जेएंडजे एवं इंडियन रोड सेफ्टी कैंपेन ने भारत में ईएमएस को मजबूत करने का संकल्प लिया

 


ट्रॉमा: चैंकाने वाले तथ्य


• पिछले साल भारत में 1,42,000 लोगों ने आत्महत्या की, जबकि 4,21,104 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।


• वर्तमान में मौजूद प्रभावशाली व एक्सपर्ट ट्रॉमा केयर एवं केयर के अपेक्षित स्तर के बीच का अंतर बहुत बड़ा है।


स्रोत: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारत में दुर्घटना व आत्महत्या से होने वाली मौतों की रिपोर्ट, 2019। नई


 


दिल्ली(अमन इंडिया):विश्व ड्रामा दिवस के अवसर पर, जॉनसन एंड जॉनसन और इंडियन रोड सेफ्टी कैंपेन (आईआरएससी) ने सड़क सुरक्षा, ‘गोल्डन अवर’ एवं गुड सैमरिटन लॉ पर जागरुकता अभियान चलाने के लिए साझेदारी की है।


सड़क सुरक्षा 2018 पर डब्लूएचओ की ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार भारत सड़क दुर्घटनाओं के मामले में 199 देशों में पहले स्थान पर आता है। वर्तमान में मौजूद प्रभावशाली व एक्सपर्ट ट्रॉमा केयर एवं केयर के अपेक्षित स्तर के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। पिछले 9 महीनों में कोविड-19 ने भारत के ट्रॉमा केयर सेंटर्स में अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न कर इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा दिया है।


जेएंडजे और आईआरएससी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं एवं नागरिकों को गुड सैमरिटंस बनने और प्रभावशाली ट्रॉमा केयर प्रदान करने में समर्थ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस अभियान के तहत, वो गुड सैमरिटंस को अपनी कहानियां सुनाने और गुड सैमरिटंस के पास मौजूद बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।


डॉक्टर रमनीक महाजन, डायरेक्टर- ऑर्थोपीडिक्स एंड ज्वाईंट रिप्लेसमेंट, इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपीडिक्स एंड ज्वाईंट रिप्लेसमेंट, मैक्स स्मार्ट सुपरस्पेशियल्टी हॉस्पिटल, नई दिल्ली ने कहा, ‘‘इस विश्व ट्रॉमा दिवस पर हमें ट्रॉमा से होने वाली मौतों को रोकने और सबसे गंभीर परिस्थिति में जीवन की सुरक्षा करने के महत्व पर बल देना है।’’


विशेषज्ञों के अनुसार बेसिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे ट्रॉमा के मामले में महामारी के दौरान भी कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ट्रॉमा के मरीजों के लिए एक समर्पित ट्राईएज़ क्षेत्र होना चाहिए, ताकि ट्रॉमा के मरीजों को हर वक्स समय पर इलाज उपलब्ध कराया जा सके। कोविड-19 ने दुनिया में परिवर्तन ला दिया है। इसलिए ट्रॉमा केयर प्रदाताओं को इन दबावपूर्ण परिस्थितियों, मरीज की चोट व वातावरण की बदलती स्थितियों के अनुरूप समायोजित होने व सुधार करने की जरूरत है।भारत में लोगों को गुड सैमरिटंस के रूप में अपने नए अधिकारों के बारे में अभी भी ज्यादा नहीं मालूम है। गुड सैमरिटन लॉ उन्हें सुरक्षा देता है। यह कानून 2016 में लागू हुआ। गुड सैमरिटन के अधिकार निम्नलिखित हैं:


• पीड़ित की किसी भी चोट या मृत्यु के लिए किसी भी नागरिक या आपराधिक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं।


• अपनी पहचान का बताया जाना जरूरी नहीं।


• प्रत्यक्षदर्शी बनने का विकल्प चुन सकता है, लेकिन इसके लिए बाध्य नहीं।


• इलाज का प्रारंभिक शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं।


• अस्पताल दुर्घटनापीड़ितों का आपातकालीन इलाज करने से मना नहीं कर सकते।


इस अभियान द्वारा जेएंडजे, इंडिया और आईआरएससी ‘गोल्डन अवर’ के महत्व पर बल दे रहे हैं और यह जागरुकता बढ़ा रहे हैं कि गुड सैमरिटन लॉ सड़क दुर्घटना के पीड़ितों की मदद करने वाले व्यक्ति को कानूनी उलझनों से सुरक्षा प्रदान करता है।