कोरोना के खिलाफ लडे जा रहे युद्ध मे टीकाकरण में शिथिलता क्यों '-खबरी लाल
नोएडा(अमन इंडिया)।वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लडे जा रहे युद्ध में टीका करण मे आई 'शिथिलता इन दिनो चिन्ता व चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। जैसा कि आप सभी को मालुम है कि पिछले साल जब भारत मे कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी ,तो स्वंय हमारे प्रधान सेवक ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई मे मोर्चा सम्भालते हुए कई विजय उत्सव जैसे अनेक समारोह मे बढ -चढ कर नेतत्व कर रहे थे ,चाहे वह थाली - चम्मच बजाने . टार्च . मोमबती आदि की रोशनी जला कर कोरोना वेरियर की होसला बढाने की हो ' देश मे अस्तपतालो मे फूल की पंखडियो की बरसात करने की हो ' लेकिन जब देश कोरोना रूपी दानव के खुनी पंजे से लहु - लहान है, लेकिन आज क्या हो गया कि हमारे यशस्वी प्रधान सेवक जी को ' क्या हार मान ली आपने ? अभी तो चुनाव की महोत्सव भी नही है । आज यह ज्वलंत प्रश्न भारत के प्रत्येक देश के जिम्मेदार नागरिक के मन है । जब प्रति दिन लाशो की ढेर हृदय बिदारक दृश्य चाहे वह श्मशान हो ' या कब्रिस्तान ' पवित्र नदी मे तैरते लाशे या नदी के किनारे पर रेत मे दफन किये गये अंग भग लाशो के नोच नोच खाते चील ' कोऐ व आवारा जानवर का दृश्य जग जाहिर है।
ऐसी विकट परिस्थितियो मे ' देश के लाखों लोग बिन वैक्सीन लगाये ही कोरोना रूपी दानव के खुनी पंजे से कैसे से लड़ाई जीत सकेगी। जनता ने मतदान कर जीवन की रक्षा का भार सौप कर निशचित हो गयी थी ' क्योकि आपने जनता से वादे किये है कि ' नामुकिनआप के शब्द कोष मे नही है।तभी तो चारों ओर एक ब्यार बह रही थी - "मोदी है तो सब मुमकिन है " आज जनता अपनी दबी जुबान से आप को याद दिला रही है कि जब आप चुनावी रैली मे सीना दिखा कर कहते थे . ये 56 इंच का सीना है। अच्छे दिन आयेगे ' आप ने हम सभी को भरोसा दिया था ।क्या वह दृश्य एक दिवा स्वपन्न था या चुनावी जुम्ले बाजी । प्रधान सेवक जी आज जो देश की जनता जिन्होनेअपने - मित्र परिजनो को खोया है ' उनके दुःख दर्द मे महरहम पट्टी कोई भी लगाने वाला नही है, आँखे के आँसू भी सुख गई है ' बची है सिर्फ एक आस है कोई तारण हार आयेगा , लेकिन वास्तविकता के घरातल पर सिर्फ अंधकार है।लॉक डान के समय सुनसान सड़को पर पसरी सनाटो को चीरते हुई एम्बूलेन्स की साईरन की आवाजे'अस्पताले मेआक्सीजन व वैड की कमी'कोरोना मे कारगर दवाईयो की किल्लत व कालाबजारी मरीज के परिजनो की भाग्म भागी' इस बात की साक्ष्य कम है क्या ।
आप को याद दिलाना चाहता हूँ कि जब देश में कोरोना वैक्सीन बन गयी और उसका उत्पादन होने लगा , तब आपने वैक्सीन देश के नागरिकों को लगवाने के बदले अपनी छवि बनाने के लिए करीब 90 से देशो मे वैक्सीन निर्यात कर दी ' जिसके रहस्य से पर्दा बाद मे उठाया गया कि विदेशो मे निर्यात अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार समझौता के नियमानुसार यह डील की गई थी।आज देश कोरोना की दुसरी लहर से ग्रस्त है ' देश वासियो को बडी उम्मीदे थी कि जब वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बना लिया। ऐसे मेआप को अच्छी तरह से जानते हैं कि कोरोना से लड़ने के लिए कोरोना की वैक्सीन सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। लेकिन आज इस विकल्प का साकार होना सम्भव नही लग रहा है क्योकि देश मे वैक्सीन काअभाव व आये दिनो वैक्सीन टीका केंद्र एक के बाद बंद होते जाना शुभ संकेत नही है।
