पृथ्वी रक्षक बना वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो - रंजन तोमर

 

         5 साल में पंद्रह ऑपरेशन चलाकर 591 शिकारियों को किया गिरफ्तार 


नोएडा (अमन इंडिया)। वन्यजीवों और प्रकृति के संतुलन के बिना पृथ्वी पर इंसानो का जीवन नामुमकिन है , ऐसे में जानवरों को शिकारियों से बचाना और उन्हें सज़ा दिलवाना एक अहम् ज़िम्मेदारी है , वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो परिस्थितियों में पृथ्वी रक्षक बनकर उभरा है , एक आरटीआई के तहत ब्यूरो के अनछुए पहलु समाजसेवी  रंजन तोमर द्वारा उजागर किये गए हैं। गौरतलब यह भी है के भिन्न आरटीआई के ज़रिये  तोमर द्वारा समय समय पर कई खुलासे किए गए हैं जिनका स्त्रोत मुख्यतः ब्यूरो ही रहा है।  

इस बार  रंजन तोमर ने ब्यूरो की कार्यप्रणाली और उसके द्वारा किये गए विशेष अभियानों की जानकारी मांगी थी , जिसके जवाब में ब्यूरो कहता है के उसने पिछले 5 वर्षों में 15 विशेष अभियानों को चलाया है जिनमें ऑपरेशन सेव कुर्मा , थंडरबर्ड , वाइल्डनेट, लेस्कनाउ , बिरबिल , थंडरस्टॉर्म , लेस्क नाउ 2 ,सोफ्टगोल्ड , क्लीन आर्ट , लेस्क नाउ 3 , वाइल्ड नेट 2 , टर्टल शील्ड , वाइल्ड नेट 3 एवं थंडर 2020 अहम हैं। इन विशेष अभियानों में 591 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया , बड़ी बात यह है के ब्यूरो लगातार शिकार किये जा रहे जानवरों जैसे शेर , चीते, हाथी , हिरणों , डॉलफिन , एक सींघ वाला गैंडा , भिन्न प्रजातियों के दुर्लभ पक्षी आदि के लिए काम कर रही है। सुखद बात यह है के ब्यूरो द्वारा कई जानवरों के शिकार में कमी आई है। इसके अलावा आरटीआई के जवाब देने और इस कानून को मानने में भी ब्यूरो का कार्य काबिल इ तारीफ रहा है , हालाँकि अभी लम्बा रास्ता बाकी है लेकिन अब तक के प्रयास भी संतोषजनक कहे जायेंगे।  

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सांविधिक बहु अनुशासनिक इकाई है| ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में है, तथा नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और जबलपुर में पांच क्षेत्रीय कार्यालय; गुवाहाटी, अमृतसर और कोचीन में तीन उप क्षेत्रीय कार्यालय ; और रामनाथपुरम, गोरखपुर, मोतिहारी, नाथूला और मोरेह में पांच सीमा ईकाइयां है| वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 (जेड) के तहत, ब्यूरो को : अपराधियो को गिरफ्तार करने हेतु संगठित वन्यजीव अपराध गतिविधियों से सम्बंधित सुचना जानकारी इक्कठा करने, उसका विश्लेषण करने व उसे राज्यों व अन्य प्रवर्तन एजेंसियों को प्रेषित करने; एक केंद्रीकृत वन्यजीव अपराध डेटा बैंक स्थापित करने के लिए; अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के संबंध में विभिन्न एजेंसियों द्वारा समन्वित कार्रवाई करवाने; सम्बंधित विदेशी व अंतर्राष्ट्रीय संगठनो को वन्यजीव अपराध नियंत्रण में समन्वय व सामूहिक कार्यवाही हेतु सहायता करने; वन्यजीव अपराधों में वैज्ञानिक और पेशेवर जांच के लिए वन्यजीव अपराध प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण और वन्यजीव अपराधों से संबंधित मुकदमों में सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों की सहायता करना व भारत सरकार को वन्यजीव अपराध सम्बंधित मुद्दो जिनका राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव हो तथा प्रासंगिक नीति व कानूनो में सलाह देने हेतु अधिकृत किया गया है| यह कस्टम अधिकारियो को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, CITES और आयात निर्यात नीति के प्रावधानों के अनुसार वनस्पति व जीवो की खेप के निरीक्षण में भी सहायता करना है व सलाह प्रदान करता है |