फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने 35 सप्ताह के प्री-टर्म बच्चे का जीवन बचाने के लिए की सर्जरी


 स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपित किया


 


❖बेबी भविष्या का दिल एक मिनट में केवल 40 बार धड़क रहा था, सामान्य तौर से एक मिनट में 140-160 बार धड़कना चाहिए


 


नई दिल्ली(अमन इंडिया): फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने वर्तमान महामारी के दौरान मरीजों की देखभाल करने की अपनी प्रतिबद्धता और इलाज करने का अपना कौशल दर्शाया है। उन्होंने समय से पूर्व जन्म लेने वाले एक बच्चे के मामले में तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई जिसका दिल जन्म से ही पूरी तरह ब्लॉक था। जन्म के समय बेबी भाविष्या का दिल एक मिनट में 40 बार धड़क रहा था जबकि एक स्वस्थ नवजात बच्चे का दिल एक मिनट में 140-160 बार धड़कना चाहिए। बच्चे का जन्म नई दिल्ली के दूसरे अस्पताल में हुआ था और बच्चे की तबियत बिगड़ने पर उसके पिता को सलाह दी गई कि वह बच्चे को पीडियाट्रिक कार्डियक सेन्टर ले जाए। बच्चे के पिता ने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर, डॉ गौरव कुमार से संपर्क किया। डॉ गौरव कुमार और कार्डियोलॉजी में प्रिंसिपल कंसल्टेंट पीडियाट्रिक, डॉ सुशील आज़ाद के मार्गदर्शन में गंभीर रूप से बीमार इस बच्चे को एफईएचआई में ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई। एफईएचआई में डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की पूरी जांच की और उसकी हालत को स्थिर करने के बाद आधी रात के समय स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपण के लिए सर्जरी की गई।


दिल के जन्म के साथ ही पूरी तरह ब्लॉक होने के मामले बहुत दुर्लभ हैं। जन्म के 20000 में से 1 मामले में यह बिमारी देखने में आती है। ऐसे मामले चुनौती से भरे होते हैं क्योंकि आमतौर पर ऐसे बच्चे समय से पहले और कम वजन के साथ पैदा होते हैं। उनका दिल सही काम नहीं करता है। अगर आपातकालीन इलाज नहीं किया जाए तो उनके बचने की संभावना कम होती है। ऐसे बच्चों पर एनेस्थीसिया और सर्जरी सहित किसी तरह की प्रक्रिया करने में बहुत जोखिम होता है।


पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर, डॉ गौरव कुमार ने कहा, “हमें देर शाम दूसरे अस्पताल से बेबी भविष्या के बारे में फोन आया। हम समझ गए कि बच्चे की जान को खतरा था। हमने बच्चे को तुरंत फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में सुरक्षित लाने की व्यवस्था की। बच्चे के यहां पहुंचने पर देखा गया कि बच्चे का दिल और फेफड़े बहुत खराब स्थिति में थे। यह मामला तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बच्चे का जन्म समय से पूर्व हुआ था और बच्चे का वजन भी कम था। नवजात बच्चों के ऑपरेशन में हमेशा ही बहुत ज्यादा जोखिम होता है। हमने रात में ही सर्जरी करने का फैसला किया क्योंकि बच्चे के सुबह तक जीवित बच पाने की संभावना नहीं थी।


भविष्या के पिता श्री प्रवीण कुमार सीआरपीएफ में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने कहा, “मैं फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कर्मियों, विशेष रूप से डॉ गौरव कुमार और डॉ सुशील आज़ाद, का बहुत आभारी हूँ। उन्होंने मेरे बच्चे का बहुत ध्यान रखा जबकि उसकी मां दूसरे अस्पताल में भर्ती थी। जब हमें पहली बार अपने बच्चे की बिमारी के बारे में पता चला तो हम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अस्पताल ने बिना देरी किए बच्चे को एफईएचआई में ट्रांसफर करने की सलाह दी और यहां लाकर हमने बिल्कुल सही निर्णय लिया। मैं एफईएचआई की पूरी टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करता हूं। उन्होंने सुनिश्चित किया कि महामारी के समय बच्चे को सुरक्षित वातावरण मिले।”


पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ सुशील आजाद ने कहा, “जन्मजात दिल के पूरी तरह ब्लॉक होने की समस्या के साथ पैदा होने वाले प्री-टर्म बच्चों के ऑपरेशन में बहुत जोखिम होता है क्योंकि उनके शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों का पूरा ध्यान रखना होता है। इन बच्चों को संक्रमण से भी बचाना होता है और कोविड महामारी के समय संक्रमण का जोखिम भी बढ़ गया है। हमारी टीम के द्वारा अपनाई गई मल्टीडिसप्लनेरी सोच से यह सर्जरी संभव हो सकी। हमें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि सर्जरी के बाद बच्चे ने सही प्रतिक्रिया दिखाई।”


फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के बारे में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट (एफईएचआई), दिल्ली कार्डियक केयर की एक अग्रणी और उत्कृश्ट केंद्र है, जो अपनी स्थापना का 30वां साल मना रहा है और इस दौरान उसने लीक से हटकर काम किया है और हृदय रोग से पीड़ित काफी संख्या में मरीजों को सेवाएं प्रदान की है, जो इस बेहतरीन अस्पताल में उपचार का लाभ ले चुके हैं। क्लिनिकल विषेशज्ञता, अत्याधुनिक चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी से लैस इस अस्पताल ने हृदय प्रत्योरोपण, कार्डियक बायपास सर्जरी, मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी, इंटरवेंषनल कार्डियोलॉजी, नॉन-इन्वेसिव कार्डियोलॉजी, पीडिएड्रिक कार्डियोलॉजी एवं पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जरी के क्षेत्र में अहम बेंचमार्क स्थापित ।


किया है। अब तक एफईएचआई ने सफलतापूर्वक 1 लाख, 79 हजार से ज्यादा कोरोनरी एंजियोग्राफीज़, 97,000 से ज्यादा कार्डियक सर्जरी और तकरीबन 62,000 कोरोनरी एंजियोप्लास्टि के साथ ही कई जीवन-रक्षक उपचार की प्रक्रियाएं पूरी की हैं। इस अस्पताल ने भारत में पहली बार ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) और बायोरिसोरेबल वैस्कुलर स्कैफोल्ड (बीवीएस) को सफलतापूर्वक किया है, वहीं एशिया पैसिफिक में पहली बार डायरेक्‍शनल एथेरेक्टमी, एंजियोस्कोपी, ड्रग इल्यूटिंग स्टेंटिंग आदि को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। पिछले कई वर्षों के दौरान एफईएचआई ने भारत और विदेष में 19 अस्पतालों और हार्ट कमांड सेंटर का हार्ट केयर नेटवर्क तैयार किया है। इसने क्रांतिकारी ई-आईसीयू प्रोग्राम की भी शुरूआत की है, जिसकी मदद से सुदूरवर्ती इलाकों में समय पर क्रिटिकल केयर उपलब्ध हो सके। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट को कई पुरस्कार और सम्मान भी प्रदान किए गए हैं - ‘आईसीआईसीआई लोम्बार्ड एवं सीएनबीसी टीवी18 इंडिया हेल्थकेयर अवार्ड्स 2012, 2013 तथा द वीक नीलसन बेस्ट हॉस्‍पीटल्‍स सर्वे 2014 और 2015 में इसे प्राइवेट कार्डियक श्रेणी के अस्पताल में पहले नंबर पर रखा गया है।