केन्द्र सरकार ने वैक्सीन के उत्पादन व वितरण कई सीमा व प्रतिबन्ध लाई है। जो कि महामारी के समय उचित नही है ।ऐसे मे कई राज्य वैक्सीन फार्मूला व मांग के मुताबिक उसका उत्पादन करने की गुहार केन्द्र सरकार से कर रही हैं।
अब तो देश की जनता मानने लगे हैं कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में लाखों लोगों जान चली गयी। आपकी सरकार की नीतियों के चलते पहले ही हज़ारों लोगों तक ऑक्सीज़न समय पर नही पहुंच के कारण मौत हो चुकी है। दुसरी गलती लापरवाही की सभी सीमाओ पार कर गई जब नाईट्रोजन के खाली सिलेण्डर में आकसीज़न / औघोगिक इकाई मे उपयोग मे आक्सीजन गैस भर कर भेजी गयीं ,जिसने कोरोना के साथ ब्लैक / व्हाईट / ऐलो फंगस (गाजियाबाद ) की महामारी को भी आमंत्रित कर डाला। हॉलाकि इसका प्रमाणितसाक्ष्य नही मिला हैI कुछ राज्यो मे बच्चों मे भी अब कोरोना महामारी फैलने की सुचना आ रही है।
आज सम्पूर्ण देश जब कोरोना के दो लहर के बाद तीसरी लहर व विभिन्न तरह फंगस के लड रहा है। जैसा कि विदित है कई देशो ने अपने नागरिको को टीकाकरण कर कोरोना को मात दी है ' हमारे समक्ष सिर्फ कोरोना से लडाई लड़ने के लिए एक मात्र व सर्वश्रेष्ट
विक्लप वैक्सीन है , लैकिन दुःख को बात यह है कि आज बैक्सीन के वितरण मे केद्र व राज्य सरकार के मध्य आपसी तालमेल के अभाव / कुत्ते विल्ली के लड़ाई के मध्य मे जिस कछुये की चाल से बैक्सीन लगाया जा रहा है अगर टीकाकरण की गति से ऐसी रहीतो चार वर्ष में देश बैक्सीनेट हो पायेगा -
कोरोना संक्रमण की कड़ी तोड़नी है तो देश में व्यापक पैमाने पर युद्ध स्तर पर टीकाकरण करना होगा।
केन्द्र की वर्तमान सरकार बड़े पैमाने पर फौरन कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति के लिए दिशा र्निदेश जारी करे ताकि टीकाकरण की गति आये । गति बढ़ने से कोरोना महामारी की कड़ी टूटेगी। ईजराईल जैसे देश ने अपने वहाँ टीकाकरण पूरा कर लिया और हम टीकाकरण के शुरुआती दौर में राजनीति फयादे के अंकगणित के आकडे पे अटके हुए हैं। कई स्वास्थ्य संगठनो ने कोरोना तथा ब्लैक फंगस से कारुणिक स्थिति के प्रति गम्भीर चिंता व्यक्त की है। मोदी सरकार पूरे देश और दिल्ली में कोरोना वैक्सीन और ब्लैक फंगस की दवाई उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक तैयारी कर ले ' लेकिन दुःख की बात यह है कि वैक्सीन और फंगस की दवा को लेकर केंन्द्र सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकार के बीच जो ओछी राजनीति हो रही है, वह देश की जनता के लिए जानलेवा साबित हो रही है। केन्द्र व राज्यो की सरकारों को रस्साकशी की बजाय आपस मे सम्पर्क संवाद व सहयोग के विजय मंत्र को अपनाना चाहिए। ताकि देश की जनता की जान माल की रक्षा व सुरक्षा हो सके ।
संकट के घडी मे राहत भरी खबर भी है कि दिल्ली सरकार व कई राज्य सरकार ने अपने अथक प्रयास कर संक्रमित के आकडो मे कमी आई है तथा कई बैक्सीन र्निमाता कम्पनी से बातचीत चल रही है तथा आपातकालीन युज की स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है। वही दुसरी ओर केंद्र सरकार की गैर भाजपा शासित राज्यो मे उदासहीन व दलगत भावना की कुठा से ग्रसित होने व सरकार के गलत नीति कारण आज बैवसीन केन्द्र को बन्द कर दिया गया है।
अभी तक अपुष्टअनुमानित आकडे के अनुसार तकरीबन तीन लाख लोग कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। मृतको की संख्या के आधार भारत विश्व के तीसरे नम्बर पर पहुँच गया है ।
सरकार भले ही कोरोना के मामलों में कमी आने पर अपना पीठ थपथपा रही हो, लेकिन मौतों के आंकड़ों में कमी नहीं आना एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।