और जनता भी साथ दे रही है, जल्द ही भारत की आर्थिक हालत विश्व मे सबसे अच्छी होगी क्योंकि जिस देश में अन्न बाहर से खरीदना नहीं पड़ता वही देश सबसे जल्द् विकसित होते है !!


2) अदानी और अंबानी ने जो भी व्यापार शुरू किया विदेशियों की मोनोपली का खात्मा करते हुए भारतीय ग्राहकों को जबरदस्त फायदा कराते हुए मुनाफा कमाया है। अब सोचिए कि पहले कितनी लूट मची हुई थी...??


3) उदाहरण:- 2016 में जब जियो नेटवर्क नहीं था तब आपका मोबाइल बिल कितना आता था..? कितनी लूट मची थी... अब हर कंपनी दाम घटाने पर मजबूर है, देश के गरीब भी इंटरनेट यूज कर रहे हैं और मिस्ड काल करने के बजाय अब सीधा बात करते हैं और सोशल मीडिया खूब फल फूल रहा है, समान्य जन अपनी बात सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रहे हैं और पुरानी सरकारों के पाप जन जन तक पहुचने लगे हैं, नहीं तो सिर्फ टी वी (इलेक्ट्रॉनिक ) मीडिया का एकाधिकार था अपनी मर्जी से चलाते थे.

अदानी एग्रो प्रगति कर रही है तो विरोध हो रहा है... अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है...? जब अपने देश में पेप्सिको, वॉलमार्ट, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईटीसी जैसी विदेशी कंपनियों ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में बड़े-बड़े गोदाम खड़े कर लिए तब कोई विरोध नहीं हुआ... तो अब अदानी का ही विरोध क्यों...???


4) रिलायंस रिटेल, रिलायंस डिजिटल अब सारे देश में पहुंच रहे हैं, तो अमेज़न और फ्लिपकार्ट को तकलीफ़ होना स्वाभाविक है... स्वदेशी पतंजलि के आने से हिन्दुस्तान यूनीलीवर (कोलगेट, लक्स, पाँड्स) का एकाधिकार समाप्त हो गया, तो उन्हें तकलीफ़ तो होनी ही थी...! 


चीन दुनिया भर के साथ भारत में भी 5G तकनीक बेचने को उतावला हो रहा है, ऐसे में जियो की संपूर्ण स्वदेशी 5G तकनीक से उसे तकलीफ़ होगी ही... अदानी पोर्ट्स और अदानी एंटरप्राइज़ के कारण सबकी मोनोपली बंद हो गई है।

अब जब अपने देश के उद्योगपति आगे बढ़ रहे हैं और देश को फायदा पहुंचा रहे हैं, तो अपने ही देश के कतिपय लोग उनका विरोध क्यों कर रहे हैं..?


क्या अदानी, अंबानी या पतंजलि आपको जबरदस्ती अपना सामान बेच रहे हैं या आपसे कुछ ले रहे हैं...?

खेल समझिए:-


अब पंजाब के किसान नेता उनके विरोध में आ गए हैं... अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है...?? हमारी ज़मीन हड़प लेगा आदि-आदि...!


पंजाब में देशी-विदेशी कंपनियों के गोडाउन बरसों से मौजूद हैं, वह चलता है... अब अदानी बनवा रहा है तो कहा जा रहा है कि जमाखोरी होगी और कीमतें बढ़ेंगी...

हकीकत तो यह है कि अब तक जो लाखों टन अनाज, सब्ज़ियां और फल सड़ जाते थे, वे अब इनके गोडाउन में सही तरह से भंडारित हो सकेंगे। तकलीफ़ यह है कि अब महंगाई काबू में रहेगी और बिचौलियों को मिलने वाली मोटी मलाई बंद हो जाएगी। 


महंगाई तो सालों से बढ़ती आ रही है, तो अब ही अफवाहें क्यों फैलाई जा रही हैं...? क्योंकि अदानी-अंबानी से कई विदेशी एजेंटों को तकलीफ़ हो रही है और कई लोग तो कुछ भी जाने-समझे बगैर सिर्फ और सिर्फ मोदी-विरोध में ये अफवाहें फ़ैला रहे हैं और अपने साथ-साथ सबके पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं...!


वामपंथी और विपक्ष की मुश्किल यही है क्योकि अगर देश में खुशहाली और प्रगति होगी तो इन परिवारवादी पार्टियो की दुकान तो बंद होगी ही और चीन से चंदा मिलना भी बंद हो जाऐगा ॥


वामपंथियों की और परिवावादी पार्टियो की यही सबसे बड़ी परेशानी है, इसलिये उनको लगता है कि किसान आंदोलन के बहाने लोगों को भड़काया जा सकता है, देश में आग लगाने कि इस चाल को सम्पूर्ण देशवासियो कों समझने की जरूरत है॥