विक्रांत सिंह राजपूत ने जीती जिंदगी की जंग, फोर्टिस अस्पताल में आवश्यक सर्जरी कर डॉक्टरों ने बचायी जान
3 माह के इस शिशु की जन्मजात हृदय विकार (सीएचडी) की समस्या के उपचार के लिए तीन राज्यों से सड़क मार्ग के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया
नई दिल्ली(अमन इंडिया)। ओखला स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट (एफईएचआई) में डॉक्टरों ने एक टीम ने हाल में, एक 3 माह के शिशु की जीवनरक्षा कर उसकी अत्यावश्यक सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। शिशु – विक्रांत सिंह राजपूत में जन्म से ही कई तरह के हृदय विकार थे जिनके इलाज के लिए तत्काल सर्जरी आवश्यक थी। इस बच्चे के परिजन उसके इलाज के लिए काफी दौड़-धूप कर चुके थे और आखिकर तीन राज्यों से होकर सड़क मार्ग के जरिए वे इसे फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट लाए जहां डॉ के एस अय्यर, एग्ज़ीक्युटिव डायरेक्टर, पिडियाट्रिक कार्डियाक सर्जरी और डॉ पार्वती अय्यर, डायरेक्टर, पिडियाट्रिक इंटेंसिव केयर, एफईएचआई की देखरेख में उसे भर्ती किया गया।
इस डेढ़ माह के शिशु की जब बिहार में जांच की गई तो उसमें अनेक जन्मजात हृदय विकार पाए गए, जैसे वेंट्रिक्युलर सैप्टल डिफेक्ट, कोएक्र्टेशन ऑफ ऑर्टा विद मिट्रल रीगरगिटेशन। अभिभावकों ने कोलकाता के अस्पताल में दोबारा परामर्श लिया और उन्हें तत्काल सर्जरी की सिफारिश की गई। लेकिन महामारी के चलते, इस बच्चे की सर्जरी नहीं की जा सकी। इसके बाद, अभिभावकों ने डॉ पार्वती अय्यर से टेलीफोन पर सलाह ली और उन्हें बच्चे की हालत के बारे बताया। तब उन्हें विक्रांत को एफईएचआई लाने की सलाह दी गई। लेकिन हवाई या रेल यातायात उपलब्ध नहीं होने के कारण, उन्होंने कोलकाता से दिल्ली तक सड़क मार्ग से आने का फैसला किया। लेकिन इस बीच, बच्चे की हालत काफी बिगड़ने लगी थी और उसे सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी। तब बच्चे को बिहार के कटिहार में भर्ती कराया गया।
इस मामले की गंभीरता के बारे में डॉ पार्वती अय्यर ने कहा, ''बच्चे की हालत बेहद गंभीर थी। उसे तत्काल स्थिर करने की जरूरत थी और उसके बाद ही उसे कटिहार से दिल्ली लाया जा सकता था, ताकि रास्ते में कोई अप्रिय घटना न हो। हमने स्थानीय डॉक्टरों के साथ परामर्श कर बच्चे को स्थिर हालत में लाने का प्रयास किया। इस मुश्किल वक्त में, लगातार वीडियो कॉल्स के जरिए अभिभावकों को मानसिक रूप से खुद को मजबूत बनाए रखने और पूरे इलाज के लिए स्थानीय डॉक्टरों के साथ तालमेल करने के बारे में भी सलाह दी गई। खुद डॉ पार्वती अय्यर ने बार-बार कॉल कर अभिभावकों को हिम्मत बंधाने का काम किया और उन्हें लगातार समझाती रहीं कि उनका बच्चा स्वास्थ्य लाभ कर सकेगा। हम डॉ शंभुनाथ और उनकी टीम से मिले बेहतरीन सहयोग के लिए उनका भी आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस दौरान शिशु की स्थिति बिगड़ने से बचाने में अथक मेहनत की। विक्रांत की हालत में धीरे-धीरे सुधार होने लगा, सांस लेने की उसकी परेशानी भी दूर होने लगी और फिर उसे सड़क मार्ग से दिल्ली लाया जा सका। 17 अगस्त को वह रेल से दिल्ली पहुंचा और उसे तत्काल सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।''
20 अगस्त को डॉ के एस अय्यर ने इस शिशु के अनेक हृदय विकारों को दूर करने के लिए उसकी सर्जरी की और इस दौरान ऑर्टा, वैंट्रिक्युलर सेप्टल डिफेक्ट तथा मिट्रल वाल्व को रिपेयर किया गया। सर्जरी के बाद, शिशु को पिडियाट्रिक आईसीयू में स्वास्थ्यलाभ के लिए रखा गया। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद 29 अगस्त, 2020 को शिशु को अस्पताल से छुट्टी दी गई।
बच्चे की मां श्रीमती नेहा सिंह का कहना है, ''हम एफईएचआई के आभारी हैं और खासतौर से डॉ पार्वती के आभारी हैं जिन्होंने शुरुआत से ही पूरे इलाज में हमें सहयोग दिया है। डॉ के एस अय्यर का भी हम शुक्रिया करते हैं जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को अंजाम दिया और हमारे बच्चे को दोबारा स्वस्थ बना दिया है। महामारी और लॉकडाउन की चुनौतियों के बीच ऐसा करना आसान नहीं था, लेकिन सभी के सहयोग और आशीर्वाद से ऐसा संभव हुआ और हम बेहद खुश हैं कि हमारा शिशु अब पूरी तरह से स्वस्थ है।''